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==जन्म व शिक्षा==
 
==जन्म व शिक्षा==
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====राष्ट्रीय भावना का उदय====
 
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पुणे में प्रसिद्ध क्रांतिकारी [[लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक]] के [[समाचार पत्र|समाचार पत्रों]] में अनेक विचार पढ़कर नारायण सुब्बाराव हार्डिकर के अंदर भी राष्ट्रीय भावना का उदय हुआ। देशभक्ति की भावना मन में जागृत होते ही वे विद्यार्थी जीवन से ही सार्वजनिक कार्यों में रुचि लेने लगे। '[[बंग भंग]]' के विरोध में उन्होंने 'आर्य बाल सभा' का गठन भी किया था।
 
पुणे में प्रसिद्ध क्रांतिकारी [[लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक]] के [[समाचार पत्र|समाचार पत्रों]] में अनेक विचार पढ़कर नारायण सुब्बाराव हार्डिकर के अंदर भी राष्ट्रीय भावना का उदय हुआ। देशभक्ति की भावना मन में जागृत होते ही वे विद्यार्थी जीवन से ही सार्वजनिक कार्यों में रुचि लेने लगे। '[[बंग भंग]]' के विरोध में उन्होंने 'आर्य बाल सभा' का गठन भी किया था।

05:59, 26 अगस्त 2017 के समय का अवतरण

एन. एस. हार्डिकर
एन. एस. हार्डिकर
पूरा नाम नारायण सुब्बाराव हार्डिकर
जन्म 7 मई, 1889
जन्म भूमि धारवाड़ ज़िला, कर्नाटक
मृत्यु 26 अगस्त, 1975
अभिभावक सुब्बाराव तथा यमुनाबाई
नागरिकता भारतीय
प्रसिद्धि स्वतंत्रता सेनानी
धर्म हिन्दू
जेल यात्रा 1930 में
विद्यालय 'मैचिंगन यूनिवर्सिटी', अमरीका
पुरस्कार-उपाधि 'पद्मभूषण'
विशेष योगदान सुब्बाराव जी का सबसे महत्त्वपूर्ण काम 1923 में 'हिन्दुस्तान सेवादल' की स्थापना था। 'हिन्दुस्तान सेवादल' का देश के स्वतंत्रता संग्राम में ख़ास योगदान रहा था।
अन्य जानकारी स्वतंत्रता के बाद नारायण सुब्बाराव हार्डिकर को 1952 में राज्य सभा का सदस्य चुना गया। 1962 तक वे इस पद पर बने रहे।

नारायण सुब्बाराव हार्डिकर (अंग्रेज़ी: Narayan Subbarao Hardikar ; जन्म- 7 मई, 1889, धारवाड़ ज़िला, कर्नाटक[1]; मृत्यु- 26 अगस्त, 1975) भारत के स्वतंत्रता सेनानी और कांग्रेस के प्रसिद्ध राजनेता थे, जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दिनों में प्रसिद्ध 'हिन्दुस्तान सेवादल' की स्थापना की थी। 'बंगाल विभाजन' के विरोध में नारायण सुब्बाराव ने 'आर्य बाल सभा' का गठन किया था। आज़ादी के बाद वर्ष 1952 में उन्हें राज्य सभा का सदस्य चुना गया था। देश के प्रति निष्ठा और सेवा भावना को देखते हुए भारत सरकार ने नारायण सुब्बाराव को 'पद्मभूषण' से सम्मानित किया था।

जन्म व शिक्षा

नारायण सुब्बाराव हार्डिकर का जन्म 7 मई, 1889 ई. को ब्रिटिश शासन काल में मैसूर राज्य (कर्नाटक) के धारवाड़ ज़िले में हुआ था। इनके पिता का नाम सुब्बाराव तथा माता यमुनाबाई थीं। अपनी आरंभिक शिक्षा पूर्ण करने के बाद वे अध्ययन के लिए पुणे चले गए।

राष्ट्रीय भावना का उदय

पुणे में प्रसिद्ध क्रांतिकारी लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के समाचार पत्रों में अनेक विचार पढ़कर नारायण सुब्बाराव हार्डिकर के अंदर भी राष्ट्रीय भावना का उदय हुआ। देशभक्ति की भावना मन में जागृत होते ही वे विद्यार्थी जीवन से ही सार्वजनिक कार्यों में रुचि लेने लगे। 'बंग भंग' के विरोध में उन्होंने 'आर्य बाल सभा' का गठन भी किया था।

विभिन्न गतिविधियाँ

इंटर की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद आगे उच्च शिक्षा के अध्ययन के लिए नारायण सुब्बाराव 1913 में अमरीका चले गए। वहाँ उन्होंने 'मैचिंगन यूनिवर्सिटी' में अपना अध्ययन पूरा किया। प्रसिद्ध राष्ट्रीय नेता लाला लाजपत राय भी उन दिनों अमरीका में ही थे। भारतीय स्वतंत्रता के पक्ष में वातावरण बनाने के लिए 'हिन्दुस्तान एसोसिएशन ऑफ़ अमरीका' नाम की संस्था काम कर रही थी। नारायण सुब्बाराव हार्डिकर भी उसकी गतिविधियों में रुचि लेने लगे। बाद में लाला लाजपत राय की अध्यक्षता में 'इंडियन लीग ऑफ़ अमरीका' नाम की संख्या बनी तो उसके मंत्री का पदभार डॉ. नारायण सुब्बाराव हार्डिकर ने संभाला।

योगदान

भारत लौटने पर नारायण सुब्बाराव ने कर्नाटक में राष्ट्रीय भावनाओं के प्रचार के लिए अनेक संस्थाओं की स्थापना की। उनका सबसे महत्त्वपूर्ण काम 1923 में 'हिन्दुस्तान सेवादल' की स्थापना था। देश-भर में घूमकर हार्डिकर ने इस संस्था का विस्तार किया। 'हिन्दुस्तान सेवादल' का देश के स्वतंत्रता संग्राम में महत्त्वपूर्ण योगदान रहा था। इसके स्वयं सेवक हर संघर्ष में भाग लेते रहे। डॉ. नारायण सुब्बाराव हार्डिकर 1930 में गिरफ्तार कर लिए गए और सेवादल ग़ैर-क़ानूनी घोषित कर दिया गया। इसके बाद भी हर आंदोलन में नारायण सुब्बाराव जेलों में बंद किए गए।

राज्य सभा सदस्य व सम्मान

भारत की स्वतंत्रता के बाद नारायण सुब्बाराव हार्डिकर को 1952 में राज्य सभा का सदस्य चुना गया। 1962 तक वे इस पद पर बने रहे। देश और उनकी सेवाओं को देखते हुए 'भारत सरकार' ने उन्हें 'पद्मभूषण' के मानद सम्मान से सम्मानित किया था।

निधन

नारायण सुब्बाराव हार्डिकर का रहन-सहन अत्यंत सादा था। भौतिक सुख-सुविधाओं ने कभी उन्हें आकृष्ट नहीं किया। उनका निधन 26 अगस्त, 1975 को हुआ।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भूतपूर्व मैसूर राज्य

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