"कठण थयां रे माधव मथुरां जाई -मीरां" के अवतरणों में अंतर
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अहियाथकी हरी हवडां पधार्या। औद्धव साचे अटक्यारे॥1॥ | अहियाथकी हरी हवडां पधार्या। औद्धव साचे अटक्यारे॥1॥ | ||
अंगें सोबरणीया बावा पेर्या। शीर पितांबर पटकोरे॥2॥ | अंगें सोबरणीया बावा पेर्या। शीर पितांबर पटकोरे॥2॥ | ||
− | गोकुळमां एक रास रच्यो छे। कहां न कुबड्या संग | + | गोकुळमां एक रास रच्यो छे। कहां न कुबड्या संग अतक्योरे॥3॥ |
− | कालीसी कुबजा ने आंगें छे कुबडी। ये शूं करी जाणे | + | कालीसी कुबजा ने आंगें छे कुबडी। ये शूं करी जाणे लटकोरे॥4॥ |
− | ये छे काळी ने ते छे। कुबडी रंगे रंग बाच्यो | + | ये छे काळी ने ते छे। कुबडी रंगे रंग बाच्यो चटकोरे॥5॥ |
− | मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। खोळामां घुंघट | + | मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। खोळामां घुंघट खटकोरे॥6॥ |
11:29, 1 नवम्बर 2014 के समय का अवतरण
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कठण थयां रे माधव मथुरां जाई। कागळ न लख्यो कटकोरे॥ध्रु०॥ |