परशुराम क्षेत्र

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
व्यवस्थापन (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 07:52, 7 नवम्बर 2017 का अवतरण (Text replacement - "अर्थात " to "अर्थात् ")
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें

परशुराम क्षेत्र प्राचीन समय से ही कथाओं और साहित्य आदि में विशेष रूप से प्रसिद्ध रहा है। मालाबार और कोंकण अर्थात् केरल, कर्नाटक, गोवा और महाराष्ट्र के सम्मिलित समुद्री क्षेत्र को ही 'परशुराम क्षेत्र' कहा गया है।

  • एक जनश्रुति के अनुसार गोवा, जिसमें कोंकण क्षेत्र भी है और जिसका विस्तार गुजरात से केरल तक माना जाता है, की रचना परशुराम ने की थी।
  • कहावत है कि परशुराम ने एक यज्ञ के दौरान अपने बाणों की वर्षा से समुद्र को कई स्थानों पर पीछे धकेल दिया था।
  • लोगों का कहना है कि इसी वजह से आज भी गोवा में बहुत से स्थानों का नाम 'वाणावली' और 'वाणस्थली' इत्यादि है।
  • उत्तरी गोवा में हरमल के पास आज भी भूरे रंग के एक पर्वत को परशुराम के यज्ञ करने का स्थान माना जाता है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख