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राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी (जन्म- 1901 ई. में भड़गा ग्राम, [[अखण्डित बंगाल|बंगाल]]; मृत्यु-[[17 दिसंबर]], 1927) एक प्रसिद्ध क्रांतिकारी थे।   
 
राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी (जन्म- 1901 ई. में भड़गा ग्राम, [[अखण्डित बंगाल|बंगाल]]; मृत्यु-[[17 दिसंबर]], 1927) एक प्रसिद्ध क्रांतिकारी थे।   
 
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फांसी के फंदे तक जाने से पूर्व लाहिड़ी ने स्नान और [[गीता]] पाठ किया और कुछ व्यायाम भी किया। [[अंग्रेज़]] मजिस्ट्रेट को उनके व्यायाम करने पर आश्चर्य हुआ। उसके पूछने पर लाहिड़ी ने उत्तर दिया-  
 
फांसी के फंदे तक जाने से पूर्व लाहिड़ी ने स्नान और [[गीता]] पाठ किया और कुछ व्यायाम भी किया। [[अंग्रेज़]] मजिस्ट्रेट को उनके व्यायाम करने पर आश्चर्य हुआ। उसके पूछने पर लाहिड़ी ने उत्तर दिया-  
<blockquote>मैं हिन्दु हूँ और मेरा विश्वास है कि मैं देश की आजादी के लिए पुन: दूसरा शरीर धारण करने जा रहा हूँ, वह शरीर स्वस्थ और बलिष्ठ हो, इसीलिए मैंने व्यायाम किया।</blockquote>
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<blockquote>मैं हिन्दू हूँ और मेरा विश्वास है कि मैं देश की आजादी के लिए पुन: दूसरा शरीर धारण करने जा रहा हूँ, वह शरीर स्वस्थ और बलिष्ठ हो, इसीलिए मैंने व्यायाम किया।</blockquote>
  
  
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05:47, 31 अक्टूबर 2011 का अवतरण

राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी (जन्म- 1901 ई. में भड़गा ग्राम, बंगाल; मृत्यु-17 दिसंबर, 1927) एक प्रसिद्ध क्रांतिकारी थे।

जीवन परिचय

राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी का जन्म बंगाल के पाबना ज़िले के भड़गा नामक ग्राम में हुआ था। लेकिन इनका परिवार 1909 ई. वाराणसी चला आया था, अत: राजेन्द्रनाथ की शिक्षा-दीक्षा वाराणसी से ही हुई। जिस समय वे एम. ए. में पढ़ रहे थे, उनका संपर्क क्रांतिकारी शचीन्द्रनाथ सान्याल से हुआ। सान्याल बंगाल के क्रांतिकारी 'युगांतर' दल से संबद्ध थे। वहाँ एक दूसरा दल भी 'अनुशीलन' के नाम से काम करने लगे। राजेन्द्रनाथ इस संघ की प्रतीय समिति के सदस्य थे। अन्य सदस्यों में पंडित रामप्रसाद बिस्मिल भी सम्मिलित थे। काकोरी ट्रेन कांड में जिन क्रांतिकारियों ने प्रत्यक्ष भाग लिया उनमें राजेन्द्रनाथ भी थे। बाद में वे बम बनाने की शिक्षा प्राप्त करने और बंगाल के क्रांतिकारी दलों से संपर्क बढाने के उद्देश्य से कोलकाता गए। वहाँ दक्षिणेश्वर बम फैक्ट्रीकांड में पकड़े गए और इस मामले में दस वर्ष की सजा हुई।

मृत्यु

राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी की मृत्यु 17 दिसंबर, 1927 को उत्तर प्रदेश की गोंडा जेल में फांसी देने के कारण हुई।

विचार

फांसी के फंदे तक जाने से पूर्व लाहिड़ी ने स्नान और गीता पाठ किया और कुछ व्यायाम भी किया। अंग्रेज़ मजिस्ट्रेट को उनके व्यायाम करने पर आश्चर्य हुआ। उसके पूछने पर लाहिड़ी ने उत्तर दिया-

मैं हिन्दू हूँ और मेरा विश्वास है कि मैं देश की आजादी के लिए पुन: दूसरा शरीर धारण करने जा रहा हूँ, वह शरीर स्वस्थ और बलिष्ठ हो, इसीलिए मैंने व्यायाम किया।



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

लीलाधर, शर्मा भारतीय चरित कोश (हिन्दी)। भारतडिस्कवरी पुस्तकालय: शिक्षा भारती, 711।

बाहरी कड़ियाँ

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