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| अर्थ - धनी आदमी को थोड़ा सा कष्ट  हो तो भी बहुत लोग उनकी सहायता को आ जाते हैं।
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|3- धन्ना सेठ के नाती बने हैं।  
 
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| अर्थ - स्वयं अपने को अमीर समझते हैं।
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|4- धर्म छोड़ धन कोठी खाए।
 
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| अर्थ - धर्म के विरुद्ध की गयी कमाई सुख नहीं देती।
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|5- धूप में बाल सफ़ेद नहीं किए हैं।  
 
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| अर्थ - सांसारिक अनुभव बहुत है।
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|6- धोबी पर बस न चला तो गधे के कान उमेठे।
 
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| अर्थ - बलवान से हार खाकर निर्बल पर गुस्सा निकालना।
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|7- धोबी के घर पड़े चोर , वह न लुटा लुटे और।
 
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| अर्थ - नुक़सान दूसरे का हो जाना।
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|8- धोबी रोवे धुलाई को, मियाँ रोवे कपड़े को।
 
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| अर्थ - सब अपने-अपने नुक़सान की चिंता करते हैं।
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|9- धज्जियाँ उड़ाना।
 
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| अर्थ - दुर्गति करना।
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|10- धूप में बाल सफ़ेद करना।
 
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| अर्थ - अनुभवहीन होना।
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12:10, 20 अप्रैल 2018 के समय का अवतरण

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कहावत लोकोक्ति मुहावरे अर्थ
1- धन का धन गया, मीत का मीत गया। अर्थ - उधार में पैसा तो जाता ही है, मित्रता भी नहीं रहती।
2- धनवंती को कांटा लगा दौड़े लोग हज़ार। अर्थ - धनी आदमी को थोड़ा सा कष्ट हो तो भी बहुत लोग उनकी सहायता को आ जाते हैं।
3- धन्ना सेठ के नाती बने हैं। अर्थ - स्वयं अपने को अमीर समझते हैं।
4- धर्म छोड़ धन कोठी खाए। अर्थ - धर्म के विरुद्ध की गयी कमाई सुख नहीं देती।
5- धूप में बाल सफ़ेद नहीं किए हैं। अर्थ - सांसारिक अनुभव बहुत है।
6- धोबी पर बस न चला तो गधे के कान उमेठे। अर्थ - बलवान से हार खाकर निर्बल पर गुस्सा निकालना।
7- धोबी के घर पड़े चोर , वह न लुटा लुटे और। अर्थ - नुक़सान दूसरे का हो जाना।
8- धोबी रोवे धुलाई को, मियाँ रोवे कपड़े को। अर्थ - सब अपने-अपने नुक़सान की चिंता करते हैं।
9- धज्जियाँ उड़ाना। अर्थ - दुर्गति करना।
10- धूप में बाल सफ़ेद करना। अर्थ - अनुभवहीन होना।