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'''प्रयोग'''- [[घर आँगन हो जाना|घर]] पर कौन तुम्हारी स्त्री है कि तुम्हारे लिए [[आँख|आँखें]] बिछाए बैठी होगी। - ([[जवाहर सिंह]])
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आँखें बिछाना एक प्रचलित लोकोक्ति अथवा हिन्दी मुहावरा है।

अर्थ- स्नेह या आदरपूर्वक किसी का स्वागत करना।

प्रयोग- घर पर कौन तुम्हारी स्त्री है कि तुम्हारे लिए आँखें बिछाए बैठी होगी। - (जवाहर सिंह)


टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

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