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*घासी राम चौधरी शेखावाटी क्षेत्र के किसानों के नेता थे और प्रसिद्ध स्वतन्त्रता सेनानी थे।  
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'''घासी राम चौधरी''' [[शेखावाटी]] क्षेत्र, [[राजस्थान]] के किसान नेता और प्रसिद्ध स्वतन्त्रता सेनानी थे। उनका जन्म [[1903]] ई. में [[नवलगढ़]] ठिकाने के 'बासड़ी' नामक ग्राम में हुआ था। उन्होंने बचपन से ही जागीरदारी प्रथा के विरुद्ध संघर्ष करने का मन बना लिया था, और आगे चलकर जागीरदारों के विरुद्ध संघर्ष प्रारंभ कर दिया।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=स्वतंत्रता सेनानी कोश (गाँधीयुगीन)|लेखक=डॉ. एस.एल नागोरी|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=गीतांजलि प्रकाशन, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=139|url=}}</ref>
*घासी राम चौधरी  का जन्म 1903 ई. में नवलगढ़ ठिकाने के बासड़ी नामक ग्राम में हुआ था।  
 
*घासी राम चौधरी ने बचपन से ही जागीदारी प्रथा के विरूद्ध संघर्ष करने का मानस बना लिया था।
 
*घासी राम चौधरी ने आगे चलकर जागीदारों के विरूद्ध संघर्ष प्रारंभ कर दिया।  
 
*कई बार आन्दोलनों में भाग लेकर गिरफ्तारियां दी और जमींदारों का विरोध किया।
 
*अन्त में भारत सुरक्षा क़ानून  के तहत इनको गिरफ्तार कर जेल में भेज दिया गया।
 
*वहां उनको कठोर यातनाएं दी गईं।
 
*जेल से रिहा होने के बाद वे भूमिगत रहकर कार्य करने लगे।
 
*इस पर [[1940]] ई. में उन्हें पुनः गिरफ्तार कर लिया गया।
 
*इस प्रकार आज़ादी के लिए वे सतत संघर्ष करते रहे।
 
  
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*कई बार आन्दोलनों में भाग लेकर घासी राम जी ने गिरफ्तारियाँ दीं और जमींदारों का विरोध किया।
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*अन्त में भारत सुरक्षा क़ानून के तहत इनको गिरफ्तार कर जेल में भेज दिया गया।
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*जेल में घासी राम चौधरी को कठोर शारीरिक यातनाएँ दी गईं। जेल से रिहा होने के बाद भी वे भूमिगत रहकर कार्य करने रहे।
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*उनकी क्रांतिकारियों गतिविधियों पर सरकार ने [[1940]] ई. में उन्हें पुनः गिरफ्तार किया।
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15:25, 17 अक्टूबर 2015 के समय का अवतरण

घासी राम चौधरी शेखावाटी क्षेत्र, राजस्थान के किसान नेता और प्रसिद्ध स्वतन्त्रता सेनानी थे। उनका जन्म 1903 ई. में नवलगढ़ ठिकाने के 'बासड़ी' नामक ग्राम में हुआ था। उन्होंने बचपन से ही जागीरदारी प्रथा के विरुद्ध संघर्ष करने का मन बना लिया था, और आगे चलकर जागीरदारों के विरुद्ध संघर्ष प्रारंभ कर दिया।[1]

  • कई बार आन्दोलनों में भाग लेकर घासी राम जी ने गिरफ्तारियाँ दीं और जमींदारों का विरोध किया।
  • अन्त में भारत सुरक्षा क़ानून के तहत इनको गिरफ्तार कर जेल में भेज दिया गया।
  • जेल में घासी राम चौधरी को कठोर शारीरिक यातनाएँ दी गईं। जेल से रिहा होने के बाद भी वे भूमिगत रहकर कार्य करने रहे।
  • उनकी क्रांतिकारियों गतिविधियों पर सरकार ने 1940 ई. में उन्हें पुनः गिरफ्तार किया।
  • घासी राम जी ने सभी तकलीफें सहीं और आज़ादी के लिए सतत संघर्ष करते रहे।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. स्वतंत्रता सेनानी कोश (गाँधीयुगीन) |लेखक: डॉ. एस.एल नागोरी |प्रकाशक: गीतांजलि प्रकाशन, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 139 |

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