"कहावत लोकोक्ति मुहावरे-प" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
छो (Text replace - "जोर" to "ज़ोर")
छो (Text replacement - "{{कहावत लोकोक्ति मुहावरे}}" to "{{कहावत लोकोक्ति मुहावरे}}{{कहावत लोकोक्ति मुहावरे2}}")
 
(2 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 5 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
{{कहावत लोकोक्ति मुहावरे}}
+
{{कहावत लोकोक्ति मुहावरे}}{{कहावत लोकोक्ति मुहावरे2}}
 
+
{| class="bharattable-pink"
{| class="bharattable"
 
 
|-
 
|-
!कहावत लोकोक्ति मुहावरे
+
! style="width:30%"|कहावत लोकोक्ति मुहावरे
!अर्थ
+
! style="width:70%"|अर्थ
 
|-
 
|-
| style="width:30%"|
+
| 1- पंच कहे बिल्ली  तो बिल्ली‍ ही सही।
1- पंच कहे बिल्ली  तो बिल्ली‍ ही सही।
+
| अर्थ - सर्वसम्मति से जो काम हो जाए, वही ठीक।
| style="width:70%"|
 
अर्थ - सर्वसम्मति से जो काम हो जाए, वही ठीक।
 
 
|-
 
|-
 
|2- पंचों का कहना सिर माथे, पर परनाला वहीं रहेगा।
 
|2- पंचों का कहना सिर माथे, पर परनाला वहीं रहेगा।
|
+
|अर्थ - दूसरों की सुनकर भी अपने मन की करना।
अर्थ - दूसरों की सुनकर भी अपने मन की करना।
 
 
|-
 
|-
 
|3- पकाई खीर पर हो गया दलिया।  
 
|3- पकाई खीर पर हो गया दलिया।  
|
+
|अर्थ - दुर्भाग्य।  
अर्थ - दुर्भाग्य।  
 
 
|-
 
|-
 
|4- पगड़ी रख,घी चख।
 
|4- पगड़ी रख,घी चख।
|
+
|अर्थ -  मान–सम्मान से ही जीवन का आनंद है।
अर्थ -  मान–सम्मान से ही जीवन का आनंद है।
 
 
|-
 
|-
 
|5- पढ़े तो हैं गुने नहीं।  
 
|5- पढ़े तो हैं गुने नहीं।  
|
+
|अर्थ - पढ़- लिखकर भी अनुभवहीन।
अर्थ - पढ़- लिखकर भी अनुभवहीन।
 
 
|-
 
|-
 
|6- पढ़े फारसी बेचे तेल,यह देखो करमों का खेल।
 
|6- पढ़े फारसी बेचे तेल,यह देखो करमों का खेल।
|
+
|अर्थ - गुणवान होने पर भी दुर्भाग्य से छोटा काम मिला है।
अर्थ - गुणवान होने पर भी दुर्भाग्य से छोटा काम मिला है।
 
 
|-
 
|-
 
|7- पत्थर को जोंक नहीं लगती।
 
|7- पत्थर को जोंक नहीं लगती।
|
+
|अर्थ - निर्मम आदमी पर कोई असर नहीं पड़ता।
अर्थ - निर्मम आदमी पर कोई असर नहीं पड़ता।
 
 
|-
 
|-
 
|8- पत्थर मोम नहीं होता।
 
|8- पत्थर मोम नहीं होता।
|
+
|अर्थ - निर्मम आदमी में दया नहीं होती।
अर्थ - निर्मम आदमी में दया नहीं होती।
 
 
|-
 
|-
 
|9- पराया धर थूकने का भी डर।
 
|9- पराया धर थूकने का भी डर।
|
+
|अर्थ - दूसरे के घर में संकोच रहता है।
अर्थ - दूसरे के घर में संकोच रहता है।
 
 
|-
 
|-
 
|10- पराये धन पर लक्ष्मी नारायण।
 
|10- पराये धन पर लक्ष्मी नारायण।
|
+
|अर्थ - दूसरे के धन पर गुलछर्रे उड़ाना।
अर्थ - दूसरे के धन पर गुलछर्रे उड़ाना।
 
 
|-
 
|-
 
|11- पहले तोलो, पीछे बोलो।
 
|11- पहले तोलो, पीछे बोलो।
|
+
|अर्थ - बात समझ-सोचकर करनी चाहिए।
अर्थ - बात समझ-सोचकर करनी चाहिए।
 
 
|-
 
|-
|12- पाँच पंच मिल कीजे काजा,<br />
+
|12- पाँच पंच मिल कीजे काजा, हारे-जीते कुछ नहीं लाजा।
हारे-जीते कुछ नहीं लाजा।
+
|अर्थ - मिलकर काम करने पर हार-जीत की ज़िम्मेदारी एक पर नहीं आती।
|
 
अर्थ - मिलकर काम करने पर हार-जीत की जिम्मेदारी एक पर नहीं आती।
 
 
|-
 
|-
 
|13- पाँचों उँगलियाँ घी में।
 
|13- पाँचों उँगलियाँ घी में।
|
+
|अर्थ - सब लाभ ही लाभ।
अर्थ - सब लाभ ही लाभ।
 
 
|-
 
|-
 
|14- पाँचों उँगलियाँ बराबर नहीं होतीं।
 
|14- पाँचों उँगलियाँ बराबर नहीं होतीं।
|
+
|अर्थ - सब आदमी एक जैसे नहीं होते।
अर्थ - सब आदमी एक जैसे नहीं होते।
 
 
|-
 
|-
 
|15- पाँचों सवारों में मिलना।
 
|15- पाँचों सवारों में मिलना।
|
+
|अर्थ - अपने को बड़े व्यक्तियों में गिनना।
अर्थ - अपने को बड़े व्यक्तियों में गिनना।
 
 
|-
 
|-
 
|16- पागलों के क्या सींग होते हैं।
 
|16- पागलों के क्या सींग होते हैं।
|
+
|अर्थ - पागल भी साधारण लोगों में होते हैं।
अर्थ - पागल भी साधारण लोगों में होते हैं।
 
 
|-
 
|-
 
|17- पानी पीकर जात पूछते हो।
 
|17- पानी पीकर जात पूछते हो।
|
+
|अर्थ - काम करने के बाद उसके अच्छे - बुरे पहलुओं पर विचार क्यों ?
अर्थ - काम करने के बाद उसके अच्छे - बुरे पहलुओं पर विचार क्यों ?
 
 
|-
 
|-
 
|18- पाप का घड़ा भरकर डूबता है।
 
|18- पाप का घड़ा भरकर डूबता है।
|
+
|अर्थ - पाप जब बढ़ जाता है तब विनाश होता है।
अर्थ - पाप जब बढ़ जाता है तब विनाश होता है।
 
 
|-
 
|-
 
|19- पिया गए परदेश, अब डर काहे का।
 
|19- पिया गए परदेश, अब डर काहे का।
|
+
|अर्थ - जब कोई निगरानी करने वाला न हो, तो मौज उड़ाना।
अर्थ - जब कोई निगरानी करने वाला न हो, तो मौज उड़ाना।
 
 
|-
 
|-
 
|20- पीर बावर्ची भिस्ती खर।
 
|20- पीर बावर्ची भिस्ती खर।
|
+
|अर्थ - सब तरह का काम एक को करना पड़ता है।
अर्थ - सब तरह का काम एक को करना पड़ता है।
 
 
|-
 
|-
|21- पूत के पाँव पालने में पहचाने जाते हैं।
+
|21- [[पूत के पाँव पालने में पहचाने जाते हैं]]।
|
+
|अर्थ - भविष्य  क्या होगा, उसे वर्तमान के लक्षणों से जाना जा सकता है।
अर्थ - भविष्य  क्या होगा, उसे वर्तमान के लक्षणों से जाना जा सकता है।
 
 
|-
 
|-
|22- पूत सपूत तो काहे धन संचै,<br />
+
|22- पूत सपूत तो काहे धन संचै, पूत कपूत तो काहे धन संचै।
पूत कपूत तो काहे धन संचै।
+
|अर्थ - धन का संचय अच्छा, नहीं।
|
 
अर्थ - धन का संचय अच्छा, नहीं।
 
 
|-
 
|-
 
|23- पूरब जाओ या पच्छिम, वही करम के लच्छन।
 
|23- पूरब जाओ या पच्छिम, वही करम के लच्छन।
|
+
|अर्थ - भाग्य और स्वभाव सब स्थान साथ  रहता है।
अर्थ - भाग्य और स्वभाव सब स्थान साथ  रहता है।
 
 
|-
 
|-
 
|24- पेड़ फल से जाना जाता है।
 
|24- पेड़ फल से जाना जाता है।
|
+
|अर्थ - कर्म का महत्त्व उसके परिणाम से होता है।
अर्थ - कर्म का महत्त्व उसके परिणाम से होता है।
 
 
|-
 
|-
 
|25- पैसा गाँठ का, ज़ोरू साथ की।
 
|25- पैसा गाँठ का, ज़ोरू साथ की।
|
+
|अर्थ - अपने पास पैसा और पत्नी हो तो जीवन सुखी रहता है।
अर्थ - अपने पास पैसा और पत्नी हो तो जीवन सुखी रहता है।
 
|-
 
|26- प्यासा कुएँ के पास जाता है।
 
|
 
अर्थ - जिसे गरज़ होती है वही दूसरों के पास जाता है।।
 
 
|-
 
|-
 +
|26- [[प्यासा कुएँ के पास जाता है]]।
 +
|अर्थ - जिसे गरज़ होती है वही दूसरों के पास जाता है।।
 
|}
 
|}
 
  
  
 
[[Category:कहावत_लोकोक्ति_मुहावरे]]
 
[[Category:कहावत_लोकोक्ति_मुहावरे]]
 +
[[Category:साहित्य कोश]]
 
__INDEX__
 
__INDEX__

12:10, 20 अप्रैल 2018 के समय का अवतरण

कहावत लोकोक्ति मुहावरे वर्णमाला क्रमानुसार खोजें

                              अं                                                                                              क्ष    त्र    श्र
कहावत लोकोक्ति मुहावरे अर्थ
1- पंच कहे बिल्ली तो बिल्ली‍ ही सही। अर्थ - सर्वसम्मति से जो काम हो जाए, वही ठीक।
2- पंचों का कहना सिर माथे, पर परनाला वहीं रहेगा। अर्थ - दूसरों की सुनकर भी अपने मन की करना।
3- पकाई खीर पर हो गया दलिया। अर्थ - दुर्भाग्य।
4- पगड़ी रख,घी चख। अर्थ - मान–सम्मान से ही जीवन का आनंद है।
5- पढ़े तो हैं गुने नहीं। अर्थ - पढ़- लिखकर भी अनुभवहीन।
6- पढ़े फारसी बेचे तेल,यह देखो करमों का खेल। अर्थ - गुणवान होने पर भी दुर्भाग्य से छोटा काम मिला है।
7- पत्थर को जोंक नहीं लगती। अर्थ - निर्मम आदमी पर कोई असर नहीं पड़ता।
8- पत्थर मोम नहीं होता। अर्थ - निर्मम आदमी में दया नहीं होती।
9- पराया धर थूकने का भी डर। अर्थ - दूसरे के घर में संकोच रहता है।
10- पराये धन पर लक्ष्मी नारायण। अर्थ - दूसरे के धन पर गुलछर्रे उड़ाना।
11- पहले तोलो, पीछे बोलो। अर्थ - बात समझ-सोचकर करनी चाहिए।
12- पाँच पंच मिल कीजे काजा, हारे-जीते कुछ नहीं लाजा। अर्थ - मिलकर काम करने पर हार-जीत की ज़िम्मेदारी एक पर नहीं आती।
13- पाँचों उँगलियाँ घी में। अर्थ - सब लाभ ही लाभ।
14- पाँचों उँगलियाँ बराबर नहीं होतीं। अर्थ - सब आदमी एक जैसे नहीं होते।
15- पाँचों सवारों में मिलना। अर्थ - अपने को बड़े व्यक्तियों में गिनना।
16- पागलों के क्या सींग होते हैं। अर्थ - पागल भी साधारण लोगों में होते हैं।
17- पानी पीकर जात पूछते हो। अर्थ - काम करने के बाद उसके अच्छे - बुरे पहलुओं पर विचार क्यों ?
18- पाप का घड़ा भरकर डूबता है। अर्थ - पाप जब बढ़ जाता है तब विनाश होता है।
19- पिया गए परदेश, अब डर काहे का। अर्थ - जब कोई निगरानी करने वाला न हो, तो मौज उड़ाना।
20- पीर बावर्ची भिस्ती खर। अर्थ - सब तरह का काम एक को करना पड़ता है।
21- पूत के पाँव पालने में पहचाने जाते हैं अर्थ - भविष्य क्या होगा, उसे वर्तमान के लक्षणों से जाना जा सकता है।
22- पूत सपूत तो काहे धन संचै, पूत कपूत तो काहे धन संचै। अर्थ - धन का संचय अच्छा, नहीं।
23- पूरब जाओ या पच्छिम, वही करम के लच्छन। अर्थ - भाग्य और स्वभाव सब स्थान साथ रहता है।
24- पेड़ फल से जाना जाता है। अर्थ - कर्म का महत्त्व उसके परिणाम से होता है।
25- पैसा गाँठ का, ज़ोरू साथ की। अर्थ - अपने पास पैसा और पत्नी हो तो जीवन सुखी रहता है।
26- प्यासा कुएँ के पास जाता है अर्थ - जिसे गरज़ होती है वही दूसरों के पास जाता है।।