गोकुलचन्द नारंग

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पंजाब के आर्यसमाजी नेता डा.गोकुल चन्द नारंग का जन्म नवम्बर 1878 ई. में पंजाब के गुज़रांवाला[1]ज़िले में हुआ था। उन्होंने डी.ए.वी. कालेज, लाहौर, पंजाब विश्वविद्यालय और कोलकाता विश्वविद्यालय से शिक्षा पाई। फिर वे उच्च शिक्षा के लिये 1907 में इंग्लैण्ड गये।

  • ऑक्सफोर्ड में पढ़ने के बाद स्विटज़रलैण्ड से पी. एच. डी. और क़ानून की डिग्री लेकर भारत वापस आये।
  • डी.ए.वी.कालेज, लाहौर में 6 वर्ष तक अध्ययन किया।
  • पंजाब के आर्य समाज के अधिकांश नेता राजनीति में भी हिस्सा लेते थे। नारंग भी उसमें रुचि लेने लगे और लाला लाजपत राय आदि से उनकी निकटता हो गई।
  • जलियांवाला बाग़ हत्याकांड की निन्दा करने पर वे गिरफ्तार कर लिये गये थे।
  • गोकुल चन्द नारंग 1920 में पंजाब कौंसिल के सदस्य चुने गये और उनकी यह सदस्य्ता 1946 तक बनी रही। साथ-साथ वे लाहौर हाईकोर्ट मे वकालत भी करते थे।
  • 1930 में उन्हें पंजाब के उद्योग और स्थानीय स्वशासन का मंत्री बनाया गया था।
  • वे आस्ट्रेलिया और कनाडा की भांति स्वायत्त शासन के पक्षपाती थे।
  • कांग्रेस की नीतियों का वे विरोध करते थे।
  • वे हिन्दू महासभा में भी सक्रिय रहे और उसके अखिल भारतीय उपाध्यक्ष थे।
  • उन्होंने अनेक पत्रों का सम्पादन किया।
  • 1947 के बाद वे कांग्रेस की तथाकथित 'मुस्लिम तुष्टीकरण नीति' की कटु आलोचना करते रहे।
  • 1960 में डा. नारंग का देहांत हो गया।



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. अब पाकिस्तान में

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