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'''खालसा भूमि''' [[सल्तनत काल]] में वह भूमि होती थी, जिसकी आय सुल्तान के लिये सुरक्षित रखी जाती थी। यह भूमि सीधे सुल्तान के नियंत्रण में रहती थी।
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'''खालसा भूमि''' मुग़लकालीन समय में वह भूमि होती थी, जिसकी आय बादशाह के लिये सुरक्षित रखी जाती थी। यह भूमि सीधे सुल्तान के नियंत्रण में रहती थी।
  
 
*भूमि कर के विभाजन के आधार पर [[मुग़ल साम्राज्य]] की समस्त भूमि तीन वर्गों में विभक्त थी-
 
*भूमि कर के विभाजन के आधार पर [[मुग़ल साम्राज्य]] की समस्त भूमि तीन वर्गों में विभक्त थी-
 
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प्रत्यक्ष रूप में बादशाह के अधिकार क्षेत्र में रहने वाली 'खालसा भूमि' से प्राप्त आय शाही कोष में जमा कर दी जाती थी। इस आय का उपयोग व्यक्तिगत ख़र्च पर (शाही परिवार), राजा के अंगरक्षक एवं निजी सैनिक पर, युद्ध की तैयारी आदि पर किया जाता था। सम्पूर्ण साम्राज्य का लगभग 20 प्रतिशत क्षेत्र खालसा भूमि के अन्तर्गत शामिल था। 1573 ई. में [[अकबर]] ने जागीर भूमि को कम करके खालसा भूमि के विस्तार का निर्णय लिया। [[जहाँगीर]] ने खालसा भूमि का आकार कम कर दिया था, पर [[शाहजहाँ]] ने इसका पुनः विस्तार किया। [[औरंगज़ेब]] के शासन काल के अन्तिम दिनों में खालसा भू-क्षेत्रों को जागीरों के रूप आवंटित किया जाने लगा।
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"खालसा भूमि" - प्रत्यक्ष रूप में बादशाह के अधिकार क्षेत्र में रहने वाली 'खालसा भूमि' से प्राप्त आय शाही कोष में जमा कर दी जाती थी। इस आय का उपयोग व्यक्तिगत ख़र्च पर (शाही परिवार), राजा के अंगरक्षक एवं निजी सैनिक पर, युद्ध की तैयारी आदि पर किया जाता था। सम्पूर्ण साम्राज्य का लगभग 20 प्रतिशत क्षेत्र खालसा भूमि के अन्तर्गत शामिल था। 1573 ई. में [[अकबर]] ने जागीर भूमि को कम करके खालसा भूमि के विस्तार का निर्णय लिया। [[जहाँगीर]] ने खालसा भूमि का आकार कम कर दिया था, पर [[शाहजहाँ]] ने इसका पुनः विस्तार किया। [[औरंगज़ेब]] के शासन काल के अन्तिम दिनों में खालसा भू-क्षेत्रों को जागीरों के रूप आवंटित किया जाने लगा।
  
  

07:18, 25 अप्रैल 2018 के समय का अवतरण

खालसा भूमि मुग़लकालीन समय में वह भूमि होती थी, जिसकी आय बादशाह के लिये सुरक्षित रखी जाती थी। यह भूमि सीधे सुल्तान के नियंत्रण में रहती थी।

  • भूमि कर के विभाजन के आधार पर मुग़ल साम्राज्य की समस्त भूमि तीन वर्गों में विभक्त थी-
  1. खालसा भूमि
  2. जागीर भूमि
  3. सयूरगल भूमि


"खालसा भूमि" - प्रत्यक्ष रूप में बादशाह के अधिकार क्षेत्र में रहने वाली 'खालसा भूमि' से प्राप्त आय शाही कोष में जमा कर दी जाती थी। इस आय का उपयोग व्यक्तिगत ख़र्च पर (शाही परिवार), राजा के अंगरक्षक एवं निजी सैनिक पर, युद्ध की तैयारी आदि पर किया जाता था। सम्पूर्ण साम्राज्य का लगभग 20 प्रतिशत क्षेत्र खालसा भूमि के अन्तर्गत शामिल था। 1573 ई. में अकबर ने जागीर भूमि को कम करके खालसा भूमि के विस्तार का निर्णय लिया। जहाँगीर ने खालसा भूमि का आकार कम कर दिया था, पर शाहजहाँ ने इसका पुनः विस्तार किया। औरंगज़ेब के शासन काल के अन्तिम दिनों में खालसा भू-क्षेत्रों को जागीरों के रूप आवंटित किया जाने लगा।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

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