"पूना की सन्धि" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
छो (Adding category Category:महाराष्ट्र का इतिहास (को हटा दिया गया हैं।))
 
(एक अन्य सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
*'''पूना की सन्धि''' [[3 जून]], 1818 ई. में [[पेशवा]] [[बाजीराव द्वितीय]] और [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] के मध्य हुई थी। इस लड़ाई में पेशवा की सेना हार गई और उसका योग्य सेनापति गोखले मारा गया। बाजीराव द्वितीय एक क़ायर और विश्वासघाती व्यक्ति था। [[नाना फड़नवीस]] की मृत्यु के बाद वह स्वयं ही सत्ता सुख भोगने के लिए आतुर हो उठा था।
+
'''पूना की सन्धि''' [[3 जून]], 1818 ई. में [[पेशवा]] [[बाजीराव द्वितीय]] और [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] के मध्य हुई थी। इस लड़ाई में पेशवा की सेना हार गई और उसका योग्य सेनापति गोखले मारा गया।  
*नाना फड़नवीस की मृत्यु के बाद उसके रिक्त पद के लिए [[दौलतराव शिन्दे]] और जसवन्तराव होल्कर में प्रतिद्वन्द्विता शुरू हो गई थी। इस प्रतिद्वन्द्विता के कारण जो युद्ध हुआ, उसमें बाजीराव द्वितीय ने शिन्दे का साथ दिया, लेकिन होल्कर की सेना ने उन दोनों की संयुक्त सेना को पराजित कर दिया।
+
==सन्धि के मुख्य बिन्दु==
 +
*बाजीराव द्वितीय एक क़ायर और विश्वासघाती व्यक्ति था। [[नाना फड़नवीस]] की मृत्यु के बाद वह स्वयं ही सत्ता सुख भोगने के लिए आतुर हो उठा था। नाना फड़नवीस की मृत्यु के बाद उसके रिक्त पद के लिए [[दौलतराव शिन्दे]] और जसवन्तराव होल्कर में प्रतिद्वन्द्विता शुरू हो गई थी। इस प्रतिद्वंद्विता के कारण जो युद्ध हुआ, उसमें बाजीराव द्वितीय ने शिन्दे का साथ दिया, लेकिन होल्कर की सेना ने उन दोनों की संयुक्त सेना को पराजित कर दिया।
 
*भयभीत पेशवा बाजीराव द्वितीय ने 1801 ई. में [[बसई]] भागकर अंग्रेज़ों की शरण ली और वहीं एक अंग्रेज़ी जहाज़ पर [[बसई की सन्धि]] (31 दिसम्बर, 1802) पर हस्ताक्षर कर दिये। इसके द्वारा उसने [[ईस्ट इंडिया कम्पनी]] का आश्रित होना स्वीकार कर लिया।
 
*भयभीत पेशवा बाजीराव द्वितीय ने 1801 ई. में [[बसई]] भागकर अंग्रेज़ों की शरण ली और वहीं एक अंग्रेज़ी जहाज़ पर [[बसई की सन्धि]] (31 दिसम्बर, 1802) पर हस्ताक्षर कर दिये। इसके द्वारा उसने [[ईस्ट इंडिया कम्पनी]] का आश्रित होना स्वीकार कर लिया।
*अंग्रेज़ों ने बाजीराव द्वितीय को राजधानी [[पूना]] में पुन: सत्तासीन करने का वचन दिया और पेशवा की रक्षा के लिए उसने राज्य में पर्याप्त सेना रखने की ज़िम्मेदारी ली। इसके बदले में पेशवा ने कम्पनी को इतना [[मराठा]] इलाक़ा देना स्वीकार कर लिया, जिससे कम्पनी की सेना का ख़र्च निकल आए।
+
*[[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] ने बाजीराव द्वितीय को राजधानी [[पूना]] में पुन: सत्तासीन करने का वचन दिया और पेशवा की रक्षा के लिए उसने राज्य में पर्याप्त सेना रखने की ज़िम्मेदारी ली। इसके बदले में पेशवा ने कम्पनी को इतना [[मराठा]] इलाक़ा देना स्वीकार कर लिया, जिससे कम्पनी की सेना का ख़र्च निकल आए।
*मराठा सरदारों ने बसई की सन्धि के प्रति अपना रोष प्रकट किया, क्योंकि उन्हें लगा कि पेशवा ने अपनी क़ायरता के कारण उन सभी की स्वतंत्रता बेच दी है।
+
*मराठा सरदारों ने [[बसई की सन्धि]] के प्रति अपना रोष प्रकट किया, क्योंकि उन्हें लगा कि पेशवा ने अपनी क़ायरता के कारण उन सभी की स्वतंत्रता बेच दी है।
 
*पेशवा बाजीराव द्वितीय ने शीघ्र ही सिद्ध कर दिया कि वह केवल क़ायर ही नहीं, बल्कि विश्वासघाती भी है। वह अंग्रेज़ों के साथ हुई सन्धि के प्रति भी सच्चा साबित नहीं हुआ।
 
*पेशवा बाजीराव द्वितीय ने शीघ्र ही सिद्ध कर दिया कि वह केवल क़ायर ही नहीं, बल्कि विश्वासघाती भी है। वह अंग्रेज़ों के साथ हुई सन्धि के प्रति भी सच्चा साबित नहीं हुआ।
 
*सन्धि के द्वारा लगाये गये प्रतिबन्ध उसे रुचिकर नहीं लगे। उसने मराठा सरदारों में व्याप्त रोष और असंतोष का फ़ायदा उठाकर उन्हें अंग्रेज़ों के विरुद्ध दुबारा संगठित किया।
 
*सन्धि के द्वारा लगाये गये प्रतिबन्ध उसे रुचिकर नहीं लगे। उसने मराठा सरदारों में व्याप्त रोष और असंतोष का फ़ायदा उठाकर उन्हें अंग्रेज़ों के विरुद्ध दुबारा संगठित किया।
*नवम्बर 1817 में बाजीराव द्वितीय के नेतृत्व में संगठित मराठा सेना ने पूना की अंग्रेज़ी रेजीडेन्सी को लूटकर जला दिया और खड़की स्थित अंग्रेज़ी सेना पर हमला कर दिया, लेकिन वह पराजित हो गया।
+
*[[नवम्बर]] 1817 में बाजीराव द्वितीय के नेतृत्व में संगठित मराठा सेना ने पूना की अंग्रेज़ी रेजीडेन्सी को लूटकर जला दिया और खड़की स्थित अंग्रेज़ी सेना पर हमला कर दिया, लेकिन वह पराजित हो गया। तदनन्तर वह दो और लड़ाइयों में, [[जनवरी]] 1818 में 'कोरेगाँव' और एक महीने के बाद [[आष्टी की लड़ाई]] में भी पराजित हुआ। बाजीराव द्वितीय ने भागने की कोशिश की, लेकिन [[3 जून]], 1818 ई. को उसे अंग्रेज़ों के सामने आत्म समर्पण करना ही पड़ा और उनसे सन्धि करनी पड़ी। यह सन्धि [[इतिहास]] में '''पूना की सन्धि''' के नाम से प्रसिद्ध है।
*तदनन्तर वह दो और लड़ाइयों में ,जनवरी 1818 में 'कोरेगाँव' और एक महीने के बाद [[आष्टी की लड़ाई]] में भी पराजित हुआ।
 
*बाजीराव द्वितीय ने भागने की कोशिश की, लेकिन [[3 जून]], 1818 ई. को उसे अंग्रेज़ों के सामने आत्म समर्पण करना ही पड़ा और उनसे सन्धि करनी पड़ी।
 
*यह सन्धि [[इतिहास]] में '''पूना की सन्धि''' के नाम से प्रसिद्ध है।
 
 
*अंग्रेज़ों ने इस बार [[पेशवा]] का पद ही समाप्त कर दिया और [[बाजीराव द्वितीय]] को अपदस्थ करके बंदी के रूप में [[कानपुर]] के निकट [[बिठूर]] भेज दिया, जहाँ 1853 ई. में उसकी मृत्यु हो गई।
 
*अंग्रेज़ों ने इस बार [[पेशवा]] का पद ही समाप्त कर दिया और [[बाजीराव द्वितीय]] को अपदस्थ करके बंदी के रूप में [[कानपुर]] के निकट [[बिठूर]] भेज दिया, जहाँ 1853 ई. में उसकी मृत्यु हो गई।
*मराठों की स्वतंत्रता नष्ट करने के लिए वह सबसे अधिक ज़िम्मेदार था।
+
*मराठों की स्वतंत्रता नष्ट करने के लिए बाजीराव द्वितीय सबसे अधिक ज़िम्मेदार था।
  
 
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
 
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{संदर्भ ग्रंथ}}
 
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
<references/>
 
<references/>
 
==संबंधित लेख==
 
==संबंधित लेख==
{{युद्ध सन्धियाँ}}
+
{{युद्ध सन्धियाँ}}{{औपनिवेशिक काल}}
{{औपनिवेशिक काल}}
 
 
[[Category:इतिहास कोश]]
 
[[Category:इतिहास कोश]]
 
[[Category:औपनिवेशिक काल]]
 
[[Category:औपनिवेशिक काल]]
[[Category:मराठा साम्राज्य]]
+
[[Category:मराठा साम्राज्य]][[Category:जाट-मराठा काल]]
 
[[Category:आधुनिक काल]]
 
[[Category:आधुनिक काल]]
 
[[Category:पुणे]]
 
[[Category:पुणे]]
 
[[Category:महाराष्ट्र का इतिहास]]
 
[[Category:महाराष्ट्र का इतिहास]]
 
__INDEX__
 
__INDEX__

11:38, 23 अप्रैल 2012 के समय का अवतरण

पूना की सन्धि 3 जून, 1818 ई. में पेशवा बाजीराव द्वितीय और अंग्रेज़ों के मध्य हुई थी। इस लड़ाई में पेशवा की सेना हार गई और उसका योग्य सेनापति गोखले मारा गया।

सन्धि के मुख्य बिन्दु

  • बाजीराव द्वितीय एक क़ायर और विश्वासघाती व्यक्ति था। नाना फड़नवीस की मृत्यु के बाद वह स्वयं ही सत्ता सुख भोगने के लिए आतुर हो उठा था। नाना फड़नवीस की मृत्यु के बाद उसके रिक्त पद के लिए दौलतराव शिन्दे और जसवन्तराव होल्कर में प्रतिद्वन्द्विता शुरू हो गई थी। इस प्रतिद्वंद्विता के कारण जो युद्ध हुआ, उसमें बाजीराव द्वितीय ने शिन्दे का साथ दिया, लेकिन होल्कर की सेना ने उन दोनों की संयुक्त सेना को पराजित कर दिया।
  • भयभीत पेशवा बाजीराव द्वितीय ने 1801 ई. में बसई भागकर अंग्रेज़ों की शरण ली और वहीं एक अंग्रेज़ी जहाज़ पर बसई की सन्धि (31 दिसम्बर, 1802) पर हस्ताक्षर कर दिये। इसके द्वारा उसने ईस्ट इंडिया कम्पनी का आश्रित होना स्वीकार कर लिया।
  • अंग्रेज़ों ने बाजीराव द्वितीय को राजधानी पूना में पुन: सत्तासीन करने का वचन दिया और पेशवा की रक्षा के लिए उसने राज्य में पर्याप्त सेना रखने की ज़िम्मेदारी ली। इसके बदले में पेशवा ने कम्पनी को इतना मराठा इलाक़ा देना स्वीकार कर लिया, जिससे कम्पनी की सेना का ख़र्च निकल आए।
  • मराठा सरदारों ने बसई की सन्धि के प्रति अपना रोष प्रकट किया, क्योंकि उन्हें लगा कि पेशवा ने अपनी क़ायरता के कारण उन सभी की स्वतंत्रता बेच दी है।
  • पेशवा बाजीराव द्वितीय ने शीघ्र ही सिद्ध कर दिया कि वह केवल क़ायर ही नहीं, बल्कि विश्वासघाती भी है। वह अंग्रेज़ों के साथ हुई सन्धि के प्रति भी सच्चा साबित नहीं हुआ।
  • सन्धि के द्वारा लगाये गये प्रतिबन्ध उसे रुचिकर नहीं लगे। उसने मराठा सरदारों में व्याप्त रोष और असंतोष का फ़ायदा उठाकर उन्हें अंग्रेज़ों के विरुद्ध दुबारा संगठित किया।
  • नवम्बर 1817 में बाजीराव द्वितीय के नेतृत्व में संगठित मराठा सेना ने पूना की अंग्रेज़ी रेजीडेन्सी को लूटकर जला दिया और खड़की स्थित अंग्रेज़ी सेना पर हमला कर दिया, लेकिन वह पराजित हो गया। तदनन्तर वह दो और लड़ाइयों में, जनवरी 1818 में 'कोरेगाँव' और एक महीने के बाद आष्टी की लड़ाई में भी पराजित हुआ। बाजीराव द्वितीय ने भागने की कोशिश की, लेकिन 3 जून, 1818 ई. को उसे अंग्रेज़ों के सामने आत्म समर्पण करना ही पड़ा और उनसे सन्धि करनी पड़ी। यह सन्धि इतिहास में पूना की सन्धि के नाम से प्रसिद्ध है।
  • अंग्रेज़ों ने इस बार पेशवा का पद ही समाप्त कर दिया और बाजीराव द्वितीय को अपदस्थ करके बंदी के रूप में कानपुर के निकट बिठूर भेज दिया, जहाँ 1853 ई. में उसकी मृत्यु हो गई।
  • मराठों की स्वतंत्रता नष्ट करने के लिए बाजीराव द्वितीय सबसे अधिक ज़िम्मेदार था।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख