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*इन्द्रनारायण द्विवेदी बीसवीं [[सदी]] के महत्त्वपूर्ण स्वतंत्रता सेनानी थे।  
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'''इन्द्रनारायण द्विवेदी''' बीसवीं [[सदी]] के महत्त्वपूर्ण स्वतंत्रता सेनानी थे।  
 
*इनका कार्यक्षेत्र संयुक्त प्रांत रहा।  
 
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*ये आरम्भ से ही राजनीतिक कार्यकलापों से जुड़े रहे तथा काँग्रेस से जुड़ गये।  
 
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*वस्तुत: इस संगठन की स्थापना [[1919]] ई. में होने वाले चुनावों को दृष्टि में रखते हुए की गयी थी।  
 
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*इसके पश्चात्त ये व्यवस्थापिका के सदस्य भी बने तथा प्रांतीय राजनीति से सक्रिय रूप से जुड़े रहे।<ref>{{cite book | last =नागोरी | first = डॉ. एस.एल. | title =स्वतंत्रता सेनानी कोश (गाँधीयुगीन) | edition = 2011 | publisher = गीतांजलि प्रकाशन, जयपुर | location = भारतडिस्कवरी पुस्तकालय | language = [[हिन्दी]] | pages = पृष्ठ सं 77 | chapter = खण्ड 3 }}</ref>  
 
*इसके पश्चात्त ये व्यवस्थापिका के सदस्य भी बने तथा प्रांतीय राजनीति से सक्रिय रूप से जुड़े रहे।<ref>{{cite book | last =नागोरी | first = डॉ. एस.एल. | title =स्वतंत्रता सेनानी कोश (गाँधीयुगीन) | edition = 2011 | publisher = गीतांजलि प्रकाशन, जयपुर | location = भारतडिस्कवरी पुस्तकालय | language = [[हिन्दी]] | pages = पृष्ठ सं 77 | chapter = खण्ड 3 }}</ref>  
 
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
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09:56, 8 अगस्त 2012 के समय का अवतरण

इन्द्रनारायण द्विवेदी बीसवीं सदी के महत्त्वपूर्ण स्वतंत्रता सेनानी थे।

  • इनका कार्यक्षेत्र संयुक्त प्रांत रहा।
  • ये आरम्भ से ही राजनीतिक कार्यकलापों से जुड़े रहे तथा काँग्रेस से जुड़ गये।
  • ये मदन मोहन मालवीय के शिष्य थे तथा इन पर मालवीय का बड़ा प्रभाव था।
  • ये कृषक आन्दोलन से भी जुड़े रहे।
  • इन्होंने फरवरी, 1918 ई. में सयुंक्त प्रांत किसान सभा की स्थापना की, जिसका गठन इलाहाबाद होमरूल लीग के धन से किया गया था।
  • वस्तुत: इस संगठन की स्थापना 1919 ई. में होने वाले चुनावों को दृष्टि में रखते हुए की गयी थी।
  • इसके पश्चात्त ये व्यवस्थापिका के सदस्य भी बने तथा प्रांतीय राजनीति से सक्रिय रूप से जुड़े रहे।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. नागोरी, डॉ. एस.एल. “खण्ड 3”, स्वतंत्रता सेनानी कोश (गाँधीयुगीन), 2011 (हिन्दी), भारतडिस्कवरी पुस्तकालय: गीतांजलि प्रकाशन, जयपुर, पृष्ठ सं 77।

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