हृद्य

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
व्यवस्थापन (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:42, 20 अप्रैल 2018 का अवतरण (Text replacement - "==संबंधित लेख==" to "==संबंधित लेख== {{पाणिनिकालीन शब्दावली}}")
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें

हृद्य पाणिनिकालीन भारत में प्रचलित एक शब्द था।

  • पाणिनि ने एक सूत्र में उन वशीकरण मंत्रों का भी उल्लेख किया है, जिनका जप करके पुरुष स्त्री के हृदय को अपने वश में कर लेता था। यह मंत्र वैदिक है, जो अथर्ववेद में संग्रहित है। स्त्री हृदय को बांधने वाले यह मंत्र ‘हृद्य’ कहलाते थे।[1][2]


इन्हें भी देखें: पाणिनि, अष्टाध्यायी एवं भारत का इतिहास


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. बंधने चर्षौ, 4/4/ 96; पर हृदयम येन बध्यते वशीक्रियते स वशीकरण मंत्रों हृद्य इत्युच्यते
  2. पाणिनीकालीन भारत |लेखक: वासुदेवशरण अग्रवाल |प्रकाशक: चौखम्बा विद्याभवन, वाराणसी-1 |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 101 |

संबंधित लेख