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'''मालिनी''' एक नदी है, जो [[अयोध्या]] से 50 मील की दूरी पर [[सरयू नदी]] में मिलती है। यहीं पर [[कण्व ऋषि]] का आश्रम था।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=पौराणिक कोश|लेखक=राणा प्रसाद शर्मा|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=ज्ञानमण्डल लिमिटेड, वाराणसी|संकलन= भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=558, परिशिष्ट 'क'|url=}}</ref>
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*मालिनी नदी [[अभिज्ञान शाकुंतलम्]] में वर्णित नदी जिसके तट पर [[शकुंतला]] के पिता कण्व का आश्रम था।
 
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*मालिनी  नदी गढ़वाल के पहाड़ों से निकल कर बिजनौर से 6 मील उत्तर की ओर [[गंगा]] में रावलीघाट नामक स्थान पर मिलती है।  
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Disamb2.jpg मालिनी एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- मालिनी (बहुविकल्पी)

मालिनी एक नदी है, जो अयोध्या से 50 मील की दूरी पर सरयू नदी में मिलती है। यहीं पर कण्व ऋषि का आश्रम था।[1]

'कार्या सैकतलोनहंसमिथुना स्त्रोतोवहा मालिनी, पादास्तामभितो निषण्णहरिणा गौरीगुरी।
पावना: शाखालंबितवल्कलस्य च तरो: निर्मातुमिच्छाम्यध: श्रृगे कृष्णामृगस्य वामनयनं कंडूयमानां मृगीम्'।।

  • महाभारत[2]में शकुतला का मेनका द्वारा मालिनी नदी के तट पर उत्सर्जित किए जाने का उल्लेख है-

'प्रस्थे हिमवतो रम्ये मालिनीमभितोनदीम्
जातमुत्युज्य तं गर्भ मेनका मालिनीमनु'॥

  • आदि पर्व महाभारत और अभिज्ञानशाकुंतल दोनों ही कथा में मालिनी नदी को हिमालय के समीप बताया गया है।
  • मालिनी नदी का अभिज्ञान गढ़वाल और बिजनौर के ज़िलों में प्रवाहित होने वाली वर्तमान नदी मालन से किया गया है।[3]
  • मालिनी नदी गढ़वाल के पहाड़ों से निकल कर बिजनौर से 6 मील उत्तर की ओर गंगा में रावलीघाट नामक स्थान पर मिलती है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. पौराणिक कोश |लेखक: राणा प्रसाद शर्मा |प्रकाशक: ज्ञानमण्डल लिमिटेड, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 558, परिशिष्ट 'क' |
  2. आदि पर्व महाभारत 72,0
  3. ग्रंथकार का लेख-मार्डन रिव्यू, अक्टूबर 1949

संबंधित लेख

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