कावेरी नदी

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कावेरी नदी
Kaveri River
  • दक्षिण की गंगा कहलाने वाली कावेरी का वर्णन कई पुराणों में बार-बार आता है ।
  • कावेरी को बहुत पवित्र नदी माना गया है।
  • कवि त्यागराज ने इसका वर्णन अपनी कविताओं में कई जगह किया है।
  • भक्तगण इसे अपनी मां के समान मानते हैं ।
  • इसके उद्गमस्थल कावेरी कुंड में हर साल देवी कावेरी का जन्मोत्सव मनाया जाता है ।
  • दक्षिण की प्रमुख नदी कावेरी का विस्तृत विवरण विष्णु पुराण में दिया गया है ।
  • यह सह्याद्रि पर्वत के दक्षिणी छोर से निकल कर दक्षिण-पूर्व की दिशा में कर्नाटक और तमिलनाडु से बहती हुई लगभग 800 किमी मार्ग तय कर कावेरीपट्टनम के पास बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है ।
  • कावेरी नदी में मिलने के वाली मुख्य नदियों में हरंगी, हेमवती, नोयिल, अमरावती, सिमसा , लक्ष्मणतीर्थ, भवानी , काबिनी मुख्य हैं ।
  • कावेरी नदी के तट पर अनेक प्राचीन तीर्थ तथा ऐतिहासिक नगर बसे हैं ।
  • कावेरी नदी तीन स्थानों पर दो शाखाओं में बंट कर फिर एक हो जाती है, जिससे तीन द्वीप बन गए हैं, उन द्वीपों पर क्रमश: आदिरंगम , शिवसमुद्रम तथा श्रीरंगम नाम से श्री विष्णु भगवान के भव्य मंदिर हैं।
  • महान शैव तीर्थ चिदम्बरम तथा जंबुकेश्वरम भी श्रीरंगम के पास स्थित हैं ।
  • इनके अतिरिक्त प्राचीन तथा गौरवमय तीर्थ नगर तंजौर , कुंभकोणम तथा त्रिचिरापल्ली इसी पवित्र नदी के तट पर स्थित हैं, जिनसे कावेरी की महत्ता बढ़ गई है ।
  • मैसूर के पास कृष्णराज सागर पर दर्शनीय ‘वृंदावन गार्डन’ इसी नदी के किनारे पर निर्मित है।

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