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देवसेन कृत सावय धम्म दोहा का रचनाकाल [[विक्रम सम्वत्]] 990 (990 – 57) सन् 933 ईस्वी है। इसकी भाषा का परवर्ती रूप हमें मुनि राम सिंह के पाहुड दोहा में मिलता है। पाहुड दोहा की भाषा निश्चित रूप से सन् 950 ईस्वी के बाद की है। इस कारण सावय धम्म दोहा की भाषा पाहुड दोहा की भाषा के पहले की है। 
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* डॉ. हीरा लाल जैन ने पाहुड दोहा का रचना काल सन् 1100 ईस्वी के पूर्व माना है। सावय धम्म दोहा का रचनाकाल सन् 933 ईस्वी मानना तर्कसंगत है।
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* यद्यपि सावय धम्म दोहा का रचनाकाल [[पुष्पदन्त कवि|पुष्पदन्त]] की रचनाओं के रचनाकाल के पहले का है मगर भाषा विकास की दृष्टि से सावय धम्म दोहा की भाषा अधिक विकसित है। इससे यह प्रतीत होता है कि देवसेन ने पुष्प दंत की अपेक्षा जन-भाषा के प्रयोग पर अधिक बल दिया है।
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* [[अपभ्रंश]] एवं [[हिन्दी]] के संक्रमण-काल की भाषा के स्वरूप को समझने की दृष्टि से सावय धम्म दोहा का विशेष महत्व है।
  
==शीर्षक उदाहरण 1
 
==[[सावय धम्म दोहा]]
 
  
===शीर्षक उदाहरण 2
 
===देवसेन कृत सावय धम्म दोहा का रचनाकाल विक्रम सम्वत् 990 (990 – 57) सन् 933 ईस्वी है। इसकी भाषा का परवर्ती रूप हमें मुनि राम सिंह के पाहुड दोहा में मिलता है। पाहुड दोहा की भाषा निश्चित रूप से सन् 950 ईस्वी के बाद की है। इस कारण सावय धम्म दोहा की भाषा पाहुड दोहा की भाषा के पहले की है। 
 
====शीर्षक उदाहरण 3
 
==== डॉ. हीरा लाल जैन ने पाहुड दोहा का रचना काल सन् 1100 ईस्वी के पूर्व माना है। सावय धम्म दोहा का रचनाकाल सन् 933 ईस्वी मानना तर्कसंगत है।
 
  
=====शीर्षक उदाहरण 4
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=====यद्यपि सावय धम्म दोहा का रचनाकाल पुष्प दंत की रचनाओं के रचनाकाल के पहले का है मगर भाषा विकास की दृष्टि से सावय धम्म दोहा की भाषा अधिक विकसित है। इससे यह प्रतीत होता है कि देवसेन ने पुष्प दंत की अपेक्षा जन-भाषा के प्रयोग पर अधिक बल दिया है। अपभंश एवं हिन्दी के संक्रमण-काल की भाषा के स्वरूप को समझने की दृष्टि से सावय धम्म दोहा का विशेष महत्व है।
 
 
 
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
*[प्रोफेसर महावीर सरन जैन - अपभ्रंश एवं आधुनिक भारतीय आर्य भाषाओं के संक्रमण-काल की रचनाएँ (हिन्दी के विशेष संदर्भ में)-  http://www.pravakta.com/apabhra%E1%B9%83sa-modern-indian-aryan-languages-transition-period-of-compositions]
 
 
 
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==बाहरी कड़ियाँ==
 
==बाहरी कड़ियाँ==
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*[http://www.pravakta.com/apabhra%E1%B9%83sa-modern-indian-aryan-languages-transition-period-of-compositions अपभ्रंश एवं आधुनिक भारतीय आर्य भाषाओं के संक्रमण-काल की रचनाएँ -प्रोफेसर महावीर सरन जैन]
  
 
==संबंधित लेख==
 
==संबंधित लेख==
 
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08:32, 11 अप्रैल 2014 के समय का अवतरण

देवसेन कृत सावय धम्म दोहा का रचनाकाल विक्रम सम्वत् 990 (990 – 57) सन् 933 ईस्वी है। इसकी भाषा का परवर्ती रूप हमें मुनि राम सिंह के पाहुड दोहा में मिलता है। पाहुड दोहा की भाषा निश्चित रूप से सन् 950 ईस्वी के बाद की है। इस कारण सावय धम्म दोहा की भाषा पाहुड दोहा की भाषा के पहले की है।

  • डॉ. हीरा लाल जैन ने पाहुड दोहा का रचना काल सन् 1100 ईस्वी के पूर्व माना है। सावय धम्म दोहा का रचनाकाल सन् 933 ईस्वी मानना तर्कसंगत है।
  • यद्यपि सावय धम्म दोहा का रचनाकाल पुष्पदन्त की रचनाओं के रचनाकाल के पहले का है मगर भाषा विकास की दृष्टि से सावय धम्म दोहा की भाषा अधिक विकसित है। इससे यह प्रतीत होता है कि देवसेन ने पुष्प दंत की अपेक्षा जन-भाषा के प्रयोग पर अधिक बल दिया है।
  • अपभ्रंश एवं हिन्दी के संक्रमण-काल की भाषा के स्वरूप को समझने की दृष्टि से सावय धम्म दोहा का विशेष महत्व है।



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प्रारम्भिक
माध्यमिक
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शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

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