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'''धन सिंह गुर्जर''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Dhan Singh Gurjar'', जन्म- [[1820]]; मृत्यु- [[4 जुलाई]], [[1857]]) भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे। मेरठ क्रान्ति का प्रारम्भ [[10 मई]], [[1857]] को हुआ था। क्रान्ति की शुरूआत करने का श्रेय अमर शहीद कोतवाल धनसिंह गुर्जर को जाता है।
 
==क्रांतिकारी योजना==
 
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विद्रोह की खबर मिलते ही आस-पास के गांव के हजारों ग्रामीण मेरठ की सदर कोतवाली क्षेत्र में जमा हो गए। इसी कोतवाली में धन सिंह पुलिस प्रमुख थे। 10 मई, 1857 को धन सिंह की योजना के अनुसार बड़ी चतुराई से ब्रिटिश सरकार के वफादार पुलिस कर्मियों को कोतवाली के भीतर चले जाने और वहीं रहने का आदेश दिया और धन सिंह के नेतृत्व में देर रात दो बजे जेल तोड़कर 836 कैदियों को छुड़ाकर जेल को आग लगा दी गई। छुड़ाए कैदी भी क्रान्ति में शामिल हो गए। उससे पहले भीड़ ने पूरे सदर बाजार और कैंट क्षेत्र में जो कुछ भी अंग्रेजों से सम्बन्धित था, सब नष्ट कर दिया। रात में ही विद्रोही सैनिक [[दिल्ली]] कूच कर गए और विद्रोह [[मेरठ]] के देहात में भी फैल गया।
 
विद्रोह की खबर मिलते ही आस-पास के गांव के हजारों ग्रामीण मेरठ की सदर कोतवाली क्षेत्र में जमा हो गए। इसी कोतवाली में धन सिंह पुलिस प्रमुख थे। 10 मई, 1857 को धन सिंह की योजना के अनुसार बड़ी चतुराई से ब्रिटिश सरकार के वफादार पुलिस कर्मियों को कोतवाली के भीतर चले जाने और वहीं रहने का आदेश दिया और धन सिंह के नेतृत्व में देर रात दो बजे जेल तोड़कर 836 कैदियों को छुड़ाकर जेल को आग लगा दी गई। छुड़ाए कैदी भी क्रान्ति में शामिल हो गए। उससे पहले भीड़ ने पूरे सदर बाजार और कैंट क्षेत्र में जो कुछ भी अंग्रेजों से सम्बन्धित था, सब नष्ट कर दिया। रात में ही विद्रोही सैनिक [[दिल्ली]] कूच कर गए और विद्रोह [[मेरठ]] के देहात में भी फैल गया।
 
==शहादत==
 
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इस क्रान्ति के पश्चात् ब्रिटिश सरकार ने धन सिंह को मुख्य रूप से दोषी ठहराया। इसके बाद घन सिंह को गिरफ्तार कर मेरठ के एक चौराहे पर फाँसी पर लटका दिया गया।  
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इस क्रान्ति के पश्चात् ब्रिटिश सरकार ने धन सिंह को मुख्य रूप से दोषी ठहराया। इसके बाद घन सिंह को गिरफ्तार कर मेरठ के एक चौराहे पर फाँसी पर लटका दिया गया।
 
 
 
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
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धन सिंह गुर्जर

धन सिंह गुर्जर (अंग्रेज़ी: Dhan Singh Gurjar, जन्म- 1820; मृत्यु- 4 जुलाई, 1857) भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे। मेरठ क्रान्ति का प्रारम्भ 10 मई, 1857 को हुआ था। क्रान्ति की शुरूआत करने का श्रेय अमर शहीद कोतवाल धनसिंह गुर्जर को जाता है।

क्रांतिकारी योजना

उस दिन मेरठ में धन सिंह के नेतृत्व मे विद्रोही सैनिकों और पुलिस फोर्स ने अंग्रेजों के विरूद्ध क्रान्तिकारी घटनाओं को अंजाम दिया। धन सिंह कोतवाल जनता के सम्पर्क में थे। उनका संदेश मिलते ही हजारों की संख्या में क्रान्तिकारी रात में मेरठ पहुंच गये। समस्त पश्चिमी उत्तर प्रदेश, देहरादून, दिल्ली, मुरादाबाद, बिजनौर, आगरा, झांसी, पंजाब, राजस्थान से लेकर महाराष्ट्र तक के क्रांतिकारी इस स्वतन्त्रता संग्राम में कूद पड़े।

विद्रोह की खबर मिलते ही आस-पास के गांव के हजारों ग्रामीण मेरठ की सदर कोतवाली क्षेत्र में जमा हो गए। इसी कोतवाली में धन सिंह पुलिस प्रमुख थे। 10 मई, 1857 को धन सिंह की योजना के अनुसार बड़ी चतुराई से ब्रिटिश सरकार के वफादार पुलिस कर्मियों को कोतवाली के भीतर चले जाने और वहीं रहने का आदेश दिया और धन सिंह के नेतृत्व में देर रात दो बजे जेल तोड़कर 836 कैदियों को छुड़ाकर जेल को आग लगा दी गई। छुड़ाए कैदी भी क्रान्ति में शामिल हो गए। उससे पहले भीड़ ने पूरे सदर बाजार और कैंट क्षेत्र में जो कुछ भी अंग्रेजों से सम्बन्धित था, सब नष्ट कर दिया। रात में ही विद्रोही सैनिक दिल्ली कूच कर गए और विद्रोह मेरठ के देहात में भी फैल गया।

शहादत

इस क्रान्ति के पश्चात् ब्रिटिश सरकार ने धन सिंह को मुख्य रूप से दोषी ठहराया। इसके बाद घन सिंह को गिरफ्तार कर मेरठ के एक चौराहे पर फाँसी पर लटका दिया गया।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

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