"अन्नामलाई पहाड़ियाँ" के अवतरणों में अंतर

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05:08, 13 दिसम्बर 2010 का अवतरण

  • अन्नामलाई पहाड़ियाँ, पश्चिमी घाट, तमिलनाडु राज्य, दक्षिण-पूर्वी भारत, एलिफ़ैंट पर्वतमाला के नाम से भी विख्यात है।
  • अन्नामलाई पहाड़ियाँ पूर्वी व पश्चिमी घाटों का संधिस्थल है और पश्चिमोत्तर व दक्षिण-पूर्व की ओर उन्मुख हैं।
  • 2,695 मीटर ऊँची अनाई चोटी इस श्रृंखला के बिल्कुल दक्षिण-पश्चिमी छोर पर स्थित दक्षिण भारत की सबसे ऊँची चोटी है।
  • अभिनूतन युग (होलोसीन इपॉक) में पृथ्वी की आन्तरिक अवरोधी हलचल से निर्मित अन्नामलाई की पहाड़ियाँ 1,000 मीटर की ढलान पर चबूतरेदार श्रेणियों का निर्माण करती हैं।
  • शीशम, चन्दन, सागौन व साबुदाने के पेड़ों से युक्त सघन वन इस क्षेत्र के ज़्यादातर हिस्से को ढंकते हैं।
  • एल्युमीनियम व लौह धातु के ऑक्साइड से युक्त यहाँ की मिट्टी चित्तीदार लाल व भूरी है।
  • जिसका उपयोग भवन व सड़क के निर्माण में होता है।
  • अव्यवस्थित आबादी वाली इन पहाड़ियों पर कडार, मरवारपूलिया लोग निवास करते हैं और उनकी अर्थव्यवस्था शिकार, संग्रहण व झूम खेती पर आधारित है।
  • जिन जगहों पर जंगलों की कटाई हो रही है, वहाँ चाय, कॉफ़ी व रबड़ के बाग़ लगाए जा रहे हैं।
  • यहाँ पर मुख्यत: घरेलू सामान, जैसे टोकरी, नारियल जटा उसकी चटाई, धातु की सामग्री व बीड़ी बनाने के उद्योग हैं।
  • श्रीविल्लिपुत्तूर, उत्तमपलैयम और मानूर यहाँ के महत्वपूर्ण नगर हैं।


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  • अरावली उत्तर भारतीय पर्वतमाला है।
  • राजस्थान राज्य के पूर्वोत्तर क्षेत्र से गुज़रती 560 किलोमीटर लम्बी इस पर्वतमाला की कुछ चट्टानी पहाड़ियाँ दिल्ली के दक्षिण हिस्से तक चली गई हैं।
  • शिखरों एवं कटकों की श्रृखलाएँ, जिनका फैलाव 10 से 100 किलोमीटर है, सामान्यत: 300 से 900 मीटर ऊँची हैं।
  • यह पर्वतमाला, दो भागों में विभाजित है-
  1. सांभर-सिरोही पर्वतमाला- जिसमें माउण्ट आबू के गुरु शिखर (अरावली पर्वतमाला का शिखर, ऊँचाई 1,722 मीटर) सहित अधिकतर ऊँचे पर्वत हैं।
  1. सांभर-खेतरी पर्वतमाला- जिसमें तीन विच्छिन्न कटकीय क्षेत्र आते हैं।
  • अरावली पर्वतमाला प्राकृतिक संसाधनों (एवं खनिज़) से परिपूर्ण है और पश्चिमी मरुस्थल के विस्तार को रोकने का कार्य करती है।
  • यह अनेक प्रमुख नदियों- बाना, लूनी, साखी एवं साबरमती का उदगम स्थल है।
  • इस पर्वतमाला में केवल दक्षिणी क्षेत्र में सघन वन हैं, अन्यथा अधिकांश क्षेत्रों में यह विरल, रेतीली एवं पथरीली (गुलाबी रंग के स्फ़टिक) है।


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