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#अस्वस्थता, रुग्णता आदि के कारण मुँह का स्वाद बिगड़ना। | #अस्वस्थता, रुग्णता आदि के कारण मुँह का स्वाद बिगड़ना। | ||
#बढ़िया-बढ़िया और चटपटी चीज़ें खाने का चस्का पड़ना। | #बढ़िया-बढ़िया और चटपटी चीज़ें खाने का चस्का पड़ना। | ||
− | #मुँह से | + | #मुँह से अपशब्द निकलना। |
− | '''प्रयोग'''- | + | '''प्रयोग''' - |
+ | *हरीश कई दिन से बुख़ार में पड़ा हुआ है, जिस कारण उसकी 'ज़बान बिगड़' गई है। | ||
+ | *अरे बाज़ार में इतना कुछ क्यों खाते हो। आजकल तुम्हारी कुछ ज़्यादा ही 'ज़बान बिगड़' गई है। | ||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== |
13:17, 16 नवम्बर 2015 का अवतरण
ज़बान बिगड़ना एक प्रचलित लोकोक्ति अथवा हिन्दी मुहावरा है।
अर्थ-
- अस्वस्थता, रुग्णता आदि के कारण मुँह का स्वाद बिगड़ना।
- बढ़िया-बढ़िया और चटपटी चीज़ें खाने का चस्का पड़ना।
- मुँह से अपशब्द निकलना।
प्रयोग -
- हरीश कई दिन से बुख़ार में पड़ा हुआ है, जिस कारण उसकी 'ज़बान बिगड़' गई है।
- अरे बाज़ार में इतना कुछ क्यों खाते हो। आजकल तुम्हारी कुछ ज़्यादा ही 'ज़बान बिगड़' गई है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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