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  • संस्कृत नाटककारों में 'भास' का नाम उल्लेखनीय है।
  • भास कालिदास के पूर्ववर्ती हैं।
  • सबसे पहले 1909 ई. में 'गणपति शास्त्री' ने भास के तेरह नाटकों की खोज की थी।
  • अभी तक भास के विषय में जो सामग्री मिलती है, उससे स्पष्ट हो जाता है कि भास ही लौकिक संस्कृत के प्रथम साहित्यकार थे।
  • भास का आविर्भाव ई. पू. पाँचवी - चौथी शती में हुआ था।
  • भास की रचनाएँ निम्नलिखित हैं-
  1. प्रतिमा
  2. अभिषक
  3. पाञ्चराज
  4. मध्यम व्यायोम
  5. दूतघटोत्कच
  6. कर्णभार
  7. दूतवाक्य
  8. उरुभंग
  9. बालचरित
  10. दरिद्रचारुदत्त
  11. अविमारक
  12. प्रतिज्ञायौगन्धरायण
  13. स्वप्नवासवदत्ता
  • भास ने अपने नाटकों के माध्यम से सामाजिक जीवन के विभिन्न अंगों का अच्छा चित्रण प्रस्तुत किया।
  • उनकी शैली सीधी तथा सरल है तथा नाटकों का मंचन आसानी से किया जा सकता है।
  • समस्त पदों अथवा अलंकारों के भार से उनके नाटक बोझिल नहीं होने पाये हैं।



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