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'''वेणुकूप''' [[भांडीरवन]] के पास स्थित है। भांडीरवन [[मथुरा]]-[[माँट]] मार्ग पर स्थित हैं, जो [[कृष्ण|श्रीकृष्ण]] की विविध प्रकार की मधुर लीलाओं की स्थली है। वेणुकूप भांडीरवन में भांडीरवट के पास ही है। यहाँ श्रीकृष्ण ने अपने वेणु से एक कूप को प्रकट किया था।
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==प्रसंग==
 
==प्रसंग==
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मान्यता है कि '[[सोमवती अमावस्या]]' को [[स्नान]] किया जाता है। स्नान के बाद वस्त्र वहीं कूप के पास ही छोड़ (त्याग दिए) दिए जाते हैं।
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मान्यता है कि 'सोमवती अमावस्या' को स्नान किया जाता है। स्नान के बाद वस्त्र वहीं कूप के पास ही छोड़ (त्याग दिए) दिए जाते हैं।
 
 
  
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
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07:31, 7 नवम्बर 2017 के समय का अवतरण

वेणुकूप, भांडीरवन
वेणुकूप, भांडीरवट
विवरण वेणुकूप भांडीरवन में भांडीरवट के पास ही स्थित है। यह श्रीकृष्ण की विविध प्रकार की मधुर लीलाओं की स्थली है।
राज्य उत्तर प्रदेश
ज़िला मथुरा
प्रसिद्धि हिन्दू धार्मिक स्थल
कब जाएँ कभी भी
यातायात बस, कार, ऑटो आदि
संबंधित लेख ललिता कुण्ड काम्यवन, विशाखा कुण्ड वृन्दावन, वृन्दावन, ब्रज, गोवर्धन, नन्दगाँव, बरसाना, गोकुल


अन्य जानकारी वेणुकूप में स्नान करने से सब तीर्थों में स्नान करने का फल प्राप्त होता है। आज भी ब्रज की महिलाएँ किसी विशेष योग में इस कूप का पूजन करती हैं।

वेणुकूप भांडीरवन के पास स्थित है। भांडीरवन मथुरा-माँट मार्ग पर स्थित है, जो श्रीकृष्ण की विविध प्रकार की मधुर लीलाओं की स्थली है। वेणुकूप भांडीरवन में भांडीरवट के पास ही है। यहाँ श्रीकृष्ण ने अपने वेणु से एक कूप को प्रकट किया था।

प्रसंग

वत्सासुर का वध करने के पश्चात् श्रीकृष्ण अपने बल की डींग हाँकते हुए भांडीरवन के पास गोपियों से मिले, किन्तु गोपियों ने श्रीकृष्ण के ऊपर गोवध का आरोप लगाकर स्पर्श करने से मना कर दिया। कृष्ण ने कहा कि- "मैंने गोवध नहीं किया, बल्कि बछड़े के रूप में एक असुर का वध किया है।" किन्तु गोपियाँ कृष्ण के तर्क से सहमत नहीं हुईं। तब कृष्ण ने उनसे पवित्र होने का उपाय पूछा। गोपियों ने कहा- "यदि तुम पृथ्वी के सारे तीर्थों में स्नान करोगे, तब पवित्र होओगे, तभी हमें स्पर्श कर सकते हो।" गोपियों की बात सुनकर कृष्ण ने अपने वेणु से एक सुन्दर कूप का निर्माण कर उसमें पृथ्वी के सारे तीर्थों का आह्वान किया। फिर उस कूप के जल में स्नानकर गोपियों से मिले। यहाँ भांडीरवन के निकट ही यह वेणुकूप है। उसमें स्नान करने से सब तीर्थों में स्नान करने का फल प्राप्त होता है। आज भी ब्रज की महिलाएँ किसी विशेष योग में इस कूप का पूजन करती हैं तथा जिनको सन्तान उत्पन्न नहीं होती अथवा जिनकी सन्तानें अकाल मृत्यु को प्राप्त होती हैं, वे यहाँ मनौती करती हैं। इस प्रकार उनकी मनोवाच्छा पूर्ण होती है।

मान्यता

मान्यता है कि 'सोमवती अमावस्या' को स्नान किया जाता है। स्नान के बाद वस्त्र वहीं कूप के पास ही छोड़ (त्याग दिए) दिए जाते हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख