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*फ़्राँसिस बुकानन, एक चिकित्सक था जो [[भारत]] आया और [[बंगाल]] चिकित्सा सेवा में <ref>1794 से 1815 तक</ref> कार्य किया।
 
*फ़्राँसिस बुकानन, एक चिकित्सक था जो [[भारत]] आया और [[बंगाल]] चिकित्सा सेवा में <ref>1794 से 1815 तक</ref> कार्य किया।
 
*कुछ वर्षों तक, वह भारत के गर्वनर जनरल लार्ड बेलेज़्ली का शल्य-चिकित्सक रहा।
 
*कुछ वर्षों तक, वह भारत के गर्वनर जनरल लार्ड बेलेज़्ली का शल्य-चिकित्सक रहा।
*[[कोलकाता]] के अपने प्रवास के दौरान उसने कोलकाता में एक चिड़ियाघर की स्थापना की, जो '[[अलीपुर चिडि़याघर कोलकाता।कलकत्ता अलीपुर चिड़ियाघर]]' कहलाया।
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*[[कोलकाता]] के अपने प्रवास के दौरान उसने कोलकाता में एक चिड़ियाघर की स्थापना की, जो '[[अलीपुर चिडि़याघर कोलकाता|कलकत्ता अलीपुर चिड़ियाघर]]' कहलाया।
 
*वे थोड़े समय के लिए वानस्पतिक उद्यान के प्रभारी रहे।  
 
*वे थोड़े समय के लिए वानस्पतिक उद्यान के प्रभारी रहे।  
*बंगाल सरकार के अनुरोध पर उन्होंने [[ब्रिटिश]] [[ईस्ट इंडिया कंपनी]] के अधिकार क्षेत्र में आने वाली भूमि का विस्तृत सर्वेक्षण किया।  
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*बंगाल सरकार के अनुरोध पर उन्होंने [[ब्रिटिश साम्राज्य|ब्रिटिश]] [[ईस्ट इंडिया कंपनी]] के अधिकार क्षेत्र में आने वाली भूमि का विस्तृत सर्वेक्षण किया।  
 
*1815 में वह बीमार हो गया और [[इंग्लैण्ड]] चले गया।
 
*1815 में वह बीमार हो गया और [[इंग्लैण्ड]] चले गया।
 
*अपनी [[माता]] की मृत्यु के पश्चात्त वे उनकी जायदाद के वारिस बना और उसने उनके वंश के नाम 'हैमितटन' को अपना लिया। इसलिए उसे अक्सर '''बुकानन-हैमितटन''' भी कहा जाता है।
 
*अपनी [[माता]] की मृत्यु के पश्चात्त वे उनकी जायदाद के वारिस बना और उसने उनके वंश के नाम 'हैमितटन' को अपना लिया। इसलिए उसे अक्सर '''बुकानन-हैमितटन''' भी कहा जाता है।

12:08, 28 सितम्बर 2011 का अवतरण

  • फ़्राँसिस बुकानन, एक चिकित्सक था जो भारत आया और बंगाल चिकित्सा सेवा में [1] कार्य किया।
  • कुछ वर्षों तक, वह भारत के गर्वनर जनरल लार्ड बेलेज़्ली का शल्य-चिकित्सक रहा।
  • कोलकाता के अपने प्रवास के दौरान उसने कोलकाता में एक चिड़ियाघर की स्थापना की, जो 'कलकत्ता अलीपुर चिड़ियाघर' कहलाया।
  • वे थोड़े समय के लिए वानस्पतिक उद्यान के प्रभारी रहे।
  • बंगाल सरकार के अनुरोध पर उन्होंने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के अधिकार क्षेत्र में आने वाली भूमि का विस्तृत सर्वेक्षण किया।
  • 1815 में वह बीमार हो गया और इंग्लैण्ड चले गया।
  • अपनी माता की मृत्यु के पश्चात्त वे उनकी जायदाद के वारिस बना और उसने उनके वंश के नाम 'हैमितटन' को अपना लिया। इसलिए उसे अक्सर बुकानन-हैमितटन भी कहा जाता है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1794 से 1815 तक

बाहरी कड़ियाँ

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