सूर्यमल्ल मिश्रण

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सूर्यमल्ल मिश्रण राजस्थान के हाड़ा शासक महाराव रामसिंह के प्रसिद्ध दरबारी कवि थे। इनकी सर्वाधिक प्रसिद्ध रचना 'वंश भास्कर' है, जिसमें बूंदी के चौहान शासकों का इतिहास है। इनके द्वारा रचित अन्य ग्रंथ 'वीर सतसई', 'बलवंत विलास' व 'छंद मयूख' हैं। वीर रस के इस कवि को रसावतार कहा जाता है। सूर्यमल मिश्रण को आधुनिक राजस्थानी काव्य के नवजागरण का पुरोधा कवि माना जाता है। ये अपने अपूर्व ग्रंथ 'वीर सतसई' के प्रथम दोहे में ही अंग्रेज़ी दासता के विरूद्ध बिगुल बजाते हुए प्रतीत हुए।

सूर्यमल्ल (मिश्रण) (संवत्‌ 1872 विक्रमी - संवत्‌ 1920 विक्रमी) बूँदी के हाड़ा शासक महाराव रामसिंह के दरबारी कवि थे। उन्होने वंशभास्कर नामक पिंगल काव्य ग्रन्थ की रचना की जिसमें बूँदी राज्य का विस्तृत इतिहास के साथ-साथ उत्तरी भारत का इतिहास तथा राजस्थान में मराठा विरोधी भावना का उल्लेख किया गया है। वे चारणों की मिश्रण शाखा से संबद्ध थे। वे वस्तुत: राष्ट्रीय-विचारधारा तथा भारतीय-संस्कृति के उद्बोधक कवि थे।


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