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'''शोण नदी''' वर्तमान [[सोन नदी]], जो [[पटना]] ([[बिहार]]) के निकट [[गंगा]] में मिलती है। यह नदी [[नर्मदा नदी|नर्मदा]] के उद्गम से चार-पांच मील दूर गोंडवाना पर्वत श्रेणी (शोणभद्र) से निकलती है और प्रायः 600 मील का मार्ग तय करके गंगा में गिर जाती है। इस नदी को 'महाशोणा' तथा 'हिरण्यवाह' भी कहा गया है।<ref name="aa">{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= भारतकोश पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=911|url=}}</ref>
 
'''शोण नदी''' वर्तमान [[सोन नदी]], जो [[पटना]] ([[बिहार]]) के निकट [[गंगा]] में मिलती है। यह नदी [[नर्मदा नदी|नर्मदा]] के उद्गम से चार-पांच मील दूर गोंडवाना पर्वत श्रेणी (शोणभद्र) से निकलती है और प्रायः 600 मील का मार्ग तय करके गंगा में गिर जाती है। इस नदी को 'महाशोणा' तथा 'हिरण्यवाह' भी कहा गया है।<ref name="aa">{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= भारतकोश पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=911|url=}}</ref>
  
*[[बाणभट्ट|महाकवि बाणभट्ट]] ने 'हर्षचरित'<ref>प्रथम उच्छवास</ref> में अपना जन्म स्थान शोण तथा गंगा के [[संगम]] के निकट '[[प्रीतिकूट]]' नामक [[ग्राम]] बताया गया है।
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*[[बाणभट्ट|महाकवि बाणभट्ट]] ने 'हर्षचरित'<ref>प्रथम उच्छ्वास</ref> में अपना जन्म स्थान शोण तथा गंगा के [[संगम]] के निकट '[[प्रीतिकूट]]' नामक [[ग्राम]] बताया गया है।
 
*अपनी पूर्वजा पौराणिक [[सरस्वती देवी|देवी सरस्वती]] के मृत्युलोक में अवतीर्ण होने के स्थान को शोण के निकट वर्णित करते हुए बाण ने शोण को [[दंडकारण्य]] और [[विंध्य पर्वत|विंध्य]] से उद्गत नदी माना है और इसका उद्भव चन्द्रपर्वत बताया है। इसी चन्द्र का पर्याय सोम है और यही नर्मदा का उद्भव है। क्योंक [[साहित्य]] में नर्मदा को 'सोमोद्भवा' कहा गया है। यह [[अमरकंटक]] की एक श्रेणी है।
 
*अपनी पूर्वजा पौराणिक [[सरस्वती देवी|देवी सरस्वती]] के मृत्युलोक में अवतीर्ण होने के स्थान को शोण के निकट वर्णित करते हुए बाण ने शोण को [[दंडकारण्य]] और [[विंध्य पर्वत|विंध्य]] से उद्गत नदी माना है और इसका उद्भव चन्द्रपर्वत बताया है। इसी चन्द्र का पर्याय सोम है और यही नर्मदा का उद्भव है। क्योंक [[साहित्य]] में नर्मदा को 'सोमोद्भवा' कहा गया है। यह [[अमरकंटक]] की एक श्रेणी है।
 
*शोण नदी का उल्लेख सम्भवतः 'शोणा' के रूप में [[महाभारत]], [[भीष्मपर्व महाभारत|भीष्मपर्व]]<ref>भीष्मपर्व 9, 29</ref> में है-
 
*शोण नदी का उल्लेख सम्भवतः 'शोणा' के रूप में [[महाभारत]], [[भीष्मपर्व महाभारत|भीष्मपर्व]]<ref>भीष्मपर्व 9, 29</ref> में है-

07:57, 7 नवम्बर 2017 के समय का अवतरण

शोण नदी वर्तमान सोन नदी, जो पटना (बिहार) के निकट गंगा में मिलती है। यह नदी नर्मदा के उद्गम से चार-पांच मील दूर गोंडवाना पर्वत श्रेणी (शोणभद्र) से निकलती है और प्रायः 600 मील का मार्ग तय करके गंगा में गिर जाती है। इस नदी को 'महाशोणा' तथा 'हिरण्यवाह' भी कहा गया है।[1]

'कौशिकीं निम्नगां शोणां बाहुदामथ चंद्रमाम्।'

'तस्याः स रक्षार्थमनल्पयोधमादिश्य पियं सचिवं कुमारः, प्रत्यग्रहीत्याथिववाहिनीं तां भागीरथींशोणइवोत्तरंगः।'[4]

अर्थात् "अज इंदुमती की रक्षार्थ अपने पिता के सचिव को नियुक्त करके उसी प्रकार अपने (प्रतिद्वंदी) राजाओं की सेना पर टूट पड़ा, जिस प्रकार गंगा पर उत्ताल तरंगों वाला शोण।"[1]

'गंडकीञ्च महाशोणां सदानीरां तथैव च।'[6]

'सिंधुरंधः शोणश्च नदौ महानदी।'

  • 'शोण' शब्द का अर्थ 'गहरा लाल रंग' है, जो इस नदी के जल का विशेषण हो सकता है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 911 |
  2. प्रथम उच्छ्वास
  3. भीष्मपर्व 9, 29
  4. रघुवंश 7, 36
  5. शोण का एक नाम
  6. महाभारत, सभापर्व 20, 27

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