"द्रुत झरो जगत के जीर्ण पत्र -सुमित्रानंदन पंत" के अवतरणों में अंतर
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तुम वीत-राग, जड़, पुराचीन!! | तुम वीत-राग, जड़, पुराचीन!! | ||
− | + | निष्प्राण विगत-युग! मृतविहंग! | |
− | + | जग-नीड़, शब्द औ' श्वास-हीन, | |
− | + | च्युत, अस्त-व्यस्त पंखों-से तुम | |
− | + | झर-झर अनन्त में हो विलीन! | |
कंकाल-जाल जग में फैले | कंकाल-जाल जग में फैले | ||
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जीव की मांसल हरियाली! | जीव की मांसल हरियाली! | ||
− | + | मंजरित विश्व में यौवन के | |
− | + | जग कर जग का पिक, मतवाली | |
− | + | निज अमर प्रणय-स्वर मदिरा से | |
− | + | भर दे फिर नव-युग की प्याली! | |
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11:00, 29 अगस्त 2011 का अवतरण
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द्रुत झरो जगत के जीर्ण पत्र! |
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