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कात्या सिंह (चर्चा | योगदान) |
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− | कुछ न हुआ, न हो | + | कुछ न हुआ, |
− | मुझे विश्व का सुख, श्री, यदि केवल | + | न हो, |
− | + | मुझे विश्व का सुख, श्री, | |
− | + | यदि केवल पास तुम रहो! | |
मेरे नभ के बादल यदि न कटे- | मेरे नभ के बादल यदि न कटे- | ||
− | + | चन्द्र रह गया ढका, | |
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तिमिर रात को तिरकर यदि न अटे | तिमिर रात को तिरकर यदि न अटे | ||
+ | लेश गगन-भास का, | ||
− | + | रहेंगे अधर हँसते, | |
− | + | पथ पर, | |
− | रहेंगे अधर हँसते, पथ पर, तुम | + | तुम हाथ यदि गहो। |
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− | + | बहु-रस साहित्य विपुल यदि न पढ़ा- | |
+ | मन्द सबों ने कहा, | ||
+ | मेरा काव्यानुमान यदि न बढ़ा- | ||
+ | ज्ञान, जहाँ का रहा, | ||
− | रहे, समझ है मुझमें पूरी, तुम | + | रहे, |
+ | समझ है मुझमें पूरी, | ||
+ | तुम कथा यदि कहो। | ||
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14:00, 19 दिसम्बर 2011 का अवतरण
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कुछ न हुआ, |
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