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कालिदास ने रघुवंश 4,38 में इस नदी का उल्लेख किया है-

'स तीर्त्वा कपिशां सैन्यैर्बद्धद्धिरदसेतुभि:,
उत्कलादर्शितपथ: कर्लिंगाभिमुखोययौ'।

यह वर्णन रघु की दिग्विजय यात्रा के प्रसंग में वंगविजय के ठीक पश्चात और और कलिंग विजय के पूर्व है जिससे जान पड़ता है कि यह नदी वर्तमान कोश्या है जिसके दक्षिण तट पर ताम्रलिप्ति (तामलुक, ज़िला मिदनापुर, पश्चिम बंगाल) बसा हुआ था। यह भी प्राय: निश्चित जान पड़ता है कि विराट पर्व 30,32 में उल्लिखित कौशिकी कोश्या या कालिदास की कपिशा है-

'तत: पुंड्राधिपंवीर वासुदेवं महाबलम्।
कौशिकीकच्छनिलयं राजानं च महौजसम्'।


टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

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