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'''जीसैट-4''' '[[भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन]]' (इसरो) द्वारा निर्मित भू-स्थिर उपग्रहों में उन्नीसवाँ और जीसैट शृंखला में चौथा उपग्रह था। जीसैट-4 मूलतः निम्नलिखित नई प्रौद्योगिकियों के परीक्षण के उद्देश्य से एक प्रायोगिक उपग्रह था-
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'''जीसैट-4''' '[[भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन]]' (इसरो) द्वारा निर्मित भू-स्थिर उपग्रहों में उन्नीसवाँ और जीसैट श्रृंखला में चौथा उपग्रह था। जीसैट-4 मूलतः निम्नलिखित नई प्रौद्योगिकियों के परीक्षण के उद्देश्य से एक प्रायोगिक उपग्रह था-
 
#इलेक्ट्रिक नोदन प्रणाली
 
#इलेक्ट्रिक नोदन प्रणाली
 
#बस प्रबंधन इकाई
 
#बस प्रबंधन इकाई

11:55, 9 फ़रवरी 2021 के समय का अवतरण

जीसैट-4 'भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन' (इसरो) द्वारा निर्मित भू-स्थिर उपग्रहों में उन्नीसवाँ और जीसैट श्रृंखला में चौथा उपग्रह था। जीसैट-4 मूलतः निम्नलिखित नई प्रौद्योगिकियों के परीक्षण के उद्देश्य से एक प्रायोगिक उपग्रह था-

  1. इलेक्ट्रिक नोदन प्रणाली
  2. बस प्रबंधन इकाई
  3. डेटा संचार के लिए 1553 बस
  4. लघुकृत गतिक रूप से ट्यून किए गए जायरो
  5. 36 एएच लिथियम आयन बैटरी
  6. के.ए. बैंड टी.डब्ल्यू.टी.ए के लिए 70 वी बस

जीसैट-4 को कक्षा में स्थापित नहीं किया जा सका, क्योंकि जीएसएलवी-डी3 के द्वारा मिशन पूरा नहीं किया जा सका।


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