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'''सिंधु दुर्ग''' [[महाराष्ट्र]] के सबसे महत्त्वपूर्ण सामुद्रिक क़िलों में से एक है। [[कोंकण]] क्षेत्र के दक्षिण में स्थित सिंधु दुर्ग पश्चिम में [[अरब सागर]] और पूर्व में सहयाद्रि पहाड़ियों से घिरा हुआ है| इसके उत्तर में [[रत्नागिरि]] और दक्षिण में [[गोवा]] है। यह दुर्ग महान [[मराठा]] योद्धा राजा [[छत्रपति शिवाजी]] द्वारा बनवाया गया था। शिवाजी ने क़िले के लिए चट्टानी [[द्वीप]] को इसलिये चुना था, क्योंकि यह विदेशी बलों से निपटने के लिए सामरिक उद्देश्य के अनुरूप था और मुरुद-[[जंजीरा क़िला|जंजीरा]] के सिद्धियों पर नजर रखने में सहायक था। इस क़िले की विशेषता है कि इसे तरह से बनाया गया है कि यह [[अरब सागर]] से आ रहे दुश्मनों द्वारा आसानी से नहीं देखा जा सकता।
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==क़िले की संरचना==
 
==क़िले की संरचना==
सिंधु दुर्ग महाराष्ट्र का सबसे महत्वपूर्ण समुद्र क़िला था। क़िले में 42 बुर्जों के साथ टेढ़ी-मेढ़ी दीवार है। निर्माण सामग्री में ही क़रीब 73,000 किलो [[लोहा]] शामिल है। एक समय जब [[हिन्दू]] ग्रंथों द्वारा [[समुद्र]] से यात्रा पवित्र मानी गई थी, तब बड़े पैमाने पर यह निर्माण मराठा राजा की क्रांतिकारी मानसिकता का प्रतिनिधित्व करता है। आज भी मराठा महिमा का अनुभव करने के लिये दुनिया भर से पर्यटक पद्मागढ़ के क़िले की यात्रा करते हैं। देवबाग़ का विजयदुर्ग क़िला, तिलारी बाँध और नवदुर्गा मंदिर इस क्षेत्र में अन्य आकर्षण है। सिन्धु दुर्ग में [[भारत]] का सबसे पुराना साईंबाबा का मन्दिर भी है।<ref name="ab">{{cite web |url=http://hindi.nativeplanet.com/sindhudurg/|title=सिंधुदुर्ग, एक ऐतिहासिक क़िला|accessmonthday=02 जनवरी|accessyear=2013|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=[[हिन्दी]]}}</ref>
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सिन्धु दुर्ग महाराष्ट्र का सबसे महत्त्वपूर्ण समुद्र क़िला था। क़िले में 42 बुर्जों के साथ टेढ़ी-मेढ़ी दीवार है। निर्माण सामग्री में ही क़रीब 73,000 किलो [[लोहा]] शामिल है। एक समय जब [[हिन्दू]] ग्रंथों द्वारा [[समुद्र]] से यात्रा पवित्र मानी गई थी, तब बड़े पैमाने पर यह निर्माण [[मराठा]] राजा की क्रांतिकारी मानसिकता का प्रतिनिधित्व करता है। आज भी मराठा महिमा का अनुभव करने के लिये दुनिया भर से पर्यटक पद्मागढ़ के क़िले की यात्रा करते हैं। देवबाग़ का विजयदुर्ग क़िला, तिलारी बाँध और नवदुर्गा मंदिर इस क्षेत्र में अन्य आकर्षण है। सिन्धु दुर्ग में [[भारत]] का सबसे पुराना साईंबाबा का मन्दिर भी है।<ref name="ab">{{cite web |url=http://hindi.nativeplanet.com/sindhudurg/|title=सिन्धुदुर्ग, एक ऐतिहासिक क़िला|accessmonthday=02 जनवरी|accessyear=2013|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=[[हिन्दी]]}}</ref>
 
====पर्यटन स्थल====
 
====पर्यटन स्थल====
ऊँचे पहाड़ों, समुन्द्र का किनारा और एक शानदार दृश्यों के साथ संपन्न यह जगह [[आम]], काजू और जामुन आदि के लिए लोकप्रिय है। यहाँ साफ़ दिन में लगभग 20 फीट की गहराई तक स्पष्ट समुद्र देखा जा सकता है। भारतीय और विदेशी पर्यटकों के लिए यह क्षेत्र बहुत कुछ पेश करता है और द्वीप के बाहरी इलाके में स्कूबा डाइविंग और स्नार्केलिंग के द्वारा मूँगे की चट्टानों का दृश्य निहारा जा सकता है।
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ऊँचे पहाड़ों, समुन्द्र का किनारा और एक शानदार दृश्यों के साथ संपन्न यह जगह [[आम]], काजू और जामुन आदि के लिए लोकप्रिय है। यहाँ साफ़ दिन में लगभग 20 फीट की गहराई तक स्पष्ट [[समुद्र]] देखा जा सकता है। भारतीय और विदेशी पर्यटकों के लिए यह क्षेत्र बहुत कुछ पेश करता है और द्वीप के बाहरी इलाके में स्कूबा डाइविंग और स्नार्केलिंग के द्वारा मूँगे की चट्टानों का दृश्य निहारा जा सकता है।[[चित्र:Sindhudurg-Fort-1.jpg|thumb|left|250px|सिन्धुदुर्ग क़िला, [[महाराष्ट्र]]]]]
 
;जलवायु
 
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सिंधु दुर्ग के क्षेत्र में नम जलवायु का अनुभव होता है। ग्रीष्म काल में दिन आमतौर पर गर्म रहते हैं। यात्रियों के लिए सर्दियों के मौसम के दौरान यात्रा की सलाह दी जाती है। विशेष रूप से [[दिसम्बर]] और [[जनवरी]] के महिने में, जब मौसम बहुत ठंडा और सुखद होता है।
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सिन्धु दुर्ग के क्षेत्र में नम जलवायु का अनुभव होता है। ग्रीष्म काल में दिन आमतौर पर गर्म रहते हैं। यात्रियों के लिए सर्दियों के मौसम के दौरान यात्रा की सलाह दी जाती है। विशेष रूप से [[दिसम्बर]] और [[जनवरी]] के महिने में, जब मौसम बहुत ठंडा और सुखद होता है।
 
==कैसे पहुँचें==
 
==कैसे पहुँचें==
[[मुंबई]] से 400 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सिंधु दुर्ग वायुमार्ग, सड़क और रेल द्वारा पहुँचा जा सकता है। यहाँ तक पहुँचने का लिये महाराष्ट्र के शहरों तथा महाराष्ट्र के बाहर से काफ़ी संख्या में बसें उपलब्ध हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग 17 इस क्षेत्र से गुजरता है। यहाँ [[मुंबई]], [[गोवा]] और [[मंगलौर]] जैसे प्रमुख स्थानों से ट्रेन या बस से भी पहुँचा जा सकता है। गोवा हवाई अड्डा 80 कि.मी. की दूरी पर है। सुंदर समुन्द्र के किनारे पर चलना, ऐतिहासिक भव्यता का पता लगाना या बस आराम करना, सिंधु दुर्ग में हर प्रकार के यात्री के लिए कुछ न कुछ अवश्य है।<ref name="ab"/>
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[[मुंबई]] से 400 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सिन्धु दुर्ग वायुमार्ग, सड़क और रेल द्वारा पहुँचा जा सकता है। यहाँ तक पहुँचने का लिये महाराष्ट्र के शहरों तथा महाराष्ट्र के बाहर से काफ़ी संख्या में बसें उपलब्ध हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग 17 इस क्षेत्र से गुजरता है। यहाँ [[मुंबई]], [[गोवा]] और [[मंगलौर]] जैसे प्रमुख स्थानों से ट्रेन या बस से भी पहुँचा जा सकता है। गोवा हवाई अड्डा 80 कि.मी. की दूरी पर है। सुंदर समुन्द्र के किनारे पर चलना, ऐतिहासिक भव्यता का पता लगाना या बस आराम करना, सिन्धु दुर्ग में हर प्रकार के यात्री के लिए कुछ न कुछ अवश्य है।<ref name="ab"/>
  
 
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Disamb2.jpg सिन्धु एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- सिन्धु (बहुविकल्पी)
सिन्धु दुर्ग
सिन्धुदुर्ग
विवरण 'सिन्धुदुर्ग' महाराष्ट्र के सबसे महत्त्वपूर्ण सामुद्रिक क़िलों में से एक है। यहाँ का ख़ूबसूरत समुद्र तट सभी को आकर्षित करता है।
राज्य महाराष्ट्र
कब जाएँ दिसम्बर और जनवरी
हवाई अड्डा गोवा
रेलवे स्टेशन मुंबई, गोवा और मंगलौर
विशेष क़िले की विशेषता यह है कि इसे इस तरह से बनाया गया है कि अरब सागर से आ रहे दुश्मनों द्वारा ये आसानी से नहीं देखा जा सकता।
अन्य जानकारी क़िले में 42 बुर्जों के साथ टेढ़ी-मेढ़ी दीवार है। निर्माण सामग्री में ही क़रीब 73,000 किलोग्राम लोहा शामिल है।

सिन्धु दुर्ग महाराष्ट्र के सबसे महत्त्वपूर्ण सामुद्रिक क़िलों में से एक है। कोंकण क्षेत्र के दक्षिण में स्थित सिन्धु दुर्ग पश्चिम में अरब सागर और पूर्व में सहयाद्रि पहाड़ियों से घिरा हुआ है। इसके उत्तर में रत्नागिरि और दक्षिण में गोवा है। यह दुर्ग महान् मराठा योद्धा राजा छत्रपति शिवाजी द्वारा बनवाया गया था। शिवाजी ने क़िले के लिए चट्टानी द्वीप को इसलिये चुना था, क्योंकि यह विदेशी बलों से निपटने के लिए सामरिक उद्देश्य के अनुरूप था और मुरुद-जंजीरा के सिद्धियों पर नजर रखने में सहायक था। इस क़िले की विशेषता है कि इसे तरह से बनाया गया है कि यह अरब सागर से आ रहे दुश्मनों द्वारा आसानी से नहीं देखा जा सकता।

क़िले की संरचना

सिन्धु दुर्ग महाराष्ट्र का सबसे महत्त्वपूर्ण समुद्र क़िला था। क़िले में 42 बुर्जों के साथ टेढ़ी-मेढ़ी दीवार है। निर्माण सामग्री में ही क़रीब 73,000 किलो लोहा शामिल है। एक समय जब हिन्दू ग्रंथों द्वारा समुद्र से यात्रा पवित्र मानी गई थी, तब बड़े पैमाने पर यह निर्माण मराठा राजा की क्रांतिकारी मानसिकता का प्रतिनिधित्व करता है। आज भी मराठा महिमा का अनुभव करने के लिये दुनिया भर से पर्यटक पद्मागढ़ के क़िले की यात्रा करते हैं। देवबाग़ का विजयदुर्ग क़िला, तिलारी बाँध और नवदुर्गा मंदिर इस क्षेत्र में अन्य आकर्षण है। सिन्धु दुर्ग में भारत का सबसे पुराना साईंबाबा का मन्दिर भी है।[1]

पर्यटन स्थल

ऊँचे पहाड़ों, समुन्द्र का किनारा और एक शानदार दृश्यों के साथ संपन्न यह जगह आम, काजू और जामुन आदि के लिए लोकप्रिय है। यहाँ साफ़ दिन में लगभग 20 फीट की गहराई तक स्पष्ट समुद्र देखा जा सकता है। भारतीय और विदेशी पर्यटकों के लिए यह क्षेत्र बहुत कुछ पेश करता है और द्वीप के बाहरी इलाके में स्कूबा डाइविंग और स्नार्केलिंग के द्वारा मूँगे की चट्टानों का दृश्य निहारा जा सकता है।

सिन्धुदुर्ग क़िला, महाराष्ट्र

]

जलवायु

सिन्धु दुर्ग के क्षेत्र में नम जलवायु का अनुभव होता है। ग्रीष्म काल में दिन आमतौर पर गर्म रहते हैं। यात्रियों के लिए सर्दियों के मौसम के दौरान यात्रा की सलाह दी जाती है। विशेष रूप से दिसम्बर और जनवरी के महिने में, जब मौसम बहुत ठंडा और सुखद होता है।

कैसे पहुँचें

मुंबई से 400 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सिन्धु दुर्ग वायुमार्ग, सड़क और रेल द्वारा पहुँचा जा सकता है। यहाँ तक पहुँचने का लिये महाराष्ट्र के शहरों तथा महाराष्ट्र के बाहर से काफ़ी संख्या में बसें उपलब्ध हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग 17 इस क्षेत्र से गुजरता है। यहाँ मुंबई, गोवा और मंगलौर जैसे प्रमुख स्थानों से ट्रेन या बस से भी पहुँचा जा सकता है। गोवा हवाई अड्डा 80 कि.मी. की दूरी पर है। सुंदर समुन्द्र के किनारे पर चलना, ऐतिहासिक भव्यता का पता लगाना या बस आराम करना, सिन्धु दुर्ग में हर प्रकार के यात्री के लिए कुछ न कुछ अवश्य है।[1]


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वीथिका

सिन्धुदुर्ग क़िला, महाराष्ट्र

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 सिन्धुदुर्ग, एक ऐतिहासिक क़िला (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 02 जनवरी, 2013।

बाहरी कड़ियाँ

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