"कोशिश करने वालों की हार नहीं होती -सोहन लाल द्विवेदी" के अवतरणों में अंतर

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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
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*कई लोग इस रचना को [[हरिवंशराय बच्चन]] द्वारा रचित मानते हैं। लेकिन [[अमिताभ बच्चन]] ने अपनी [https://www.facebook.com/AmitabhBachchan/posts/1153934214640366 एक फ़ेसबुक पोस्ट] में स्पष्ट किया है कि यह रचना सोहनलाल द्विवेदी जी की है।
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==संबंधित लेख==
 
==संबंधित लेख==
 
{{भारत के कवि}}
 
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[[Category:पद्य साहित्य]]
 
[[Category:पद्य साहित्य]]
[[Category:हरिवंश राय बच्चन]]
 
 
[[Category:कविता]]
 
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[[Category:हिन्दी कविता]]
 
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06:54, 16 दिसम्बर 2015 के समय का अवतरण

कोशिश करने वालों की हार नहीं होती -सोहन लाल द्विवेदी
सोहन लाल द्विवेदी
कवि सोहन लाल द्विवेदी
जन्म 22 फ़रवरी, 1906
मृत्यु 1 मार्च, 1988
मुख्य रचनाएँ भैरवी, पूजागीत सेवाग्राम, प्रभाती, युगाधार, कुणाल, चेतना, बाँसुरी, दूधबतासा आदि।
अन्य जानकारी पं. सोहनलाल द्विवेदी स्वतंत्रता आंदोलन युग के एक ऐसे विराट कवि थे, जिन्होंने जनता में राष्ट्रीय चेतना जागृति करने, उनमें देश-भक्ति की भावना भरने और नवयुवकों को देश के लिए बड़े से बड़े बलिदान के लिए प्रेरित करने में अपनी सारी शक्ति लगा दी।
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची

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लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती...
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती...

नन्ही चींटीं जब दाना लेकर चढ़ती है...
चढ़ती दीवारों पर सौ बार फ़िसलती है...
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है...
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना, ना अखरता है...
मेहनत उसकी बेकार हर बार नहीं होती...
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती...

डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है...
जा जा कर ख़ाली हाथ लौटकर आता है..
मिलते ना सहज ही मोती गहरे पानी में...
बढ़ता दूना विश्वास इसी हैरानी में...
मुट्ठी उसकी ख़ाली हर बार नहीं होती...
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती...

असफलता एक चुनौती है... स्वीकार करो...
क्या कमी रह गयी, देखो और सुधार करो...
जब तक ना सफल हो नींद-चैन को त्यागो तुम...
संघर्षों का मैदान छोड़ मत भागो तुम...
कुछ किये बिना ही जयजयकार नहीं होती...
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती...

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शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

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