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दीनदयाल सुनी जबतें -मलूकदास
मलूकदास
कवि मलूकदास
जन्म 1574 सन् (1631 संवत)
मृत्यु 1682 सन् (1739 संवत)
मुख्य रचनाएँ रत्नखान, ज्ञानबोध, भक्ति विवेक
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
मलूकदास की रचनाएँ

दीनदयाल सुनी जबतें, तब तें हिय में कुछ ऐसी बसी है।
तेरो कहाय के जाऊँ कहाँ मैं, तेरे हित की पट खैंचि कसी है॥
तेरोइ एक भरोसो 'मलूक को, तेरे समान न दूजो जसी है।
ए हो मुरारि पुकारि कहौं अब, मेरी हँसी नहीं तेरी हँसी है॥

टीका टिप्पणी और संदर्भ

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