सुधीश पचौरी
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पूरा नाम
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डॉ. सुधीश पचौरी
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जन्म
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29 दिसम्बर, 1955
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जन्म भूमि
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अलीगढ़, उत्तर प्रदेश
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कर्म-क्षेत्र
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आलोचक, मीडिया विश्लेषक, साहित्यकार, स्तंभकार
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मुख्य रचनाएँ
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नई कविता का वैचारिक आधार, कविता का अंत, दूरदर्शन की भूमिका, दूरदर्शन : स्वायत्तता और स्वतंत्रता, उत्तर आधुनिकता और उत्तरसंचरनावाद, उत्तर आधुनिक परिदृश्य, नवसाम्राज्यवाद और संस्कृति, दूरदर्शन : दशा और दिशा, नामवर के विमर्श, दूरदर्शन : विकास से बाजार तक, जनसंचार माध्यम, भाषा और साहित्य, निर्मल वर्मा और उत्तर-उपनिवेशवाद
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विषय
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प्रौढ़ एवं नवसाक्षर साहित्य, समीक्षा, अनुवाद
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भाषा
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हिन्दी भाषा
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शिक्षा
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एम.ए., पी-एच.डी. (हिन्दी)
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पुरस्कार-उपाधि
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रामचन्द्र शुक्ल सम्मान, भारतेन्दु हरिश्चन्द्र पुरस्कार, साहित्यकार सम्मान
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प्रसिद्धि
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आलोचक, मीडिया विश्लेषक
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नागरिकता
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भारतीय
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सदस्य-हिंदी सलाहकार समिति
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डीन ऑफ कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय
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अद्यतन
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11:24, 5 अक्टूबर 2011 (IST)
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इन्हें भी देखें
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कवि सूची, साहित्यकार सूची
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सुधीश पचौरी का जन्म 29 दिसम्बर, 1955 को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में हुआ था। सुधीश पचौरी प्रसिद्ध आलोचक एवं प्रमुख मीडिया विश्लेषक हैं। साहित्यकार, स्तंभकार और वरिष्ठ मीडिया समीक्षक, सुधीश पचौरी को 2010 में ‘हिंदी सलाहकार समिति’ का सदस्य बनाया गया है। दिल्ली विश्वविद्यालय में हिंदी के प्राध्यापक, पचौरी को दिल्ली विश्वविद्यालय में डीन ऑफ कॉलेज भी बनाया गया है। दैनिक हिंदी अखबार, ‘जनसत्ता’ में पचौरी का एक कॉलम ‘देखी-सुनी’ पिछले 25 वर्षों से भी अधिक समय से लगातार आ रहा है, जो अपने आप में एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। यह कॉलम वर्ष 1984 से लगातार आ रहा है और यह 26वें वर्ष में प्रवेश कर गया है। पचौरी को साहित्य जगत में योगदान के लिए कई पुरस्कार भी मिल चुके हैं।[1]
शिक्षा
आपने एम.ए. हिन्दी और पी.एच.डी. दिल्ली विश्वविद्यालय से कर रखी है।
कार्यक्षेत्र
हिंदी के प्रचार और प्रसार के लिए 1967 में ‘केन्द्रीय हिंदी समिति’ का गठन किया गया था जिसके पदेन अध्यक्ष, प्रधानमंत्री होते हैं। ‘केंद्रीय हिंदी समिति’ के दिशा-निर्देशन में विभिन्न मंत्रालयों और विभागों में भी ‘हिंदी सलाहकार समितियों’ का गठन किया जाता है जिसकी अध्यक्षता संबंधित विभाग के मंत्री करते हैं। सुधीश पचौरी को दिल्ली विश्वविद्यालय में 'कॉलेज ऑफ डीन' भी बनाया गया है। इस नियुक्ति के साथ ही, पचौरी विश्वविद्यालय के इतिहास में, पहले ऐसे व्यक्ति बन गए हैं, जो हिंदी विभाग से इस पद पर पहुंचे है।
रचनाएँ
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सुधीश पचौरी विभिन्न विषयों पर, पचास से भी अधिक किताबें लिख चुके हैं। मीडिया से जुड़ी उनके कुछ प्रमुख किताबें हैं- ‘मीडिया और साहित्य’, ‘मीडिया की परख’, ‘टीवी टाइम्स’ आदि।[2]
इनकी प्रमुख किताबों में 'कविता का अंत', 'दूरदर्शन की भूमिका', 'दूरदर्शन : स्वायत्तता और स्वतंत्रता', 'विकास से बाजार तक', 'मीडिया और साहित्य', 'टीवी टाइम्स', 'साहित्य का उत्तरकाण्ड', 'स्त्री देह के विमर्श', 'आलोचना से आगे', मीडिया, जनतन्त्र और आतंकवाद, मीडिया की परख आदि शामिल हैं।[3]
- प्रकाशित कृतियाँ
- नई कविता का वैचारिक आधार,
- कविता का अंत,
- दूरदर्शन की भूमिका,
- दूरदर्शन : स्वायत्तता और स्वतंत्रता,
- उत्तर आधुनिकता और उत्तरसंचरनावाद,
- उत्तर आधुनिक परिदृश्य,
- नवसाम्राज्यवाद और संस्कृति,
- दूरदर्शन : दशा और दिशा,
- नामवर के विमर्श,
- दूरदर्शन : विकास से बाजार तक,
- उत्तर आधुनिक साहित्यिक विमर्श,
- मीडिया और साहित्य,
- उत्तर केदार,
- देरिदा का विखंडन और साहित्य,
- साहित्य का उत्तरकांड : कला का बाजार,
- टीवी टाइम्स,
- इक्कीसवीं सदी का पूर्वरंग,
- अशोक वाजपेयी : पाठ कुपाठ,
- प्रसार भारती और प्रसारण-परिदृश्य,
- साइबर-स्पेस और मीडिया,
- स्त्री देह के विमर्श,
- आलोचना से आगे,
- हिन्दुत्तव और उत्तर आधुनिकता,
- मीडिया जनतंत्र और आतंकवाद,
- विभक्ति और विखंडन,
- नए जनसंचार माध्यम और हिन्दी,
- जनसंचार माध्यम,
- भाषा और साहित्य,
- निर्मल वर्मा और उत्तर-उपनिवेशवाद
पुरस्कार
इन्हें 'मध्यप्रदेश साहित्य परिषद' का रामचन्द्र शुक्ल सम्मान, भारतेन्दु हरिश्चन्द्र पुरस्कार एवं दिल्ली हिंदी अकादमी द्वारा साहित्यकार सम्मान भी मिल चुका है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख
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